चुनावी रणनीति बनाने से लेकर सक्रिय राजनीति में डेब्यू करने वाले प्रशांत किशोर को आज तड़के पुलिस ने हिरासत में ले लिया. इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. इस दौरान गांधी मैदान में खूब हंगामा हुआ. पीके की पार्टी जन सुराज के कार्यकर्ताओं की माने तो पटना पुलिस ने पीके के साथ बर्बरता की और उन्हें प्रताड़ित किया. ताजा अपडेट के अनुसार प्रशांत किशोर को पटना सिविल कोर्ट से जमानत मिल गई है.
पीके को हिरासत में लेने के बाद पुलिस मेडिकल चेकअप के लिए उन्हें पटना AIIMS लेकर गई. यहां पुलिस और पीके के समर्थकों के बीच धक्का-मुक्की की नौबत आ गई. पीके के समर्थक उन्हें ले जा रही एम्बुलेंस के सामने लेट गए, जिन्हें पुलिस ने घसीट कर हटाया. पुलिस ने सुरक्षा के लिहाज से AIIMS के बाहर भारी संख्या में पुलिसबल तैनात कर दिया है. और पटना एम्स को छावनी में बदल दिया है.
प्रशांत किशोर के लिए साल 2025 उनके राजनीतिक जीवन का अहम वर्ष रहने वाला है. इस साल का आगाज ही उनके लिए हंगामेदार रहा है. अब 2025 की समाप्ति उनके राजनीतिक करियर की दशा-दिशा तय कर देगा. ऐसा इसलिए क्योंकि इस साल के आखिर में बिहार विधानसभा के चुनाव होने को हैं. और पीके की सारी कवायद इस चुनाव में अपनी दमखम साबित करने के लिए है.
कभी राजनीतिक दलों को चुनाव जीतने के गुर सिखाने वाले पीके ने बिहार में अपने पॉलिटिक्स की शुरुआत के लिए गांधीजी वाला तरीका अपनाया और उन्होंने जनता के बीच पैठ बनाने के लिए यात्राओं को चुना. लेकिन इससे पहले उन्होंने 2 अक्टूबर 2024 को अपनी पार्टी को लॉन्च किया.
सिर्फ चुनाव जीतने नहीं आया हूं
अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए उस दिन पीके ने कहा था, "मैं यहां सिर्फ चुनाव जीतने नहीं आया हूं, हम यहां वास्तविक बदलाव लाने के लिए आए हैं, और ये बदलाव लोगों से शुरू होनी चाहिए."
पॉर्टी को लॉन्च करने के बाद पीके ने 2 अक्टूबर को ही 3000 किलोमीटर लंबी पदयात्रा शुरू की. जनसुराज पार्टी के अनुसार ये पदयात्रा बिहार की दुर्दशा के मूल कारण समझने, जनता से मिलकर जमीनी हकीकत जानने, और बिहार के विकास का ब्लूप्रिंट तैयार करने के लिए पदयात्रा का आरंभ की गई थी.
2014 में नरेंद्र मोदी, 2015 में नीतीश कुमार और अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी को चुनाव जिताने वाले प्रशांत किशोर पहली बार जनता का मिजाज भांपने के लिए निकले.
इस पदयात्रा के दौरान प्रशांत किशोर ने 665 दिन में 2697 गांवों में पहुंचे और वहां की जनता के साथ संवाद किया.
इन्हीं चुनाव के दौरान बिहार में चार विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव हुए. ये प्रशांत किशोर की लोकप्रियता, उनकी विचारधारा और उनकी ब्रांड की पालिटिक्स का रियल ग्राउंड टेस्ट था.
हार की हताशा में कहा- गर्त में है बिहार
हालांकि प्रशांत किशोर इन उपचुनावों में अपने रणनीतिक कौशल और चुनावी जोड़तोड़ का जादू नहीं दिखा सके. चार सीटों पर उपचुनाव में तीन सीटों पर उनकी पार्टी तीसरे नंबर पर रही, जबकि चौथे सीट पर उनका उम्मीदवार चौथे नंबर पर रहा. चुनावी रणनीतिकार पीके के लिए ये एक झटके की तरह था. इसी हार के अवसाद में शायद उन्होंने कहा था कि बिहार गर्त में है. पीके ने कहा कि बिहारी प्रवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि वे डरा नहीं रहे हैं बल्कि हकीकत से अवगत करा रहे हैं. हालांकि उपचुनाव के नतीजों पर उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी को 70 हजार वोट मिले हैं और 2025 का चुनाव उनकी पार्टी जीतेगी.
बीपीएससी आंदोलन से फिर फोकस में PK
इस बीच बिहार में बीपीएससी छात्रों का आंदोलन शुरू हुआ तो मुद्दे तलाश रहे प्रशांत किशोर ने तत्काल इस आंदोलन में अपनी और अपनी पार्टी भूमिका तलाश ली.
प्रशांत किशोर ने 2 जनवरी को उम्मीदवारों के समर्थन में अपना आमरण अनशन शुरू कर दिया. ये छात्र पिछले साल 13 दिसंबर को आयोजित बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) परीक्षा को रद्द करने की मांग कर रहे हैं.
इस दौरान पीके पर छात्रों के साथ बदसलूकी के भी आरोप लगे.
प्रशांत किशोर के अनशन का दिलचस्प मोड़ तब आया जब वहां एक वैनिटी वैन देखने को मिला. ये वैन आम तौर पर फिल्में शूट कर रहे अभिनेत्रियों और अभिनेताओं के शूटिंग लोकेशन पर देखने को मिलता है जिसमें वे आराम करते हैं. पीके जब इस वैनिटी वैन का इस्तेमाल कर रहे थे तो उन पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि वे वैनिटी वैन में बैठते हैं और उनका प्रोड्यूसर कौन है?
अपनी सफाई में पीके ने कहा कि वे वैनिटी वैन का इस्तेमाल शौच के लिए कर रहे हैं क्योंकि अगर वे घर जाते हैं तो पत्रकार कहेंगे कि वे खाना खाने गए हैं. पीके ने उन खबरों को भी खारिज कर दिया जिनमें कहा गया था कि वाहन का किराया प्रतिदिन 25 लाख रुपये है.
सुबह 4 बजे क्लाइमैक्स
प्रशांत किशोर जब गांधी मैदान में धरना दे रहे थे तभी से पुलिस ने उन्हें कह दिया था कि उनका धरना प्रतिबंधित क्षेत्र में है. वे इस जगह को खाली करें अन्यथा उन पर एक्शन होगा. तब पीके ने कहा था कि पुलिस को जो करना है कर ले वे अनशन पर डटे रहेंगे.
इसी उहापोह के बीच सोमवार सुबह तड़के 3 से 4 बजे के बीच पुलिस ने गांधी मैदान से उन्हें हिरासत में ले लिया. पटना के डीएम चंद्रशेखर ने कहा, "संबंधित अधिकारियों द्वारा बार-बार अनुरोध किए जाने के बावजूद, वे वहां से नहीं हटे. उन्हें जिला प्रशासन द्वारा राज्य की राजधानी में गर्दनी बाग में अपना धरना स्थानांतरित करने का नोटिस भी दिया गया था, जो विरोध प्रदर्शन के लिए समर्पित स्थान है."
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि किशोर के समर्थकों को तितर-बितर करने के लिए हल्का बल प्रयोग किया गया, जो एम्स के बाहर एकत्र हुए और यातायात बाधित करने की कोशिश कर रहे थे. पुलिस ने पीके को गिरफ्तार करने के अलावा उनके कई समर्थकों को भी हिरासत में लिया है.