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Ground Report: गंगा के रौद्र रूप से सहमा बिहार... भागलपुर-मुंगेर में बाढ़ और कटाव से कई गांव जलमग्न, स्कूल बंद, लोग बेघर

बिहार में गंगा नदी ने एक बार फिर रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है. भागलपुर और मुंगेर जिले बाढ़ और कटाव की दोहरी मार झेल रहे हैं. गंगा के बढ़ते जलस्तर से दर्जनों गांवों में पानी भर गया है, कई इलाकों का संपर्क टूट चुका है. भागलपुर के ममलखा और गोराडीह से लेकर मुंगेर के कृष्णनगर और कुतलुपुर तक हालात बेकाबू हैं. स्कूलों को बंद करना पड़ा है, लोग छतों और सड़कों पर शरण लिए हुए हैं, वहीं तटबंधों पर बढ़ते दबाव ने प्रशासन की चिंता और लोगों की दहशत बढ़ा दी है.

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बाढ़ से भागलपुर और मुंगेर में जनजीवन अस्त-व्यस्त. (Photo: ITG)
बाढ़ से भागलपुर और मुंगेर में जनजीवन अस्त-व्यस्त. (Photo: ITG)

गंगा नदी के उफान ने बिहार के तटवर्ती जिलों को एक बार फिर तबाही के मुहाने पर ला खड़ा किया है. भागलपुर और मुंगेर में बाढ़ और कटाव ने हालात बेहद भयावह बना दिए हैं. दर्जनों गांव जलमग्न हैं, लोग जान-माल बचाने के लिए छतों और ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं. स्कूलों में पानी भर गया है. तटबंधों पर लगातार बढ़ता दबाव किसी भी बड़े हादसे की चेतावनी दे रहा है. प्रशासन राहत और बचाव के दावे कर रहा है, लेकिन जमीन पर लोग अब भी मदद का इंतजार कर रहे हैं.

भागलपुर के 16 प्रखंडों में 14 प्रखंड बाढ़ की चपेट में हैं. उससे ज्यादा खतरनाक हालात गंगा नदी के तटबंधीय इलाकों के हैं. बिहपुर, खरीक, इस्माईलपुर और सबौर प्रखंड इलाके में बाढ़ की स्थिति भयावह है. स्थानीय लोग परेशान हैं. उन इलाकों के स्कूल बंद कर दिए गए हैं. गोराडीह प्रखंड  इलाके के स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक नीरज और शिक्षिका ने बताया कि बाढ़ की वजह से स्कूल की छुट्टी कर दी गई है.

ganga floods wreck bhagalpur munger ground report

गंगा नदी जैसे ही बक्सर से बिहार में बहती हुई प्रवेश करती है तो उसके सिल्ट की वजह से उथलापन दिखने लगता है और वही कटाव का बड़ा कारण बनता है. गंगा के अपस्ट्रीम प्रयागराज और बनारस में भी कमोवेश वैसे ही हालात हैं, लेकिन बात भागलपुर में फ्लड और उससे तबाही के कारणों की करें तो वहां गंगा नदी पर 2001 में बने विक्रमशिला सेतु के बाद गंगा के बहने वाली धारा में बदलाव दिखने लगा. नतीजा आज भी राघोपुर, इस्माइलपुर, बुद्धुचक और ममलखा पंचायत कटाव के मुहाने पर है.

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भागलपुर में बाढ़ पीड़ित बता रहे हैं कि इलाके में हर बरस की यही कहानी है. फ्लड फाइटिंग होने के बाद भी नदियों के कटाव से तबाही सबकुछ बर्बाद कर देती है.

यह भी पढ़ें: देश में जल प्रलय का हाहाकार, यूपी-बिहार में बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त

यह अलग बात है कि बिहार का जल संसाधन विभाग फ्लड फाइटिंग को लेकर अलर्ट मोड में रहता है. करोड़ों अरबों की राशि भी खर्च होती है, लेकिन लगातार बारिश, इलाके में जलभराव और नदियों के उथली होने की वजह से तटबंध पर दवाब बढ़ जाता है, जो ध्वस्त होने के कारण बन जाते हैं.

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बाढ़ग्रस्त इलाके के खेत में लगी फसल में जो भी रबी फसल उपजती है, उसी से किसानों को राहत मिलती है. खरीफ के मौसम में बाढ़ की तबाही से घर, मकान, रास्ते, तटबंध और खेत की मिट्टी सबकुछ बह जाता है. वैसे भी बिहार में तीन फसलें होती है, जिसमें रबी और खरीफ तो किसानों को किस्मत से मिल जाती है, लेकिन एक और जो फसल है, उसका नाम रिलीफ है, जिसे बोता भी वही है और काटता भी वही है.

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मैदानी इलाकों में बाढ़ और कटाव के पीछे एक बड़ा कारण फरक्का बराज है. उसके अलावा रिवर बेड पर सिल्ट यानी गाद के लगातार जमा होते रहने से नदी उथली हो गई है, जो नदी किनरेबक तटबंध को ध्वस्त कर देता है. स्कूल के टीचर बताते हैं कि बाढ़ का पानी स्कूल में आ जाने के कारण छुट्टी करनी पड़ी है. इलाकाई बाढ़ पीड़ित असमंजस और उहापोह में जी रहे हैं.

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मुंगेर की कई पंचायतों में बाढ़ जैसे हालात

मुंगेर के निचले इलाकों में बाढ़ का पानी फैलने लगा है. मुंगेर सदर, बरियारपुर, हवेली खड़गपुर, जमालपुर और धरहरा प्रखंड की कई पंचायतों में बाढ़ जैसी स्थिति है. कई स्कूलों को बंद रखना पड़ रहा है. हवेली खड़गपुर प्रखंड के तेलियाडीह पंचायत के कृष्णनगर गांव के करीब पांच सौ की आबादी पानी से घिर चुकी है. लोग जान माल के साथ ऊंचे स्थानों पर जा चुके हैं. कुछ लोग अब भी पानी घटने का इंतजार कर छतों पर शरण लिए हुए हैं. इस गांव में लोगों के घरों में भी करीब चार फीट तक पानी भर चुका है. लोग मदद का इंतजार कर रहे हैं.

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बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि घरों में पांच दिन पहले ही पानी घुस चुका है, जिसके बाद सड़कों पर किसी तरह जीवन यापन कर रहे हैं. अब तक किसी प्रकार की कोई मदद नहीं मिली है. कोई अधिकारी देखने तक नहीं आया. परमानंद यादव, भोगी यादव व रौशन कुमार ने कहा कि हम लोगों के लिए कम से कम प्रशासन पॉलीथिन की व्यवस्था कर दे, ताकि सड़कों पर अपने परिवार के साथ रह सकें.

स्थानीय लोगों ने बताया कि बारिश और बाढ़ की वजह से हम लोगों को दोहरी परेशानी झेलनी पड़ रही है. घर के लोग ग्राउंड फ्लोर को छोड़कर और सभी सामानों को निकालकर 5 दिनों से छत पर शरण लिए हुए हैं. ग्रामीणों ने कहा कि हम लोग घर के अंदर जो मिट्टी के चूल्हे पर खाना बनाते थे, वह भी डूब गया है. टॉयलेट के साथ-साथ पेयजल की भी समस्या आ रही है.

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वहीं सदर प्रखंड के कुतलुपुर, टीकारामपुर और जाफर नगर पंचायत के ग्रामीण नाव के सहारे शहर की ओर लौट रहे हैं. लोगों ने बताया कि गांव और घरों में पानी घुस चुका है. हम लोग जान माल के साथ ऊंचे स्थानों पर जा रहे हैं.

इस मामले को लेकर जिला आपदा पदाधिकारी कुमार अभिषेक ने बताया कि मुंगेर में गंगा वार्निंग लेवल को पार कर 39.05 के करीब है. आपदा पदाधिकारी ने बताया कि ऊपर गंगा स्थित हो चुकी है. संभावना जताई जा रही है कि यहां भी अगले 24 घंटे बाद पानी स्थिर हो सकता है. उन्होंने बताया कि संभावित बाढ़ को लेकर जिला प्रशासन की ओर से पूरी तैयारी रखी गई है. अभी बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में नाव चल रही है.

सभी अंचलाधिकारी को भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में लगातार निगरानी करने का आदेश दिया गया है. हम लोगों के द्वारा आश्रय स्थल चिह्नित कर लिया गया है. कम्युनिटी किचन आदि की भी व्यवस्था कर ली है. अगर वैसी स्थिति होती है तो बाढ़ पीड़ितों को सारी सुविधाएं दी जाएंगी.

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(राजीव सिद्धार्थ के इनपुट के साथ)
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