एक तरफ जहां बिहार सरकार में स्मार्ट क्लास और डिजिटल एजुकेशन की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर बगहा अनुमंडल के पिपरासी प्रखंड स्थित भगड़वा प्राथमिक विद्यालय की जमीनी हकीकत बेहद चिंताजनक है. यह स्कूल शिक्षा व्यवस्था की बदहाल तस्वीर पेश करता है, जहां बच्चों की जान तक खतरे में है. डुमरी भगड़वा पंचायत अंतर्गत आने वाले इस राजकीय प्राथमिक विद्यालय में पिछले करीब ढाई दशक से पक्के भवन का निर्माण नहीं हो सका है. आज भी बच्चे बांस के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं. न बेंच-डेस्क हैं, न ही शौचालय की सुविधा, और जो भवन कभी बना था, वह अब खंडहर में तब्दील होकर जानलेवा बन चुका है. विद्यालय में एक भी कमरा नहीं है. गर्मी के मौसम में बच्चे छांव की तलाश में पेड़ों के नीचे बैठकर पढ़ते हैं, जबकि बारिश होते ही स्कूल पूरी तरह बंद करना पड़ता है. पढ़ाई तो दूर, बच्चों की सुरक्षा तक सुनिश्चित नहीं है.
60 से 70 बच्चों का सहारा सिर्फ बांस और आसमान
विद्यालय में नामांकित बच्चों की संख्या 60 से अधिक है. हर दिन वे जोखिम उठाकर स्कूल आते हैं. बच्चे कहते हैं कि पढ़ाई के प्रति उनकी रुचि है, लेकिन स्कूल की दुर्दशा उन्हें मायूस करती है. छात्रा खुशबू कुमारी बताती है, गर्मी में सांप निकलते हैं और बरसात में हम भीग जाते हैं. छत नहीं होने से कभी पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ते हैं, तो कभी घर लौटना पड़ता है. हम चाहते हैं कि सरकार स्कूल का भवन बनवा दे ताकि ठीक से पढ़ सकें. छात्र बाबूलाल चौहान ने कहा- हम लोग पढ़ाई करने आते हैं लेकिन डर के साथ. खंडहर भवन का एक कोना हर साल गिरता रहता है. कई बार हादसा होते-होते बचा है. सरकार से अपील है कि कम से कम छत तो मिले. इसके अलावा तीसरी कक्षा में पढ़ने वाली सुराजावती कुमारी कहती है- बारिश में कपड़े भीग जाते हैं, किताबें खराब हो जाती हैं. भूख लगती है तो खुले में मिड-डे मील बनता है और वही खाते हैं. भवन बन जाए तो हम भी अच्छे से पढ़ सकें.
25 साल से सिर्फ आवेदन, कोई सुनवाई नहीं
विद्यालय में पदस्थापित शिक्षक रमेश बैठा भी बेहद परेशान हैं. वे बताते हैं कि, करीब 20 से 25 वर्षों से इसी हाल में पढ़ाई हो रही है. कई बार प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से लेकर जिला कार्यालय तक आवेदन दिया गया है, लेकिन निर्माण अब तक नहीं हुआ. खतरा हमेशा बना रहता है. वहीं प्रधान शिक्षक रामप्रताप यादव का कहना है 2003 से इस विद्यालय में बच्चों को पढ़ाता हूं. लेकिन आज तक विधालय का भवन नहीं बन पाया. खतरा हर मोड़ पर बना रहता है. आवेदन के बाद भी अभी तक भवन निर्माण नहीं हो पाया है.
खंडहर में मिड-डे मील, न शौचालय, न पीने का पानी
विद्यालय में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. शौचालय नहीं है, जिससे बच्चियों को भारी परेशानी होती है. मिड-डे मील योजना के तहत भोजन खंडहर में बनाया जाता है और बच्चे उसी खुले मैदान में भोजन करते हैं. गर्मी में खाना बनाना मुश्किल हो जाता है तो बारिश में चूल्हा ही नहीं जलता. सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि विद्यालय के पास भूमि उपलब्ध है,फिर भी निर्माण नहीं हो रहा. वर्षों से भवन के लिए योजना बनी, कागजों में अनुमोदन भी हुआ, लेकिन जमीन पर आज तक एक ईंट नहीं रखी गई. इसका कारण अब तक न शिक्षा विभाग स्पष्ट कर सका है और न स्थानीय प्रशासन.