बिहार में विधानसभा चुनाव और नई सरकार के गठन के बाद बंगलों के मुद्दे पर सियासी घमासान मचा है. इस पूरे बंगला विवाद की जड़ साल 2005 के बाद बिहार की सियासत के सबसे प्रमुख केंद्रों में से एक 10, सर्कुलर रोड बंगला खाली करने के लिए राबड़ी देवी को सरकार की ओर से दिया गया नोटिस है. बिहार की नई सरकार ने राबड़ी देवी समेत तमाम विधायकों-पूर्व विधायकों को आवास खाली करने का नोटिस दिया है.
लालू परिवार का पिछले 20 साल से यही पता रहा है और यही उन गतिविधियों का भी केंद्र रहा है, जिसने पिछले एक दशक में पक्ष-विपक्ष की गतिविधियों को प्रभावित किया है. बिहार सरकार ने अब लालू परिवार से यह आवास खाली कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, ऐसे में इसे लेकर सियासी हंगामा बरपा हुआ है. सरकार की ओर से इस कदम के पीछे बंगलों के नए सिस्टम को वजह बताते हुए तर्क दिए जा रहे हैं. आखिर बंगलों को लेकर यह नया सिस्टम क्या है और क्या नेता प्रतिपक्ष और मंत्री को भी क्या विधायकों जैसा ही आम बंगला मिलेगा?
बंगलों को लेकर नया सिस्टम क्या?
बिहार में बंगलों को लेकर नया सिस्टम बना है. दरअसल, बिहार सरकार ने विधायकों के लिए दारोगा राय पथ के पास 44 एकड़ से अधिक भूभाग पर विधायक आवास का निर्माण कराया है. नवनिर्मित विधायक आवास पर निर्वाचन क्षेत्र का नाम और क्रमांक अंकित है. यानी जिस विधानसभा सीट से जीतकर जो नेता विधानसभा पहुंचेगा, उसे उस विधानसभा के नाम वाले आवास में ही रहना होगा. इससे आवास आवंटित करने की एक्सरसाइज नहीं करनी होगी और कद-पद के हिसाब से बड़े या छोटे बंगले की जद्दोजहद भी नहीं करनी होगी.
नेता प्रतिपक्ष-मंत्रियों को भी मिलेगा विधायकों वाला ही बंगला?
हर विधानसभा सीट के विधायक के लिए उसी के नाम वाले आवास बनाए गए हैं, ऐसे में एक सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और मंत्रियों को भी विधायकों वाला बंगला ही मिलेगा? इसका जवाब है नहीं. बिहार सरकार ने डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को पांच देशरत्न मार्ग और विजय कुमार सिन्हा को तीन स्ट्रैड रोड बंगला आवंटित किया है. अन्य मंत्रियों को भी सर्कुलर रोड, पोलो रोड, हार्डिंग रोड, नेहरू पथ, टेलर रोड के बंगले आवंटित किए गए हैं.
बिहार में बंगले पर बवाल क्यों?
बिहार सरकार के भवन निर्माण विभाग ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को नोटिस भेजकर तीन महीने के भीतर 10 सर्कुलर रोड का आवास खाली करने के लिए कहा है. विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष होने के नाते राबड़ी देवी को 39, हार्डिंग रोड आवास आवंटित किया गया है. लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव और बेटी रोहिणी आचार्य ने इसे लेकर नीतीश कुमार की अगुवाई वाली सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया.
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तेजप्रताप और रोहिणी ने एक ही पोस्ट को अलग-अलग शेयर किया, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तंज करते हुए लिखा है, "सुशासन बाबू का विकास मॉडल. करोड़ों लोगों के मसीहा लालू प्रसाद यादव का अपमान करना पहली प्राथमिकता. घर से तो निकाल देंगे, बिहार की जनता के दिल से कैसे निकालिएगा. सेहत नहीं तो कम से कम लालू जी ने राजनीतिक कद का ही सम्मान रखते."
लालू परिवार के पास कानूनी विकल्प क्या?
बंगले को लेकर छिड़े विवाद के बीच यह चर्चा भी जोरों पर है कि क्या लालू परिवार 20 साल पुराने पते को बचाने के लिए कानूनी विकल्पों का सहारा लेगा? ऐसी संभावनाएं शून्य मानी जा रही हैं. दरअसल, साल 2017 में डिप्टी सीएम पद से हटने के बाद तेजस्वी यादव को जब 5, देशरत्न मार्ग का बंगला खाली करने का नोटिस मिला, तब उन्होंने पटना हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी थी.
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तेजस्वी यादव की याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने न सिर्फ तेजस्वी की याचिका खारिज कर दी, बल्कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगला, आजीवन सुरक्षा और अन्य सुविधाएं देने की व्यवस्था खत्म करने का आदेश भी दे दिया. साल 2005 में नीतीश कुमार जब सीएम बने, तब राबड़ी देवी को 1 अणे मार्ग के ठीक बगल में 10 सर्कुलर रोड बंगला आवंटित किया गया था. अगर तेजस्वी यादव कोर्ट नहीं गए होते, तो हो सकता था कि 10 सर्कुलर रोड पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते राबड़ी देवी के ही नाम आवंटित रहता.