बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे गहन मतदाता पुनरीक्षण अभियान को लेकर राजनीतिक हलकों में विवाद गहरा गया है. विपक्षी दलों ने आयोग पर एकतरफा और भ्रमित नीति अपनाने का आरोप लगाया है.
विपक्ष का कहना है कि इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया को शुरू करने से पहले किसी प्रकार की सर्वदलीय बैठक नहीं बुलाई गई. इससे पूरे अभियान की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं.
मतदाता पुनरीक्षण अभियान को लेकर राजनीतिक हलकों में विवाद
विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि उन्होंने चुनाव आयोग से मिलने के लिए समय मांगा था लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला. उनका कहना है कि आयोग का रवैया समझ से परे है और ऐसा प्रतीत होता है कि पूरी प्रक्रिया किसी विशेष राजनीतिक दल के इशारे पर चलाई जा रही है.
नेताओं का कहना है कि हर सप्ताह नए आदेश जारी किए जा रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि आयोग खुद भ्रम की स्थिति में है. एक नेता ने कहा, “अब तो समय भी बहुत कम बचा है. इस पूरी प्रक्रिया को एक महीने में पूरा करना है लेकिन आयोग की तरफ से कोई स्पष्ट दिशा नहीं दी जा रही. हमने केवल पारदर्शिता और प्रक्रिया की स्पष्टता को लेकर सवाल उठाए हैं.”
विपक्ष ने पारदर्शिता और प्रक्रिया की स्पष्टता को लेकर सवाल उठाए
उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र का गंभीर मामला है क्योंकि इससे नागरिकों के मताधिकार पर असर पड़ सकता है. विपक्ष की ओर से यह मांग की गई है कि चुनाव आयोग पारदर्शिता से काम करे और सभी दलों को समान रूप से विश्वास में ले.