JD(U) MLA Vibha Devi oath VIDEO: बिहार में नीतीश सरकार के गठन के बाद सोमवार को 18वीं विधानसभा का पहला सत्र का आयोजन हुआ. कई विधायकों को शपथ दिलाई गई. जब जदयू विधायक विभा देवी की शपथ लेने की बारी आई तो ये नजारा देखने लायक़ रहा.
नवादा से जदयू विधायक विभा देवी शपथ पत्र ठीक से न पढ़ सकीं. इस घटना ने प्रतिनिधियों की क्षमता, जनता की चुनावी सोच और लोकतांत्रिक मूल्यों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
बिहार विधानसभा की ओर से जारी वीडियो में दिखा कि विभा देवी शपथ लेने में बार-बार अटक रहीं हैं. वो शपथ पत्र भी ठीक से नहीं पढ़ पा रही हैं. मुश्किल से ही वो शब्दों को पढ़ती नज़र आईं. यानि वह टूटे-फूटे शब्दों में शपथ पत्र पढ़ती नज़र आईं. इतना ही नहीं जब वह बीच में फंसीं तो उन्होंने पास में बैठी विधायक मनरोमा देवी की भी मदद ली.
विधायक विभा देवी शपथ पत्र पढ़ने के दौरान कहती हैं, 'सतत लेती हूं... विधी रखती हूं.'.बड़ी मुश्किल से विभा देवी शपथ पत्र को पूरा कर सकीं. प्रोटेम स्पीकर नरेंद्र नारायण यादव के सामने विभा देवी ने शपथ लिया.
विभा देवी की राजनीति किसी विचार, सामाजिक काम या लोकतांत्रिक संघर्ष से नहीं निकली, बल्कि उनके पति और बाहुबली छवि वाले राजबल्लभ यादव के प्रभाव से आगे बढ़ी. गंभीर मामलों में जेल जा चुके राजबल्लभ यादव की राजनीतिक पकड़ ने ही उन्हें टिकट से लेकर विधानसभा तक पहुंचाया.
यही व्यवस्था आज भारतीय राजनीति को कमजोर कर रही है - जहां सिद्धांत, शिक्षा और क्षमता के बजाय वंशवाद, जातीय समीकरण और धनबल तय करते हैं कि कौन विधायक बनेगा.
जब कोई प्रतिनिधि शपथ तक ठीक से न पढ़ पाए, तो ये सीधे तौर पर लोकतंत्र पर सवाल है. इससे पता चलता है कि जनता का वोट किस आधार पर पड़ रहा है. जब समाज शिक्षा या नीति के बजाय जात-पात, दबाव या भय को प्राथमिकता देता है, तो विधानसभा में ऐसी ही घटनाएं सामने आती हैं.
यह घटना हमें याद दिलाती है कि लोकतंत्र तभी मजबूत होगा, जब जनता प्रतिनिधियों की योग्यता और जिम्मेदारी को गंभीरता से लेगी.
क्या है 'रानी भारती' मोमेंट?
वेब सीरीज़ महारानी में ‘रानी भारती मोमेंट’ उस सीन को कहा जाता है जब एक साधारण, अशिक्षित और पूरी तरह घरेलू जीवन जीने वाली रानी भारती अचानक बिहार की मुख्यमंत्री बना दी जाती हैं. यह पल इसलिए इतना यादगार बना, क्योंकि जब वे पहली बार विधानसभा में शपथ लेने पहुंचती हैं, तो माहौल उनके लिए बिल्कुल नया और भारी होता है.
शपथ पत्र पढ़ते समय उनकी झिझक साफ दिखाई देती है - वे शब्दों को तोड़-तोड़कर बोलती हैं, कई बार रुकती हैं, और पूरा सीन उनकी असहजता और घबराहट को बहुत वास्तविक तरीके से पकड़ता है.
दर्शकों ने इस सीन को बेहद प्रभावी बताया, क्योंकि यह एक ऐसे किरदार की मासूमियत और अनभिज्ञता दिखाता है जिसे अचानक सत्ता की ऊंची कुर्सी पर बैठा दिया गया.
इसी झिझक और अनुभवहीनता की वजह से उस समय मीडिया और विरोधियों ने रानी भारती का मज़ाक भी उड़ाया और उन्हें ‘रबर-स्टैंप सीएम’ कहकर निशाना बनाया.