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विश्व

कोरोना की वैक्सीन सिर्फ अपने लिए खरीदना चाह रहा US! भड़का जर्मनी

aajtak.in
  • 16 मार्च 2020,
  • अपडेटेड 1:13 PM IST
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक जर्मन मेडिकल कंपनी से कथित तौर पर कोरोना वायरस वैक्सीन के विशेषाधिकार खरीदने के प्रस्ताव को लेकर विवाद छिड़ गया है. जर्मनी के मंत्रियों ने अमेरिकी राष्ट्रपति के 'मोटी रकम देकर वैक्सीन के विशेषाधिकार खरीदने के ऑफर' को लेकर नाराजगी जाहिर की है.

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जर्मनी के वित्त मंत्री पीटर अल्टमाइर ने एआरडी ब्रॉडकास्टर से बातचीत में कहा कि जर्मनी बिकाऊ नहीं है. बता दें कि वेल्ट एम सॉनटैग अखबार ने मुख्य पृष्ठ पर 'ट्रंप बनाम बर्लिन' शीर्षक से यह खबर छापी थी कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप भारी-भरकम धनराशि देकर जर्मन कंपनी से कोरोना वायरस की वैक्सीन के अधिकार खरीदने की कोशिश कर रहे हैं.

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अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने तुबिनगेन की फार्मा कंपनी क्योरवैक को सिर्फ अमेरिका के लिए वैक्सीन सुरक्षित करने के लिए 1 अरब डॉलर की पेशकश की थी.

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जर्मन सरकार पहले ही देश में बन रही वैक्सीन के लिए तमाम आर्थिक भत्तों का ऐलान कर चुकी है. इस रिपोर्ट को लेकर बर्लिन में रोष है.

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जर्मनी के विदेश मंत्री हीको मास ने फुंके मेडियनग्रुपे रिसर्च नेटवर्क से बातचीत में कहा, जर्मन शोधकर्ता दवाई और वैक्सीन विकसित करने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं. हम एक ऐसी परिस्थिति नहीं बनने देंगे, जिसमें कोई उनकी रिसर्च को सिर्फ अपने लिए खरीदना चाहे.

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जर्मनी के एक सांसद एरविन रूडेल ने कहा, अंतरराष्ट्रीय सहयोग अभी बेहद अहम है ना कि अपने राष्ट्रीय हित. लिबरल एफडीपी पार्टी के नेता क्रिस्टीन लिंडनर ने ट्रंप पर चुनावी लाभ उठाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, साफ तौर पर ट्रंप चुनावी माहौल में किसी भी तरीके का इस्तेमाल करने से नहीं चूकेंगे.


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रविवार को एक न्यूज कॉन्फ्रेंस में गृहमंत्री हॉर्स्ट सीहोफर से जर्मन कंपनी से वैक्सीन के राइट्स खरीदने से जुड़ी खबर की पुष्टि करने के लिए कहा गया. उन्होंने कहा, मैं फिलहाल बस इतना कह सकता हूं कि मैंने सरकारी अधिकारियों से कई मौकों पर इस बारे में सुना है और हम कल आपदा समिति में इस पर चर्चा करेंगे.

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वहीं, एक अमेरिकी अधिकारी ने न्यूज एजेंसी एएफपी ने कहा कि रिपोर्ट को जरूरत से ज्यादा तवज्जो दी जा रही है. अमेरिकी सरकार ने कई कंपनियों से बातचीत की है जिन्होंने वैक्सीन बनाने में मदद करने का दावा किया है. इनमें से कई कंपनियां अमेरिकी निवेशकों से फंड भी हासिल कर चुकी हैं.

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अमेरिकी अधिकारी ने इस बात को भी खारिज किया कि अमेरिका वैक्सीन को सिर्फ अपने लिए सुरक्षित करना चाहता है. अधिकारी ने कहा, हम हर उस कंपनी से बात करना जारी रखेंगे जो कोरोना वायरस से निपटने में हमारी मदद करने का दावा कर रही है.

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