सुनामी का विज्ञान... समंदर की गहराई में लहरों की स्पीड फिर ऊंचाई बढ़ती जाती है, शहरों से टकराने तक ऐसे होता है बदलाव

सुनामी गहरे समुद्र में जेट विमान की तरह तेज (800 किमी/घंटा) चलती है, लेकिन तट पर आते-आते धीमी (20-30 किमी/घंटा) हो जाती है. इस दौरान उसकी ऊंचाई बढ़कर 10-30 मीटर हो सकती है, जो शहरों को तबाह कर देती है. सही जानकारी और तैयारी से इसकी मार से बचा जा सकता है.

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सुनामी कई वजहों से आती है. बीच समंदर में लहरों की गति ज्यादा होती है, जबकि तट पर ऊंचाई. (Photo: Representational/Freepik) सुनामी कई वजहों से आती है. बीच समंदर में लहरों की गति ज्यादा होती है, जबकि तट पर ऊंचाई. (Photo: Representational/Freepik)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 31 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 12:46 PM IST

सुनामी एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जो समुद्र की गहराइयों से शुरू होकर तटों पर भयानक तबाही मचा सकती है. हाल ही में सुनामी की तेज गति और इसके बदलते रूप के बारे में बातें हो रही हैं. क्या आपने कभी सोचा है कि समुद्र में सुनामी की लहरें जेट विमान की तरह तेज क्यों होती हैं और तट पर पहुंचते-पहुंचते उनकी ऊंचाई क्यों बढ़ जाती है?

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सुनामी क्या है और कैसे शुरू होती है?

सुनामी एक विशाल समुद्री लहर होती है, जो आमतौर पर समुद्र तल में भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट या भूस्खलन जैसी घटनाओं की वजह से पैदा होती है. जब समुद्र तल में कोई बड़ा बदलाव होता है, तो पानी की एक बड़ी मात्रा ऊपर की ओर उठती है. फिर लहरों के रूप में फैलने लगती है. ये लहरें शुरू में गहरे समुद्र में इतनी तेज होती हैं कि उनकी गति जेट विमान के बराबर हो सकती है. लेकिन जैसे-जैसे ये तट के पास पहुंचती हैं, इनका रूप बदल जाता है.

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सुनामी की तेज गति: समुद्र में जेट की रफ्तार

वैज्ञानिकों के मुताबिक, गहरे समुद्र में सुनामी की लहरें 800 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलती हैं. यह गति एक जेट विमान की औसत रफ्तार के बराबर है, जो आमतौर पर 600-900 किलोमीटर प्रति घंटा के बीच होती है. 

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हैरानी की बात है कि गहरे समुद्र में ये लहरें इतनी तेज होने के बावजूद ऊंचाई में कम होती हैं, सिर्फ 1-2 मीटर तक. इसका कारण यह है कि गहरे पानी में लहरों का ऊर्जा फैलाव ज्यादा होता है. वे चपटी और लंबी होती हैं.

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इन लहरों की ऊर्जा इतनी शक्तिशाली होती है कि वे सैकड़ों किलोमीटर तक बिना रुके दौड़ सकती हैं. उदाहरण के लिए, 2004 की सुनामी जो इंडोनेशिया के सुमात्रा में शुरू हुई. उसने सिर्फ कुछ घंटों में भारत, थाईलैंड और श्रीलंका जैसे देशों के तटों तक पहुंचकर तबाही मचाई थी.

तट पर पहुंचते ही क्यों बदलता है रूप?

जैसे ही सुनामी की लहरें तट के पास गहरे समुद्र से उथले पानी में प्रवेश करती हैं, उनका व्यवहार पूरी तरह बदल जाता है. गहरे समुद्र में तेज गति से चलने वाली ये लहरें तट के करीब पहुंचते-पहुंचते धीमी पड़ जाती हैं, उनकी रफ्तार 20-30 किलोमीटर प्रति घंटा तक रह जाती है. लेकिन इस धीमी गति के साथ उनकी ऊंचाई में भारी इजाफा होता है. कभी-कभी ये लहरें 10-30 मीटर तक ऊंची हो जाती हैं, जो एक कई मंजिला इमारत के बराबर होती हैं.

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यह बदलाव क्यों होता है? 

इसका कारण पानी की गहराई का कम होना है. जब लहरें उथले पानी में आती हैं, तो नीचे की सतह उन्हें रोकती है, जिससे उनकी ऊर्जा ऊपर की ओर बढ़ती है. लहरें ऊंची हो जाती हैं. साथ ही, तट के पास पानी का दबाव और तटीय ढांचे भी इन लहरों को और खतरनाक बनाते हैं. यही वजह है कि सुनामी तट पर पहुंचते ही भयानक तबाही मचा देती है, घरों को तोड़ देती है और लोगों को बहा ले जाती है.

2004 की सुनामी: एक उदाहरण

26 दिसंबर 2004 को इंडोनेशिया के सुमात्रा में 9.1 तीव्रता का भूकंप हुआ, जिसने हिंद महासागर में एक विशाल सुनामी पैदा की. गहरे समुद्र में इसकी रफ्तार 800 किलोमीटर प्रति घंटा थी. यह लहरें सिर्फ 2 घंटे में भारत के तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और अंडमान-निकोबार तक पहुंच गईं. तट पर पहुंचते-पहुंचते इनकी ऊंचाई 10-15 मीटर हो गई, और इसने 2.3 लाख से ज्यादा लोगों की जान ले ली. यह घटना बताती है कि सुनामी की शक्ति कितनी खतरनाक हो सकती है.

सुनामी से बचाव कैसे संभव है?

सुनामी से पूरी तरह बचाव मुश्किल है, लेकिन सही जानकारी और तैयारी से नुकसान को कम किया जा सकता है. कुछ जरूरी कदम इस प्रकार हैं...

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  • चेतावनी प्रणाली: आजकल कई देशों में सुनामी चेतावनी प्रणालियां लगाई गई हैं, जो भूकंप के बाद जल्दी अलर्ट जारी करती हैं. भारत में भी भारतीय सुनामी चेतावनी केंद्र (INCOIS) काम कर रहा है.
  • तटीय क्षेत्रों से दूरी: अगर सुनामी की चेतावनी मिले, तो तुरंत तट से ऊंचाई की ओर भागें. ऊंची जगह पर जाना सुरक्षित होता है.
  • जागरूकता: स्थानीय लोगों को सुनामी के संकेत, जैसे समुद्र का अचानक पीछे हटना, समझना चाहिए. यह एक खतरे का इशारा हो सकता है.
  • निर्माण नियम: तटीय इलाकों में ऐसी इमारतें बनानी चाहिए जो सुनामी का सामना कर सकें.

भारत के लिए क्या मायने?

भारत की लंबी तटीय रेखा (7,500 किलोमीटर से ज्यादा) इसे सुनामी के खतरे से जोड़ती है. 2004 की सुनामी के बाद भारत ने अपनी तैयारी बढ़ाई है. अंडमान-निकोबार, तमिलनाडु, केरल और ओडिशा जैसे तटीय राज्य अब ज्यादा सतर्क हैं. लेकिन फिर भी, मौसम में बदलाव और समुद्र तल में गतिविधियां बढ़ने से खतरा बना रहता है. इसलिए, सही समय पर अलर्ट और जन जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार है.

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