मध्य प्रदेश के रीवा जिले का अन्नदाता इन दिनों यूरिया खाद त्रासदी का शिकार है. एक बोरी यूरिया के लिए किसान खाद गोदाम में भूखे प्यासे रात दिन डटे हैं. खाद की रैक आने की खबर सुनते ही किसान महिलाएं और बच्चे लाइन लगाकर खड़े हो गए. प्रशासन को पुलिस फोर्स और कार्यपालिक मजिस्ट्रेट की ड्यूटी लगानी पड़ी. तब जाकर स्थिति नियंत्रित हुई. बावजूद इसके कई किसान बिना खाद के लौटने को मजबूर हो गए.
दरअसल, शहर के करहिया मंडी में खाद की रैक आने की खबर जैसे हो किसानों को मिली खाद गोदाम में लंबी कतार लग गई. दूर-दूर से आए किसानों ने रात में ही मंडी में डेरा जमा लिया. लेकिन न तो मंडी में खाना पानी की व्यवस्था थी और न ही अन्य सुविधाएं. खाद की किल्लत झेल रहे किसानों में शासन प्रशासन की अव्यवस्था पर खासा रोष देखने की मिला.
किसानों का आरोप है कि समितियों के साथ ही निजी दुकानदारों को भी खाद वितरित की गई है. यहां तीन गुना महंगे दाम पर बेचा जा रहा है.
किसानों ने बताया कि वे लगातार 10- 15 दिनों से खाद पाने के लिए वितरण केंद्र पहुंचे तो रहे हैं लेकिन खाद अब तक नहीं मिली. उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ रहा है. किसान रात से लाइन में लगे हुए हैं लेकिन यह गारंटी नहीं है कि पूरा दिन बीतने के बाद भी उन्हें खाद मिल पाएगी.
नायब तहसीलदार यतीश शुक्ला का कहना है कि मौजूदा समय में 80 टन खाद का स्टॉक है. खाद वितरण के लिए 3 काउंटर बनाए गए हैं. तीनों काउंटर से खाद दी जा रही है. किसानों को रकवे के हिसाब से खाद वितरित की जा रही है. किसानों को लग रहा है कि खाद की उपलब्धता ख़त्म हो जाएगी, इसलिए एक साथ ज्यादा संख्या में किसान वितरण केंद्र में आ रहे हैं.
विजय कुमार विश्वकर्मा