इरफान खान से बेटे बाबिल ने क्या सीखा? बोले- इंसानियत के बिना एक्टिंग नहीं होती

'साहित्य आजतक 2023' का मंच सज चुका है. OTT में 'द रेलवे मेन' की स्टार कास्ट ने शिरकत की. इसमें बाबिल खान, केके मेनन, दिव्येंदु और वेब सीरीज के डायरेक्टर और राइटर आए. मंच पर बाबिल खान ने बताया कि आखिर उन्होंने अपने पिता इरफान खान क्या वो एक बात सीखी, जिसपर वो अमल करते हैं.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 11:50 AM IST

OTT के सितारों का महाकुंभ शुरू हो चुका है. 'साहित्य आजतक 2023' में इस बार 'द रेलवे मेन' की स्टार कास्ट आई. अपने किरदार और थोड़ी-बहुत पर्सनल लाइफ को लेकर सबने बात की. खासकर इरफान खान के बेटे बाबिल खान ने. बाबिल ने बताया कि वो नेपोटिज्म के ग्रे एरिया में हैं. वो लोगों से काम मांगते हैं. ऑडिशन देने जाते हैं. साथ ही लोग उन्हें पापा इरफान के नाम पर सिर्फ काम नहीं दे देते. बल्कि वो काम उन्हें अर्न करना पड़ता है. 

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पापा इरफान से बाबिल ने क्या सीखा?
ऑडियन्स में बैठे दर्शकों में से एक ने उनसे पूछा कि बाबिल आप अक्सर ही पापा इरफान की डायरी के कुछ पन्ने और यादें सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं. आपने उनकी डायरी से पढ़कर जीवन में क्या सीखा है. इसपर बाबिल ने कहा कि मैं पापा की डायरी पढ़ता हूं तो मैंने वहां से सिर्फ एक बात यही सीखी कि इंसानियत के बिना एक्टिंग नहीं होती है. अगर आपको एक्टिंग करनी है तो खुद के अंदर पहले दूसरों के लिए इंसानियत लानी पड़ेगी. 

क्या बोले केके मेनन?
'साहित्य आजतक 2023' के मंच पर सिर्फ बाबिल ने ही अपने एक्स्पीरियंस शेयर नहीं किए, बल्कि एक्टर केके मेनन, दिव्येंदु और 'द रेलवे मेन' के डायरेक्टर और राइटर भी मंच पर मौजूद रहे. सभी ने वेब सीरीज में अपने किरदारों को लेकर बात की. केके मेनन ने बताया कि जब उनके पास स्क्रिप्ट आई थी तो उन्हें पढ़कर लगा था कि ये कहानी काफी उम्दा है. इसपर काम करना चाहिए. फिर जब डायरेक्टर शिव रावैल से वो मिले तो पर्सनैलिटी देखकर लगा कि ये तो उम्र में बहुत छोटा है. इससे कहां कुछ हो पाएगा. पर जब बात की तो लगा कि इसका बेस काफी ठोस है. शिव के साथ दो दिन काम करने के बाद समझ आ गया कि कुछ बहुत बेहतरीन होने वाला है. 

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दिव्येंदु उर्फ 'मुन्ना भइया' ने 'द रेलवे मेन' में एक चोर का रोल निभाया है. जब वो प्लेटफॉर्म पर चोरी करने जाते हैं तभी गैस लीक कांड हो जाता है. ऐसे में वो चोरी भूलकर लोगों की जान बचाने लगते हैं. इस किरदार में ढलने को लेकर दिव्येंदु ने कहा कि मैं जब भी कोई किरदार पर्दे पर निभाता हूं तो उसके बारे में ज्यादा सोचता नहीं. ऑडियन्स पर छोड़ देता हूं. अगर उन्हें अपनाना होगा तो वो मुझे उस रूप में अपनाएंगे, वरना नहीं. मेरे लिए यह किरदार बाकी के सभी किरदारों से काफी अलग था. एक्स्पीरियंस काफी अच्छा रहा. 

बता दें कि 'द रेलवे मेन' का निर्देशन शिव रावैल ने संभाला है. भोपाल गैस कांड साल 1984 में हुआ था, तब यह पैदा भी नहीं हुए थे. पर इस तरह की कहानी पर काम करना शिव के लिए बड़ी बात रही. उन्होंने काफी रिसर्च के बाद इसे पर्दे पर लाने का तय किया था. शिव ने डायरेक्शन में इस वेब सीरीज से डेब्यू किया है. 

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