एकजुटता का मिशन, सेंधमारी का सपना... उपराष्ट्रपति चुनाव में INDIA ब्लॉक का ये होगा फोकस

उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार की तलाश शुरू हो गई है. कांग्रेस के अगुवाई वाला इंडिया ब्लॉक ऐसे उम्मीदवार पर दांव खेलने की स्टेटेजी बना रहा है, जिसके नाम पर विपक्ष को एकजुट रखने के साथ-साथ एनडीए में भी सेंधमारी कर सके.

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उपराष्ट्रपति चुनाव: राहुल गांधी और अखिलेश यादव की केमिस्ट्री (Photo-PTI) उपराष्ट्रपति चुनाव: राहुल गांधी और अखिलेश यादव की केमिस्ट्री (Photo-PTI)

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 11 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 12:41 PM IST

देश के अगले उपराष्ट्रपति के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए और कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक ने सियासी मंथन भी शुरू कर दिया है. बीजेपी की स्ट्रेटेजी 2022 की तरह ही एकतरफा जीत दर्ज करने की है तो कांग्रेस की रणनीति विपक्षी एकता के साथ एनडीए को घेरने की है.

उपराष्ट्रपति चुनाव के बहाने कांग्रेस की नजर विपक्षी एकता कायम कर शक्ति प्रदर्शन करने की है. इसके अलावा बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में सेंधमारी करने की है. इसी मद्देनजर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार शाम को इंडिया गठबंधन के नेताओं की डिनर पार्टी रखी, जिसमें 24 पार्टियों के 50 से ज़्यादा नेताओं ने शिरकत की थी.

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कांग्रेस उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की तरफ से संयुक्त उम्मीदवार उतारने की रणनीति पर काम कर रही है. विपक्ष लोकसभा और राज्यसभा में संख्या बल में सत्तापक्ष से पीछे है. इसके बावजूद इंडिया ब्लॉक एनडीए को फ्री हैंड देने के मूड में नहीं है. इंडिया ब्लॉक की रणनीति अपनी एकजुटता को बनाए रखते हुए एनडीए खेमे में सेंधमारी का प्लान बनाया है.

इंडिया ब्लॉक का एकजुटता का मिशन

राहुल गांधी की डिनर पार्टी में उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर चर्चा हुई थी. कांग्रेस की स्ट्रेटेजी संयुक्त उम्मीदवार उतारकर इंडिया ब्लॉक ही नहीं बल्कि पूरे विपक्ष को एकजुट करने की है. कांग्रेस की रणनीति बीजेपी को घेरने की है, जिसके लिए विपक्षी दलों की किलेबंदी अभी से शुरू कर दी गई है. इस चुनाव के बहाने कांग्रेस की नजर विपक्षी एकता कायम कर शक्ति प्रदर्शन करने और एनडीए को घेरने की है.

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2024 के लोकसभा चुनाव के बाद यह पहली बार है, जब इंडिया गठबंधन के नेता एकजुट नजर आ रहे हैं. विपक्षी दलों का मानना है कि एक मजबूत उम्मीदवार के साथ वे उपराष्ट्रपति चुनाव को रोचक बना सकते हैं. वो भले ही एनडीए के उम्मीदवार को जीत से न रोक सकें, लेकिन जगदीप धनखड़ जैसी बड़ी जीत से जरूर पीछे रख सकते हैं. कहा जा रहा है कि विपक्ष की ओर से उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार ऐसा होना चाहिए जिस पर विपक्ष के सभी दल एकमत हों.

ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने पिछले उपराष्ट्रपति चुनाव के दौरान वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया था. ममता बनर्जी ने 2024 के बाद कांग्रेस पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए थे, लेकिन अब इंडिया गठबंधन के साथ खड़ी नजर आ रही है. राहुल गांधी की डिनर पार्टी में भी टीएमसी ने शिरकत की थी. ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस ने उपराष्ट्रपति उम्मीदवार उतारने से पहले टीएमसी को अपने पाले में लाकर बड़ा संदेश दिया है.

एनडीए में सेंधमारी का इंडिया ब्लॉक प्लान

बीजेपी के लिए जगदीप धनखड़ जैसा समर्थन जुटाना इस बार के चुनाव में आसान नहीं है, क्योंकि सियासी समीकरण बदलने के साथ-साथ पुराने दोस्त भी बदल गए हैं. कांग्रेस की नजर इस बार एनडीए में सेंधमारी करने की है, जिसके लिए ऐसे उम्मीदवार की तलाश की जा रही है, जिससे एनडीए के घटक दलों को कशमकश में डाला जा सके. इसीलिए आंध्र प्रदेश या बिहार से उम्मीदवार उतारने की स्ट्रेटेजी अपना सकती है, जिसके चलते बीजेपी को एनडीए के दलों को एकजुट रखने की भी चुनौती होगी.

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विपक्ष का उम्मीदवार अगर बिहार से हुआ तो जेडीयू, एलजेपी, आरएलएम के लिए भाजपा के लिए असमंजस की स्थिति पैदा हो सकती है. इसी प्रकार आंध्र प्रदेश के उम्मीदवार के मामले में टीडीपी और जनसेना के सामने कशमकश की स्थिति होगी. इस तरह से दोनों सदनों को मिलाकर जेडीयू के पास 16, एलजेपी के पास 5 और आरएलएम के पास 1 सांसद हैं. टीडीपी के पास 18 और जनसेना पार्टी के पास 2 सांसद हैं. इस तरह से एनडीए में सेंधमारी करने की रणनीति पर कांग्रेस काम कर रही है.

न्यूट्रल दलों को साधने का सियासी दांव

कांग्रेस उपराष्ट्रपति चुनाव के बहाने उन दलों को भी अपने साथ जोड़ना चाहती है जो न ही अभी इंडिया ब्लॉक में हैं और न ही एनडीए का हिस्सा हैं. 2022 उपराष्ट्रपति के चुनाव में जगदीप धनखड़ को मिली जीत में एनडीए दलों के समर्थन के साथ-साथ कई गैर-एनडीए दलों का भी अहम योगदान रहा था. इसमें नवीन पटनायक की बीजेडी, जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस और मायावती की बसपा ने एनडीए के प्रत्याशी जगदीप धनखड़ को समर्थन दिया था, लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव के बाद स्थिति बदल गई है.

वाईएसआर कांग्रेस, बीआरएस और बीजेडी की बीजेपी के साथ पहले की तरह दोस्ती नहीं रही. बीजेडी के साथ बीजेपी के रिश्ते बिगड़ चुके हैं. बसपा के पास सिर्फ एक वोट ही बचा है जबकि पहले उसके पास 12 सांसदों का समर्थन था. इसके अलावा अकाली दल से लेकर एआईएडीएमके तक से बीजेपी का गठबंधन अब नहीं रहा. कांग्रेस की नजर इन न्यूट्रल दलों को अपने पाले में करने की है, जिसके लिए इंडिया ब्लॉक के बड़े नेताओं को साधने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. सूत्रों के अनुसार वाईएसआर कांग्रेस से शरद पवार और केसीआर से अखिलेश यादव बातचीत करेंगे.

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