धनखड़ से कितनी अलग रही राधाकृष्णन की जीत? विपक्ष ने क्या पाया-क्या खोया... वीपी चुनाव के सियासी मायने

उपराष्ट्रपति चुनाव में सीपी राधाकृष्णन ने बी सुदर्शन रेड्डी को 152 वोटों के अंतर से मात दी. ऐसे में सवाल उठता है कि राधाकृष्णन की जीत 2022 में जीते जगदीप धनखड़ से कैसे अलग है और इस बार के जीत के सियासी मायने क्या हैं?

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जगदीप धनखड़ से कैसे अलग है सीपी राधाकृष्णन की जीत (Photo-ITG) जगदीप धनखड़ से कैसे अलग है सीपी राधाकृष्णन की जीत (Photo-ITG)

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली ,
  • 10 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:10 PM IST

उपराष्ट्रपति चुनाव की सियासी बाज़ी एनडीए ने अपने नाम कर ली है. 'इंडिया' ब्लॉक के बी. सुदर्शन रेड्डी को मात देकर एनडीए प्रत्याशी सीपी राधाकृष्णन देश के 15वें उपराष्ट्रपति बन गए हैं. राधाकृष्णन भले ही एनडीए की ताकत से ज्यादा बड़ी जीत दर्ज करने में कामयाब रहे हैं, लेकिन जगदीप धनखड़ के मुकाबले उन्हें 76 वोट कम मिले हैं.

चुनाव नतीजों का ऐलान करते हुए राज्यसभा के महासचिव व निर्वाचन अधिकारी पीसी मोदी ने कहा कि कुल 781 में से 767 सांसदों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. इस तरह कुल 98.2 प्रतिशत मतदान हुआ. उन्होंने कहा कि 752 मत वैध थे और 15 अवैध पाए गए. राधाकृष्णन को 452 वोट मिले हैं, जबकि 'इंडिया' ब्लॉक के प्रत्याशी बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले हैं.

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राधाकृष्णन ने 152 वोटों की मार्जिन से उपराष्ट्रपति चुनाव में जीत दर्ज की है. इस तरह से एनडीए को अपनी उम्मीद से कहीं ज्यादा वोट मिले हैं, तो 'इंडिया' ब्लॉक को उसकी संख्या के कुल वोटों से 15 वोट कम मिले हैं. ऐसे में साफ है कि विपक्ष के कुछ सांसदों ने क्रॉस वोटिंग की है. ऐसे में यह सवाल उठता है कि उपराष्ट्रपति चुनाव के नतीजों के सत्ता पक्ष और विपक्ष के लिए सियासी मायने क्या हैं?

धनखड़ से कितनी अलग राधाकृष्णन की जीत

सीपी राधाकृष्णन ने भारी मतों से जीत दर्ज की है, लेकिन जगदीप धनखड़ जैसी मार्जिन हासिल नहीं कर सके. 2022 के उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की तरफ से जगदीप धनखड़ मैदान में थे, जिनके सामने विपक्ष की मार्गरेट अल्वा उतरी थीं. धनखड़ को 528 (74.37 फीसदी) वोट मिले थे तो अल्वा को 182 (25.63 फीसदी) मत मिले थे. इस तरह धनखड़ ने 346 वोटों से उपराष्ट्रपति चुनाव जीता था, लेकिन उन्होंने अचानक 21 जुलाई को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

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2025 के उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया था, जिनके सामने 'इंडिया' ब्लॉक ने पूर्व जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी पर दांव खेला था. सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने दक्षिण भारत से उम्मीदवार उतारे. राधाकृष्णन को 452 (60 फीसदी) वोट मिले हैं, जबकि 'इंडिया' ब्लॉक के बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 (40 फीसदी) वोट मिले. इस तरह राधाकृष्णन ने रेड्डी को 152 वोटों से चुनाव हराया.

राधाकृष्णन को कुल वैध मतों का 60 फीसदी वोट मिला, तो जगदीप धनखड़ को 2022 के चुनाव में कुल वैध मतों का 74.36 फीसदी मिला था. इस तरह धनखड़ से 14 फीसदी कम वोट राधाकृष्णन को मिले हैं. धनखड़ की जीत की मार्जिन 346 वोटों की थी तो राधाकृष्णन को 152 वोटों से जीत मिली. धनखड़ से 76 वोट कम राधाकृष्णन को मिले हैं. इस अंतर के पीछे सियासी वजहें हैं, 2024 के लोकसभा चुनाव से सांसद सदस्यों का गणित बदल गया है. इसके अलावा विपक्ष पहले से ज्यादा एकजुट रहा.

क्रॉस वोटिंग से 'इंडिया' ब्लॉक को लगा झटका

उपराष्ट्रपति का चुनाव पार्टी के चुनाव चिह्न पर नहीं लड़ा जाता है. यही वजह है कि कोई भी पार्टी व्हिप जारी नहीं करती. ऐसे में सांसद अपनी पसंद के सदस्यों को वोट करते हैं. इस बार के उपराष्ट्रपति चुनाव में माना जा रहा है कि 15 विपक्षी सांसदों ने एनडीए के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की है. इसे लेकर अब दोनों तरफ से सियासी संदेश देने की कवायद की जा रही है.

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संसद के सदस्यों के लिहाज से एनडीए के सदस्यों का कुल आँकड़ा 427 था तो 'इंडिया' ब्लॉक का 315 का बन रहा था. चुनाव नतीजे को देखें तो राधाकृष्णन को 452 सदस्यों का वोट मिला है और सुदर्शन रेड्डी को 300 सदस्यों का वोट मिला है. 'इंडिया' ब्लॉक की वास्तविक संख्या से 15 वोट सुदर्शन रेड्डी को कम मिले हैं तो एनडीए को 25 वोट ज्यादा मिले हैं. राधाकृष्णन को मिले ज्यादा वोटों में वाईएसआर कांग्रेस के अलावा बाकी 'इंडिया' ब्लॉक के सदस्यों के हैं.

बीजेपी की चुनावी रणनीति कैसे रही सफल?

'इंडिया' ब्लॉक की तमाम कोशिशों के बावजूद एनडीए विपक्षी वोटों में सेंधमारी करने में कामयाब रहा. 'इंडिया' ब्लॉक भले ही एकजुट रहा हो, लेकिन वह अपने सांसदों को क्रॉस वोटिंग करने से रोक नहीं सका. बीजेपी ने अपने सभी घटक दलों को एकजुट रखते हुए, जिस तरह विपक्षी सांसदों से राधाकृष्णन के पक्ष में क्रॉस वोटिंग कराया है. इसके सियासी मायने साफ हैं कि मोदी-शाह की रणनीति का काउंटर विपक्ष के पास नहीं है और साथ ही बड़े अंतर से जीत दर्ज कर विपक्ष को अपनी ताकत दिखा दी है.

कांग्रेस का सुदर्शन रेड्डी के रूप में गैर-राजनीतिक चेहरे को उतारकर सत्ता पक्ष के वोट को अपने पाले में करने की सारी कोशिश धरी रह गई है. सुदर्शन रेड्डी के ज़रिए 'इंडिया' ब्लॉक ने तेलुगु अस्मिता का दांव चला था, लेकिन न ही तेलंगाना की बीआरएस का समर्थन जुटा सकी और न ही आंध्र प्रदेश से आने वाली किसी पार्टी का. बीजेपी ने टीडीपी के साथ वाईएसआर कांग्रेस और पवन कल्याण की पार्टी का समर्थन जुटाने में सफलता पाई, जो 'इंडिया' ब्लॉक के लिए बड़ा सियासी झटका है.

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विपक्ष को एकजुट नहीं रख सका 'इंडिया' ब्लॉक

उपराष्ट्रपति पद के नतीजे से साफ है कि 'इंडिया' ब्लॉक भले ही ममता बनर्जी की टीएमसी और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी का समर्थन जुटाए रखा हो, लेकिन पूरे विपक्ष को लामबंद नहीं कर सकी. कांग्रेस की रणनीति फिर एक बार उन दलों को अपने साथ लाने की फेल रही, जो सत्ता पक्ष या विपक्ष, किसी का हिस्सा नहीं थे.

ओडिशा के बीजू जनता दल, तेलंगाना की बीआरएस और पंजाब के अकाली दल ने उपराष्ट्रपति चुनाव से दूरी बनाए रखी और किसी उम्मीदवार के पक्ष में वोट नहीं किया. बीजेडी और अकाली दल के बीजेपी से रिश्ते खराब होने के बाद भी कांग्रेस उन्हें अपने साथ नहीं जोड़ सकी. वोटिंग से दूर रहने के इन दलों के फैसले ने विपक्षी एकता के सियासी मंसूबे पर पानी फेर दिया.

बीजेपी-कांग्रेस में शह-मात का खेल जारी

बीजेपी ने एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन के भारत के नए उपराष्ट्रपति चुने जाने पर खुशी जताते हुए कहा कि यह चुनाव परिणाम उनकी व्यापक स्वीकार्यता का संकेत है. क्योंकि कई विपक्षी सांसदों ने भी अपनी अंतरात्मा की आवाज पर उन्हें वोट दिया. यह उम्मीद से कहीं बड़ी जीत मानी जा रही है, जिससे साफ है कि विपक्षी खेमे से भी क्रॉस वोटिंग हुई. लोकसभा में बीजेपी के मुख्य सचेतक संजय जायसवाल ने कहा कि एनडीए उम्मीदवार को 452 वोट इसलिए मिले, क्योंकि कुछ विपक्षी सांसदों ने भी उनका समर्थन किया. विपक्षी सांसदों ने अंतरात्मा की आवाज़ सुनकर एनडीए के उम्मीदवार राधाकृष्णन को वोट दिया है.

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वहीं, कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष पूरी तरह एकजुट था. बीजेपी की अंकगणितीय जीत वास्तव में नैतिक और राजनीतिक हार है. बीजेपी के साथ वैचारिक लड़ाई जारी रहेगी. साथ ही कांग्रेस नेता राजेश ठाकुर ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि क्रॉस वोटिंग से पता चलता है कि बीजेपी न केवल 'वोट चोरी' में बल्कि वोट की डकैती में भी शामिल है.

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