'नफरत फैलाने वाले कंटेंट पर लगे लगाम, लेकिन अभिव्यक्ति की आजादी बनी रहे', हेट स्पीच पर SC का केंद्र और राज्यों को निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और सभी राज्यों से को हेट स्पीच पर सख्ती से लगाम लगाने का निर्देश दिया है. लेकिन यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि अभिव्यक्ति की आजादी का सम्मान बना रहे. कोर्ट ने अभिव्यक्ति के आजादी को बेशकीमती बताया है.

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 हेट स्पीच पर नियंत्रण के लिए सुप्रीम कोर्ट का निर्देश हेट स्पीच पर नियंत्रण के लिए सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

अनीषा माथुर

  • नई दिल्ली,
  • 14 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 7:40 PM IST

Supreme Court on hate speech: सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया पर फैल रहे हेट स्पीच (नफरती भाषणों) को लेकर चिंता जाहिर की है. कोर्ट ने कहा है कि इन दिनों 'अभिव्यक्ति की आजादी' के नाम पर सब कुछ जायज ठहराने की कोशिश कर रही है. ये बिल्कुल खतरनाक है.

न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज फ़्रांसिस विस्वनाथन की बेंच के द्वारा ये टिप्पणी उस याचिका पर सुनवाई करते हुए आई जो कि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली के खिलाफ वजाहत खान नाम के शख्स ने दायर की थी. 

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बेंच ने कहा कि नफरती भरे भाषणों के खिलाफ कार्रवाई जरूरी है, लेकिन ये भी सुनिश्चित करने की जरूरत होगी कि किसी की भी बोलने की आजादी को कुचला न जाए. लोगों को भी अभिव्यक्ति की अधिकार का महत्व समझना चाहिए. यह अधिकार बेशकीमती है.

बेंच ने कहा कि लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मूल्य समझना चाहिए. राज्य को हर बार बीच में आकर कार्रवाई करनी पड़े, ये स्थिति नहीं होनी चाहिए. हेट स्पीच जैसे कंटेंट पर कुछ नियंत्रण ज़रूरी है. आम नागरिकों को भी ऐसे कंटेंट को शेयर करने, प्रमोट या लाइक करने से बचना चाहिए. 

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वजहात खान को कोर्ट से मिली राहत 

वजहात खान के वकील ने कोर्ट में पुराने ट्वीट्स के लिए माफी मांगी. वकील ने कहा कि मेरी शिकायत ही मेरे लिए मुश्किल बनते जा रही है. मैंने इसके लिए माफी मांग ली है. लेकिन मैं बस यही चाहता हूं कि कोर्ट देखे कि FIR वाकई उन्हीं ट्वीट्स से जुड़ी है या नहीं.

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कोर्ट ने कहा कि हर बार नया FIR और जेल में डालने का क्या मतलब है? इससे कोई समाधान नहीं निलकलेगा.

कोर्ट की बड़ी टिप्पणी

न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि अब पोस्ट डिलीट करने का कोई मतलब नहीं है, एक बार जो इंटरनेट पर चीजें डल जाती हैं वो हमेशा के लिए रहती हैं. अभिव्यक्ति की आजादी बहुत ही अहम मौलिक अधिकार है. लेकिन इसका दुरुपयोग करने से बस अदालतों में भीड़ बढ़ती है. 

पिछली सुनवाई में क्या हुआ?

24 जून को हुई पिछली सुनवाई में, सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एजी विश्वनाथन और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने केंद्र सरकार और असम, दिल्ली, हरियाणा और पश्चिम बंगाल की राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया था. यह नोटिस वजाहत खान की याचिका पर दिया गया था, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज सभी FIR को एक साथ जोड़ने की मांग की गई.

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वजाहत खान पर क्या आरोप हैं?

वजाहत खान पर आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया पर ऐसे पोस्ट किए जो कथित तौर पर धार्मिक घृणा और साम्प्रदायिक तनाव को बढ़ावा देते हैं. उनके खिलाफ कई राज्यों में FIR दर्ज हुई हैं. 9 जून को वजाहत खान को गिरफ्तार किया गया था. एक FIR में वे पुलिस हिरासत में हैं और दूसरी FIR में न्यायिक हिरासत में.

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