भारत ने मोदी सरकार के कार्यकाल में बीते एक दशक में यूपीआई, सेमीकंडक्टर से लेकर 5जी टेक्नोलॉजी में तेजी से डेवलप किया है. हमारे देश में जो डिजिटल क्रांति आई है उसे देख दुनिया भी हैरान है. डिजिटल दुनिया में भारत ने तेजी से कदम बढ़ाए हैं. लेकिन, इसी तेजी के बीच ऑनलाइन गेमिंग की अंधेरी दुनिया में खतरे भी कई गुना बढ़ गए हैं. इसलिए मोदी सरकार ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव लाने जा रही है. बुधवार को मॉनसून सत्र के दौरान लोकसभा से 'प्रमोशन एंड रेग्युलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल, 2025' पास हो गया है.
प्रमोशन एंड रेग्युलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल, 2025 को ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 भी कहा जा रहा है. सरकार का उद्देश्य इसके पीछे असली पैसे वाले खेलों पर लगाम लगाना है. साथ ही ई-स्पोर्ट्स और स्किल-बेस्ड सोशल गेम्स को बढ़ावा देना है.
आने वाले समय में फैंटेसी लीग, कार्ड गेम्स, ऑनलाइन लॉटरी, पोकर, रमी और सट्टेबाजी पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने जा रही है. इनसे जुड़ी फाइनेंशियल लेन-देन और एडवरटाइजमेंट भी अब अपराध के कैटेगरी में आएंगे. मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुए कैबिनेट बैठक में ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 को मंजूरी दे दी गई थी.
कड़ाई क्यों जरूरी?
सरकारी सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया है कि ये प्लेटफॉर्म केवल गेम्स नहीं हैं. बल्कि ये लोगों को मनोवैज्ञानिक जाल में फंसाते हैं और लोग इसकी लत के शिकार हो जाते हैं. उन्हें वित्तीय घाटा भी होता है. कई मामले तो ऐसे भी हैं जिसमें लोग आत्महत्या भी कर लेते हैं.
इसके साथ ही इन प्लेटफॉर्म के जरिए दूसरे देश से अवैध रूप से भारत में पैसे आते हैं (मनी लॉन्ड्रिंग), आतंकियों को फंडिंग और डिजिटल धोखाधड़ी की जाती है.
बिल के बड़े प्रावधान क्या हैं?
ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा: वैध खेल के रूप में मान्यता, ट्रेनिंग, नीति समर्थन और इवेंट्स.
सोशल और शैक्षिक गेम्स को मंजूरी: जो सीखने, जागरूकता और सकारात्मक उपयोग को बढ़ाएं.
रियल मनी गेम्स पर प्रतिबंध: ऑफर, विज्ञापन और लेन-देन सब बैन.
ऑनलाइन गेमिंग अथॉरिटी: राष्ट्रीय स्तर पर निगरानी, रजिस्ट्रेशन और कार्रवाई की ताकत.
कड़े दंड: ऑपरेटरों को 3 साल तक जेल और 1 करोड़ तक जुर्माना. विज्ञापन करने वालों को 2 साल जेल और 50 लाख जुर्माना. बार-बार अपराध करने वालों पर 5 साल तक की सजा और 2 करोड़ तक का दंड.
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कॉर्पोरेट पर भी शिकंजा
इस बिल के पास होने के बाद इसके ज़रिए कॉर्पोरेट पर भी शिकंजा कसा जाएगा. कंपनी के अधिकारी और मैनेजमेंट सीधे जिम्मेदार होंगे. हालांकि स्वतंत्र निदेशकों को बचाव मिलेगा.
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के साथ इसके प्रावधान को जोड़े गए हैं. जिसके तहत जांच एजेंसियां बिना वारंट सर्च, सीज और गिरफ्तारी कर पाएंगी.
ये बिल क्यों है जरूरी?
रचनात्मक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: यह बिल भारत को वैश्विक गेमिंग और टेक एक्सपोर्ट का नया हब बनाने की दिशा में कदम बढ़ाएगा.
युवा सशक्तिकरण: ई-स्पोर्ट्स, स्किल-बेस्ड गेम्स और डिजिटल लिटरेसी को मिलेगा इंस्टीट्यूशनल सहयोग और सरकारी बढ़ावा.
परिवारों की सुरक्षा: धोखेबाज और लत लगाने वाले रियल-मनी गेमिंग ऐप्स से परिवारों को आर्थिक और सामाजिक नुकसान से बचाया जाएगा.
वैश्विक नेतृत्व: जिम्मेदार और संतुलित डिजिटल गेमिंग नीति के जरिए भारत दुनिया के सामने एक मॉडल प्रस्तुत करेगा.
ऐश्वर्या पालीवाल