महिला वोटिंग हो या SIR… सब ढूंढते रह गए पैटर्न! डेटा ने उलट दी बिहार चुनाव की पूरी कहानी 

इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं. 

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बिहार चुनाव: आंकड़ों की पहेली, नतीजों की कहानी बिल्कुल जुदा! (Photo: PTI) बिहार चुनाव: आंकड़ों की पहेली, नतीजों की कहानी बिल्कुल जुदा! (Photo: PTI)

ऐश्वर्या पालीवाल

  • नई दिल्ली ,
  • 20 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:59 PM IST

विपक्ष खासकर कांग्रेस कई महीनों से और पूरे चुनावी दौर में SIR (स्पेशल इंटेस‍िव र‍िव‍िजन) को लेकर चुनाव आयोग पर सवाल उठा रहा था. आरोप लगाया जा रहा था कि SIR में गड़बड़ी हुई है. लेकिन जब असली डेटा देखा गया तो तस्वीर उलटी निकली. SIR का सबसे ज्यादा फायदा तो कई विपक्षी पार्टियों को ही मिला है.

इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं. 

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किस पर रहा SIR का असर

243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में NDA ने 83% सीटें अपने नाम कर लीं. लेकिन SIR से जुड़े आंकड़े बताते हैं कि जिन 5 सीटों पर सबसे ज्यादा और सबसे कम वोटर-डिलीशन हुआ, उनमें से चार-चार सीटें NDA को मिलीं. फिर भी कांग्रेस ने किशनगंज और चनपटिया जैसी सीटें जीत लीं. एक पर पांचवां सबसे ज्यादा डिलीशन हुआ था, दूसरी पर दूसरा सबसे कम. यानी आरोपों के उलट, SIR का असर किसी एक पार्टी के पक्ष या विपक्ष में साफ नहीं दिखता.

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महिलाओं के वोट ने और उलझाई तस्वीर

महिलाओं को बैंक खाते में 10,000 रुपये की स्कीम का फायदा मिला जिससे NDA को माना जा रहा था कि बड़ी मदद मिली. लेकिन आंकड़े बताते हैं कि उच्च महिला मतदान का फायदा हर पार्टी को मिला, किसी एक को नहीं. AIMIM ने सबसे ज्यादा महिला मतदान वाले 5 में से 3 सीटें (कोचाधामन, बैसी, अमौर) जीत लीं.JDU ने ठाकुरगंज में 90% महिला वोटिंग के बीच जीत दर्ज की. BJP ने प्रणपुर को 89% महिला मतदान के साथ जीता.

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जहां सबसे ज्यादा डिलीशन? BJP और JDU आगे

इंडिया टुडे के विश्लेषण के अनुसार सबसे ज्यादा वोटर डिलीशन वाली सीटें गोपालगंज, पूर्णिया, मोतिहारी  में BJP आगे रही. उसके बाद कुचायकोट में JDU आगे रही. वहीं सबसे कम डिलीशन वाली सीटें BJP और LJP(RV) ने बराबर-बराबर बांटीं.

जहां नाम जुड़े (additions), वहां भी NDA का दबदबा

30 सितंबर से 20 अक्टूबर के बीच जिन सीटों पर सबसे ज्यादा नए वोटर जुड़े, उनमें से 5 में से 4 सीटों पर अब NDA का कब्जा है. 

BJP: नौतन, तरारी
JDU: ठाकुरगंज
LJP(RV): चेनेरी
कांग्रेस: केवल अररिया

टर्नआउट (मतदान प्रतिशत) में भी एक पैटर्न नहीं

सबसे ज्यादा वोटिंग (81.9%) कस्बा में हुई, सीट गई LJP(RV) को.
JDU ने बरारी और ठाकुरगंज जीता.
कांग्रेस ने किशनगंज 80.2% टर्न आउट के बीच जीता.
सबसे कम वोटिंग वाली सीटों में BJP ने 4 सीटें कुम्हरार, बांकीपुर, दीघा और बिहारशरीफ जीतीं. JDU ने नवादा अपने नाम की.

जीत का मार्जिन भी समझ नहीं आता…

सबसे बड़े मार्जिन वाली सीटें: JDU (रुपौली, गोपालपुर), BJP (दीघा, औराई), LJP(RV) (सुगौली)
सबसे कम मार्जिन वाली सीटों में जीत बंटी- JDU, BSP, BJP और RJD के बीच.

इस तरह देखा जाए तो आंकड़े किसी एक दिशा में नहीं जाते. बिहार का चुनाव गणित नहीं, शुद्ध उथल-पुथल है. बिहार के ताजा चुनाव डेटा में कोई एक सा पैटर्न नहीं दिखता. ना turnout से नतीजे तय हुए… ना deletions से…ना ही महिलाओं के वोट से कोई साफ लाइन खिंची…

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हर सीट पर कहानी अलग है जैसे अराजक काव्य हो, नियमों पर नहीं चलता. बिहार चुनाव पर विपक्ष के आरोप लेकिन आंकड़े कुछ और ही कहानी बताते हैं. 

EC का डेटा चौंकाने वाला: बिहार के SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) और चुनाव नतीजों के बीच ऐसा तालमेल दिखा है जो सामान्य समझ से परे है. पिछले कुछ महीनों से खासकर चुनावों के दौरान, विपक्ष खासकर कांग्रेस लगातार SIR प्रक्रिया पर सवाल उठा रहा था. लेकिन जैसे ही आंकड़ों को ध्यान से देखा गया, कई सीटों पर SIR का फायदा विपक्षी दलों को भी मिलता दिखा.

India Today ने ECI के डेटा की एक विस्तृत जांच की और पता चला कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा पैटर्न नहीं है. जो भी रुझान बनता दिखा, वो कुछ ही सीटों में टूट गया.

NDA ने राज्य की 243 में से 83% सीटों पर कब्जा किया लेकिन SIR से जुड़े आंकड़े अलग तस्वीर दिखाते हैं. SIR के तहत सबसे ज्यादा और सबसे कम वोटर डिलीशन वाली पांच में से चार सीटें NDA को मिलीं. इसके बावजूद कांग्रेस ने किशनगंज और चनपटिया जैसी सीटें जीत लीं. एक पर पांचवां सबसे ज्यादा डिलीशन और दूसरी पर दूसरा सबसे कम डिलीशन था.

महिलाओं का वोट: किसी एक पार्टी के पास नहीं गया पूरा समर्थन

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महिला वोटरों का बड़ा योगदान NDA को बढ़त देने में माना जा रहा है, खासकर बैंक खातों में 10,000 रुपये मिलने की वजह से. लेकिन यहां भी पैटर्न साफ नहीं दिखता. AIMIM ने उन पांच सीटों में से तीन जीतीं जहां महिला मतदान कोचाधामन, बैसी और अमौरा सबसे ज्यादा था. यानी महिला वोटिंग ज्यादा होने का मतलब हमेशा NDA की जीत नहीं रहा. 

जेडीयू ने ठाकुरगंज जीता जहां 90% महिलाओं ने वोट डाला और बीजेपी ने प्रणपुर जीता, जहां महिला मतदान 89% रहा.

India Today के विश्लेषण में पाया गया कि सबसे ज्यादा वोटर डिलीशन वाली सीटों गोपालगंज, पूर्णिया और मोतिहारी में बीजेपी आगे रही. जेडीयू कुचायकोट में दूसरे नंबर पर रही. वहीं, सबसे कम डिलीशन वाली सीटों में बीजेपी और एलजेपी(राम विलास) ने बराबरी से जीतें बांटीं.

नए वोटर जुड़ने में भी NDA आगे

30 सितंबर से 20 अक्टूबर तक सबसे ज्यादा नए वोटर जिन पांच सीटों में जुड़े, उनमें से चार बीजेपी (नौतन और तारारी), जेडीयू (ठाकुरगंज), एलजेपी(आरवी) (चेनारी)अब NDA के पास हैं. केवल अररिया कांग्रेस ने जीता.

टर्नआउट में भी दिखा उलटा-पुलटा ट्रेंड

सबसे ज्यादा मतदान कोसबा में 81.9% हुआ और सीट एलजेपी(आरवी) को मिली. इसके बाद जेडीयू ने बरारी और ठाकुरगंज में जीत दर्ज की, और कांग्रेस ने किशनगंज जीता, जहां 80.2% मतदान हुआ. सबसे कम मतदान वाली सीटों में बीजेपी ने चार सीटें कुमारहर, बांकीपुर, दीघा और बिहारशरीफ जीतीं. जेडीयू ने नवादा जीता.

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जीत का अंतर: कोई साफ पैटर्न नहीं

यहां भी NDA की मौजूदगी हर तरफ दिखी. जेडीयू ने रुपौली और गोपालपुर जीता, बीजेपी ने दीघा और औराई और एलजेपी(आरवी) ने सुगौली में बड़ी जीत दर्ज की. सबसे कम जीत अंतर वाली सीटों में भी कोई एक ट्रेंड नहीं मिला. यहां जेडीयू, बीएसपी, बीजेपी और आरजेडी सभी को जीत मिली.

नतीजा: बिहार के आंकड़े किसी साफ पैटर्न में नहीं ढलते

बिहार के चुनावी आंकड़े किसी तय फॉर्मूले को नहीं मानते. न ज्यादा डिलीशन जीत की गारंटी है, न महिला टर्नआउट, न ज्यादा वोटिंग. ये चुनाव ऐसी उलझनों से भरा था जहां हर सीट की कहानी अलग थी.

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