बिहार के पूर्णिया जिले में स्थित रुपौली विधानसभा क्षेत्र एक सामान्य श्रेणी का निर्वाचन क्षेत्र है, जो पूर्णिया लोकसभा सीट का हिस्सा भी है. इसमें रुपौली और भवनिपुर सामुदायिक विकास खंड शामिल हैं, साथ ही बरहरा कोठी ब्लॉक के आठ ग्राम पंचायत भी इसके अंतर्गत आते हैं.
यह इलाका कोसी क्षेत्र में आता है, जो अपनी उपजाऊ जमीन और बार-बार आने वाली
बाढ़ों के लिए जाना जाता है. कोसी नदी इस क्षेत्र के पश्चिमी किनारे से होकर बहती है और इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था तथा कमजोरियों को गहराई से प्रभावित करती है. यहां मुख्य रूप से धान, मक्का और गेहूं की खेती होती है, जबकि केला और जूट की खेती भी कुछ हिस्सों में देखी जाती है. हालांकि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है, लेकिन औद्योगिक गतिविधियां सीमित हैं और यहां से मौसमी पलायन भी काफी अधिक होता है.
रुपौली, पूर्णिया जिला मुख्यालय से लगभग 40 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित है. बनमनखी लगभग 25 किमी उत्तर-पश्चिम में और भवनिपुर करीब 15 किमी दक्षिण में है. राज्य की राजधानी पटना से इसकी दूरी लगभग 300 किमी है. यह इलाका सड़कों से जुड़ा हुआ है और निकटतम रेलवे स्टेशन बनमनखी जंक्शन है.
1951 में स्थापित इस विधानसभा सीट पर अब तक 17 चुनाव हो चुके हैं. यह सीट कभी आरक्षित नहीं रही और विभिन्न राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व यहां से हो चुका है. कांग्रेस ने यहां 6 बार, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने 2 बार, जद(यू) ने 3 बार और राजद ने 1 बार जीत दर्ज की है. स्वतंत्र उम्मीदवारों ने भी 3 बार सफलता पाई है, जबकि लोजपा और समाजवादी पार्टी ने एक-एक बार इस सीट पर कब्जा किया है.
हाल के वर्षों में यहां का चुनावी मुकाबला मुख्य रूप से बीमा भारती और शंकर सिंह के बीच केंद्रित रहा है. बीमा भारती 2000 से अब तक 5 बार विधायक रह चुकी हैं, एक बार निर्दलीय, एक बार राजद से और तीन बार जद(यू) से. दूसरी ओर, शंकर सिंह ने लोजपा से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी और बाद में निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़े.
2020 के विधानसभा चुनाव में जद(यू) की बीमा भारती ने लोजपा के शंकर सिंह को 19,330 वोटों से हराया. उस चुनाव में 60.69% मतदान दर्ज हुआ था.
हालांकि 2024 में राजनीतिक स्थिति पूरी तरह बदल गई. लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए बीमा भारती ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया और राजद के टिकट पर मैदान में उतरीं, लेकिन हार गईं. इसके बाद हुए उपचुनाव में शंकर सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जद(यू) के कलाधर प्रसाद मंडल को 8,246 वोटों से हराया. बीमा भारती तीसरे स्थान पर रहीं. इस उपचुनाव में मतदान प्रतिशत गिरकर 52.75% रह गया, जो 2020 की तुलना में लगभग आठ प्रतिशत कम था.
2020 में रुपौली विधानसभा क्षेत्र में 3,07,030 पंजीकृत मतदाता थे. इनमें अनुसूचित जाति के मतदाता लगभग 37,304 (12.15%), अनुसूचित जनजाति के 9,334 (3.04%) और मुस्लिम मतदाता 37,457 (12.20%) थे. 2024 के लोकसभा चुनाव तक मतदाता संख्या बढ़कर 3,12,605 हो गई, जबकि 6,275 मतदाताओं ने पलायन कर दिया था.
2024 के लोकसभा चुनाव में, हालांकि जद(यू) पूर्णिया लोकसभा सीट जीत नहीं पाई, लेकिन रुपौली विधानसभा खंड में संतोष कुमार ने 24,674 वोटों की बढ़त बनाई, जो पार्टी के लिए आशा की किरण है.
जैसे-जैसे 2025 का विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, रुपौली क्षेत्र एक जटिल राजनीतिक तस्वीर पेश करता है. जद(यू) को अपनी खोई जमीन वापस पाने की चुनौती है, वहीं राजद को अपने मतदाता आधार को पुनर्जीवित करने की जरूरत है. शंकर सिंह की निर्दलीय जीत ने इस सीट की राजनीति में नई अनिश्चितता जोड़ दी है. यह सीट पहले ही अपने बदलते राजनीतिक रुझानों के लिए जानी जाती है, और आगामी चुनावों में यहां दिलचस्प मुकाबले की पूरी संभावना है.
(अजय झा)