सामने आया भारत का सुदर्शन चक्र... DRDO ने किया टेस्ट, ऑपरेशन सिंदूर में PAK की बजाई थी बैंड

भारत की नई राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली, ‘सुदर्शन चक्र’, एक आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम है. इसे डीआरडीओ और इसरो ने मिलकर तैयार किया है. इसका नाम भगवान विष्णु के अस्त्र ‘सुदर्शन चक्र’ पर रखा गया है, जिसे शत्रुओं के विनाश और विजय का प्रतीक माना जाता है.

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ओडिशा के तट पर सुदर्शन चक्र के हथियारों में से एक मिसाइल दागता हुआ. (Photo: X/Rajnath Singh) ओडिशा के तट पर सुदर्शन चक्र के हथियारों में से एक मिसाइल दागता हुआ. (Photo: X/Rajnath Singh)

शिवानी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 24 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 11:53 AM IST

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 23 अगस्त 2025 को दोपहर करीब 12:30 बजे, ओडिशा के तट पर एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली (IADWS) का पहला उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया. यह उपलब्धि भारत की वायु रक्षा प्रणाली को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है.

क्या है आईएडीडब्ल्यूएस?

आईएडीडब्ल्यूएस एक बहु-स्तरीय वायु रक्षा प्रणाली है, जिसमें पूरी तरह से स्वदेशी तकनीकों का उपयोग किया गया है. इसमें शामिल हैं...

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  • क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल (QRSAM): यह तेजी से प्रतिक्रिया देने वाली मिसाइल है, जो हवाई हमलों को रोकने में सक्षम है.
  • एडवांस्ड वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (VSHORADS): यह छोटी दूरी की मिसाइल प्रणाली है, जो नजदीकी खतरों को नष्ट करने के लिए बनाई गई है.  
  • हाई पावर लेजर आधारित डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW): यह एक अत्याधुनिक लेजर हथियार है, जो दुश्मन के हवाई हमलों को बेअसर करने में सक्षम है.

यह प्रणाली मिलकर एक मजबूत सुरक्षा कवच बनाती है, जो देश के महत्वपूर्ण ठिकानों को हवाई खतरों से बचाने में मदद करेगी.

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सुदर्शन चक्र क्या है?

'सुदर्शन चक्र' भारत की एक नई राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली है यानी एयर डिफेंस सिस्टम, जिसे डीआरडीओ (DRDO) और इसरो (ISRO) ने विकसित किया है. इसका नाम हिंदू पौराणिक कथा के भगवान विष्णु के प्रसिद्ध शस्त्र 'सुदर्शन चक्र' से प्रेरित है, जो दुश्मनों को पराजित करने का प्रतीक है. यह एक एडवांस मिसाइल डिफेंस और निगरानी प्रणाली है, जो भारत को हवाई हमलों, मिसाइलों और ड्रोन हमलों से बचाने के लिए डिजाइन की गई है.

सुदर्शन चक्र की विशेषताएं

  • रेंज: 2500 किलोमीटर तक दुश्मन की मिसाइलों को नष्ट करने की क्षमता.
  • ऊंचाई: 150 किलोमीटर तक हवा में मिसाइलों को इंटरसेप्ट कर सकता है.
  • प्रौद्योगिकी: इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और लेजर-गाइडेड सिस्टम हैं, जो सटीक निशाना लगाते हैं.
  • गति: 5 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से मिसाइल दाग सकता है.
  • संरचना: यह एक ग्राउंड-बेस्ड और स्पेस-बेस्ड हाइब्रिड सिस्टम है, जिसमें सैटेलाइट और रडार नेटवर्क शामिल हैं.
  • लक्ष्य: बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल और हाइपरसोनिक हथियारों को नष्ट करना.
  • तैनाती: इसे 2026 तक पूरी तरह चालू करने का लक्ष्य है. लागत करीब 50,000 करोड़ रुपये अनुमानित है.

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QRSAM की खासियत

इन मिसाइलों में स्वदेशी रेडियो फ्रिक्वेंसी सीकर (RF Seeker) लगे हैं. इस सिस्टम में इसके अलावा मोबाइल लॉन्चर, ऑटोमेटेड कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम, सर्विलांस और मल्टी-फंक्शन राडार होता है. आप इस मिसाइल को दागने के बाद भूल जाइए. यह अपने टारगेट का पीछा करके मारता है. 

QRSAM के ऊपर HMX/TNT या प्री-फ्रैगमेंटेड वॉरहेड लगाया जा सकता है. वॉरहेड का वजन 32 kg हो सकता है. मिसाइल की रेंज 3 से 30 km है. यह 98 फीट ऊंचाई से लेकर 33 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकती है. इसकी अधिकतम गति मैक 4.7 यानी 5757.70 km/hr है. इसे छह ट्यूब वाले लॉन्चर ट्रक से दागा जा सकता है. 

VShorAD की ताकत

VShorAD एयर डिफेंस सिस्टम रूस के S-400 जैसा है. अभी तक इसे जमीन पर रखे मैन पोर्टेबल लॉन्चर से दागा जाता था. अब इस लॉन्चर को ट्रक, बख्तरबंद वाहन, टैंक आदि पर भी तैनात किया जा सकता है. यानी इसे आसानी से चीन सीमा से सटे हिमालय या पाकिस्तान से सटी रेगिस्तानी सीमा पर तैनात कर सकते हैं. 

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इससे विमान, फाइटर जेट, हेलिकॉप्टर, मिसाइल या ड्रोन को मार गिराया जा सकता है. VSHORADS को बनाने में डीआरडीओ की मदद हैदराबाद स्थित रिसर्च सेंटर इमारत ने की है. इस मिसाइल में कई तरह की नई आधुनिक तकनीकें लगी हैं. जैसे- ड्यूल बैंड IIR सीकर, मिनिएचर रिएक्शन कंट्रोल सिस्टम, इंटीग्रेटेड एवियोनिक्स. 

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हल्का, मारक और सटीक एयर डिफेंस सिस्टम

इसका प्रोपल्शन सिस्टम ड्यूल थ्रस्ट सॉलिड मोटर है, जो इसे तेज गति प्रदान करता है. इस मिसाइल का इस्तेमाल भारतीय सेनाएं एंटी-एयरक्राफ्ट वॉरफेयर में कर सकती हैं. VSHORADS का वजन 20.5 kg है. इसकी लंबाई करीब 6.7 फीट है और व्यास 3.5 इंच. यह अपने साथ 2 kg वजन का हथियार ले जा सकता है. 

1800 km/hr की गति से करता है हमला 

इसकी रेंज 250 मीटर से 6 km है. अधिकतम 11,500 फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. अधिकतम गति मैक 1.5 है. यानी 1800 किमी प्रतिघंटा. इससे पहले इसकी टेस्टिंग पिछले साल मार्च और 2022 में 27 सितंबर को की गई थी. 

प्रधानमंत्री का ‘सुदर्शन चक्र’ ऐलान

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मिसाइल रक्षा प्रणाली को ‘सुदर्शन चक्र’ का नाम दिया. उन्होंने कहा कि 2035 तक मैं इस रक्षा कवच को और विस्तार देना, मजबूत करना और आधुनिक बनाना चाहता हूं. उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस पूरी प्रणाली का अनुसंधान, विकास और निर्माण भारत में ही होगा.  

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‘सुदर्शन चक्र’ एक बहु-स्तरीय ढांचा है, जिसमें उन्नत निगरानी, साइबर सुरक्षा और भौतिक सुरक्षा उपाय शामिल होंगे. इसका उद्देश्य नागरिकों और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को दुश्मन के हमलों से सुरक्षित रखना है.

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डीआरडीओ और सेना को बधाई

इस सफल परीक्षण के लिए डीआरडीओ, भारतीय सशस्त्र बलों और उद्योग जगत को बधाई दी गई है. यह परीक्षण भारत की वायु रक्षा क्षमता को और मजबूत करता है. आईएडीडब्ल्यूएस का यह पहला परीक्षण ‘सुदर्शन चक्र’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो देश को हवाई खतरों से बचाने में अहम भूमिका निभाएगा.

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