हाल ही में एक पॉडकास्ट में भारतीय वायुसेना के पूर्व प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तेजस को लेकर एक बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि 2019 में बालाकोट एयरस्ट्राइक और उसके बाद पाकिस्तान के साथ हुई हवाई झड़प के दौरान तेजस को फॉरवर्ड एयरबेस पर तैनात करने के लिए तैयार नहीं था.
इस बयान ने भारतीय रक्षा विशेषज्ञों के बीच बहस छेड़ दी है. कई लोगों ने धनोआ के दावे को चुनौती दी और कहा कि तेजस न केवल मिग-21 से बेहतर था, बल्कि 2013 के आयरन फिस्ट अभ्यास में इसने अपनी क्षमताओं को साबित भी किया था.
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बालाकोट हवाई हमला और मिग-21 की भूमिका
26 फरवरी, 2019 को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शिविर पर हवाई हमला किया. इसके जवाब में, अगले दिन 27 फरवरी को पाकिस्तान ने ऑपरेशन शुरू किया और भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की.
इस दौरान हुई डॉग फाइट में भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान ने मिग-21 बाइसन विमान से एक पाकिस्तानी F-16 को R-73 मिसाइल से मार गिराया. उनका मिग-21 भी क्षतिग्रस्त हो गया. उन्हें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में इजेक्ट करना पड़ा, जहां उन्हें पकड़ लिया गया.
इस घटना ने मिग-21 की कमियों को उजागर किया, जो 1960 के दशक का एक पुराना विमान है. तेजस को लेकर सवाल उठे कि क्या यह आधुनिक युद्ध के लिए तैयार था? धनोआ ने अपने बयान में कहा कि तेजस, जो उस समय इनिशियल ऑपरेशनल क्लीयरेंस (IOC) कॉन्फिगरेशन में था. उसको श्रीनगर या पठानकोट जैसे अग्रिम हवाई अड्डों पर तैनात करने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं था. इसलिए मिग-21 जैसे पुराने विमानों का इस्तेमाल करना पड़ा.
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तेजस की क्षमताएं: 2013 का आयरन फिस्ट अभ्यास
भारतीय रक्षा समुदाय ने धनोआ के इस दावे का तीखा विरोध किया. कई विशेषज्ञों ने 2013 में राजस्थान के पोखरण में आयोजित आयरन फिस्ट अभ्यास का हवाला दिया, जिसमें तेजस ने अपनी ताकत दिखाई थी.
इस अभ्यास में तेजस ने मिग-21 द्वारा इस्तेमाल होने वाले सभी हथियारों को सफलतापूर्वक दागा, जिसमें R-73 क्लोज-कॉम्बैट मिसाइल और सटीक बम शामिल थे. इसके अलावा, तेजस ने मिसाइल से बचने के लिए फ्लेयर क्षमता भी दिखाई, जो 2019 की तरह की हवाई झड़प में बहुत जरूरी थी.
आयरन फिस्ट 2013 में तेजस ने मिग-21 के सभी हथियारों का प्रदर्शन किया. इलेक्ट्रॉनिक जैमर को छोड़कर, यह मिग-21 से बेहतर विमान था. 2018 तक तेजस ने फाइनल ऑपरेशनल क्लीयरेंस (FOC) के कई महत्वपूर्ण स्टेज हासिल कर लिए थे, जिसमें डर्बी बीवीआर (बियॉन्ड विजुअल रेंज) मिसाइल के साथ लंबी दूरी के लक्ष्यों को भेदने की क्षमता शामिल थी.
ये परीक्षण कलाईकुंडा हवाई अड्डे पर किए गए थे, जहां तेजस ने अपने एल्टा ईएल/एम-2032 रडार और मिसाइल इंटीग्रेशन का प्रदर्शन किया. इस रडार की मदद से तेजस 70 किलोमीटर तक के लक्ष्यों को निशाना बना सकता था.
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मिग-21 की कमियां और तेजस का दम
मिग-21 को 1960 के दशक में डिजाइन किया गया था, आधुनिक हवाई युद्ध के लिए पुराना पड़ चुका है. इसका रडार केवल 30-40 किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य को ट्रैक कर सकता है. इसमें कोई स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर (EW) सिस्टम नहीं है.
इसकी तुलना में तेजस एक चौथी पीढ़ी का विमान है, जिसमें फ्लाई-बाय-वायर नियंत्रण, आधुनिक ग्लास कॉकपिट, और बेहतर मैन्यूवरिंग है. इसका डेल्टा-विंग डिजाइन इसे हल्का और तेज बनाता है. इसका रडार क्रॉस-सेक्शन भी कम है, जिससे इसे दुश्मन के रडार में पकड़ना मुश्किल होता है.
2019 में पाकिस्तान के F-16 विमान ने AMRAAM मिसाइलों से मिग-21 को निशाना बनाया. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर तेजस का इस्तेमाल होता, तो यह अपनी बेहतर तकनीक और मैन्यूवरिंग के कारण ज्यादा प्रभावी हो सकता था.
तेजस को क्यों नहीं चुना गया?
धनोआ के दावे के बावजूद, तेजस को 2019 में अग्रिम हवाई अड्डों पर तैनात न करने के कई कारण थे...
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तेजस का भविष्य और अमेरिकी इंजन की भूमिका
2019 की घटना ने यह साफ कर दिया कि मिग-21 जैसे पुराने विमानों को जल्द से जल्द बदलने की जरूरत है. तेजस को भारतीय वायुसेना के भविष्य के रूप में देखा जा रहा है. यह विमान जीई F404 इंजन से संचालित है, जो अमेरिका से आपूर्ति किया जाता है.
भविष्य में तेजस एमके-2 में जीई F414 इंजन का उपयोग होगा, जो इसे और शक्तिशाली बनाएगा. तेजस की उत्पादन गति बढ़ाने और इसके रखरखाव को बेहतर करने के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) काम कर रहा है.
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