चीन एक नए और खतरनाक हथियार पर काम कर रहा है, जिसे परमाणु टॉरपीडो (Nuclear Torpedo) कहा जा रहा है. यह हथियार तटीय शहरों को रेडियोएक्टिव सुनामी के जरिए तबाह करने की क्षमता रखता है. रूस के पोसाइडन टॉरपीडो से प्रेरित होकर, इस ‘डूम्सडे’ हथियार को विकसित करने की चीन योजना बना रहा है.
परमाणु टॉरपीडो क्या है?
परमाणु टॉरपीडो एक ऐसा पानी के नीचे चलने वाला ड्रोन हथियार है, जो परमाणु विस्फोटक (न्यूक्लियर वॉरहेड) से लैस होता है. इसका मकसद समुद्र तट के पास विस्फोट करके एक विशाल रेडियोएक्टिव सुनामी पैदा करना है, जो तटीय शहरों और नौसैनिक अड्डों को तबाह कर सकती है. यह सुनामी न केवल भौतिक नुकसान पहुंचाएगी, बल्कि रेडियोएक्टिव विकिरण (रेडिएशन) के कारण इलाकों को लंबे समय तक रहने लायक नहीं छोड़ेगी.
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चीन का यह टॉरपीडो रूस के पोसाइडन टॉरपीडो से प्रेरित है, जिसे 2015 में रूसी नौसेना ने पेश किया था. चीन का दावा है कि उसका टॉरपीडो छोटा, सस्ता और बड़े पैमाने पर उत्पादन योग्य होगा. यह हथियार पनडुब्बियों या युद्धपोतों से लॉन्च किया जा सकता है. समुद्र के तल पर चलकर दुश्मन के रडार से बच सकता है.
चीन का परमाणु टॉरपीडो: खासियतें
यूरेशियन टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन की चाइना शिपबिल्डिंग इंडस्ट्री कॉरपोरेशन ने जर्नल ऑफ अनमैन्ड अंडरसी सिस्टम्स में इस हथियार की जानकारी दी. इसके कुछ मुख्य बिंदु...
रूस के पोसाइडन से प्रेरणा
रूस का पोसाइडन टॉरपीडो (जिसे कैन्यन या स्टेटस-6 भी कहा जाता है) दुनिया का पहला परमाणु-संचालित टॉरपीडो है. 100 मेगाटन तक का परमाणु वॉरहेड ले जाने की क्षमता के लिए जाना जाता है. यह 70-100 नॉट्स की गति और 3300 फीट की गहराई पर काम कर सकता है, जिससे इसे रोकना लगभग असंभव है. रूस का दावा है कि यह 500 मीटर ऊंची रेडियोएक्टिव सुनामी पैदा कर सकता है, जो तटीय शहरों को तबाह कर देगी.
जनवरी 2023 में पोसाइडन का पहला बैच तैयार हो चुका है. इसे बेलगोरोड पनडुब्बी में तैनात किया जाएगा. नवंबर 2022 में इस टॉरपीडो का एक परीक्षण असफल रहा, जिससे इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठे. चीन का टॉरपीडो पोसाइडन से छोटा है, जो इसे बड़े पैमाने पर उत्पादन और तैनाती के लिए उपयुक्त बनाता है.
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क्या है रेडियोएक्टिव सुनामी?
रेडियोएक्टिव सुनामी एक ऐसी लहर है, जो परमाणु विस्फोट से पैदा होती है. यह लहर समुद्र के पानी को रेडियोएक्टिव बनाकर तटीय क्षेत्रों में भारी तबाही मचा सकती है. इसके प्रभाव...
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि परमाणु टॉरपीडो से सुनामी पैदा करना उतना आसान नहीं है. डेविड हैमब्लिंग ने यूरोन्यूज़ को बताया कि इसके लिए बहुत अधिक ऊर्जा चाहिए, जो शायद परमाणु विस्फोट से भी पूरी न हो. फिर भी, अगर यह तट के पास विस्फोट करता है, तो यह एक शहर को तबाह कर सकता है.
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चीन की रणनीति: क्यों बना रहा है यह हथियार?
चीन का यह कदम रूस के पोसाइडन और वैश्विक रक्षा प्रतिस्पर्धा से प्रेरित है. कुछ कारण...
इंडो-पैसिफिक में तनाव: अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया की AUKUS संधि ने दक्षिण चीन सागर में परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती की योजना बनाई है, जिसे चीन उकसावे के रूप में देखता है.
ताइवान पर दबाव: चीन ने अपने तीसरे विमानवाहक पोत फुजियान को लॉन्च किया, जो ताइवान के नजदीकी प्रांत के नाम पर है. यह टॉरपीडो ताइवान और उसके सहयोगियों के लिए खतरा हो सकता है.
रणनीतिक डर: यह हथियार अमेरिका और उसके सहयोगियों, जैसे जापान और दक्षिण कोरिया को डराने के लिए बनाया जा रहा है. यह मनोवैज्ञानिक हथियार के रूप में भी काम कर सकता है.
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कानूनी और नैतिक सवाल
सेंटर फॉर इंटरनेशनल मैरीटाइम सिक्योरिटी (CIMSEC) की एक रिपोर्ट के अनुसार, परमाणु टॉरपीडो का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय युद्ध नियमों के खिलाफ हो सकता है...
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विश्व की प्रतिक्रिया
अमेरिका: 2020 में अमेरिकी अधिकारी क्रिस्टोफर फोर्ड ने चेतावनी दी थी कि यह हथियार अमेरिकी तटीय शहरों को तबाह कर सकता है.
नॉर्वे: नॉर्वे की खुफिया सेवा के प्रमुख निल्स स्टेनसोन्स ने पर्यावरणीय खतरों पर चिंता जताई.
विशेषज्ञों की राय: जेम्स मैटिस (पूर्व अमेरिकी रक्षा सचिव) मानते हैं कि यह हथियार रणनीतिक संतुलन को बहुत बदल नहीं सकता, क्योंकि रूस और चीन के पास पहले से ही परमाणु मिसाइलें हैं.
क्या यह हथियार वास्तव में संभव है?
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि रेडियोएक्टिव सुनामी का दावा बढ़ा-चढ़ाकर किया गया है. मेटा-डिफेंस की एक रिपोर्ट में कहा गया कि यह टॉरपीडो शायद उतना प्रभावी न हो, जितना प्रचार किया जा रहा है. यह मुख्य रूप से मनोवैज्ञानिक युद्ध और हथियार नियंत्रण वार्ताओं में दबाव बनाने के लिए बनाया गया हो सकता है.
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