'न आक्रामकता, न पीछे हटना', नौसेना को INS उदयगिरी और हिमगिरी सौंपते हुए बोले राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आईएनएस उदयगिरी और हिमगिरी की कमीशनिंग के दौरान ऑपरेशन सिंदूर में भारत की दृढ़ता को रेखांकित किया. पहलगाम हमले के जवाब में शुरू किए गए. स्वदेशी स्टेल्थ फ्रिगेट्स, ब्रह्मोस और बराक-8 मिसाइलों से लैस, समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेंगे. यह आत्मनिर्भर भारत और नौसेना की बढ़ती ताकत का प्रतीक है.

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रक्षमंत्री ने INS उदयगिरी और हिमगिरी की कमीशनिंग पर कहा कि ये दोनों युद्धपोत रक्षा ही नहीं बल्कि आर्थिक सुरक्षा भी प्रदान करेंगे. (Photo: Indian Navy) रक्षमंत्री ने INS उदयगिरी और हिमगिरी की कमीशनिंग पर कहा कि ये दोनों युद्धपोत रक्षा ही नहीं बल्कि आर्थिक सुरक्षा भी प्रदान करेंगे. (Photo: Indian Navy)

शिवानी शर्मा

  • विशाखापत्तनम,
  • 26 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 5:33 PM IST

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 26 अगस्त 2025 को विशाखापट्टनम में भारतीय नौसेना के दो अत्याधुनिक स्टेल्थ युद्धपोतों आईएनएस उदयगिरी और आईएनएस हिमगिरी को एक साथ कमीशन किया. इस दौरान भारत की सीमाओं और नागरिकों की सुरक्षा के प्रति दृढ़ संकल्प को रेखांकित किया.

इन युद्धपोतों को मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स ने स्वदेशी रूप से बनाया है. इस अवसर पर रक्षा मंत्री ने हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले और उसके जवाब में शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र किया.

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ऑपरेशन सिंदूर: आतंक के खिलाफ भारत का जवाब

रक्षा मंत्री ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले का उल्लेख किया, जिसमें आतंकियों ने धर्म पूछकर मासूम नागरिकों की हत्या की थी. उन्होंने कहा कि इस हमले का मकसद हमें उकसाना था. लेकिन हमने बिना उकसावे में आए, सोच-समझकर एक प्रभावी और सटीक जवाब दिया. हमने आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया और इसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया.

उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय नौसेना की त्वरित कार्रवाई ने दुनिया को भारत की तैयारियों का परिचय दिया. हमारी सेनाओं ने दिखाया कि जरूरत पड़ने पर हम कैसे कार्रवाई कर सकते हैं. नौसेना की योजना और युद्धपोतों की त्वरित तैनाती इस ऑपरेशन में बेहद प्रभावी रही.  

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भारत की नीति: न आक्रामकता, न पीछे हटना

रक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत ने कभी आक्रामकता में विश्वास नहीं किया, लेकिन हमले का जवाब देना भी हमें बखूबी आता है. पूरी दुनिया जानती है कि हमने कभी किसी देश पर पहले हमला नहीं किया. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम पीछे हट जाएंगे. जब हमारी सुरक्षा पर हमला होता है, तो हम उसका करारा जवाब देना जानते हैं. 

आईएनएस उदयगिरी और हिमगिरी: नौसेना की नई ताकत

रक्षा मंत्री ने आईएनएस उदयगिरी और हिमगिरी को नौसेना के बेड़े में शामिल होने से कहीं अधिक बताया. उन्होंने कहा कि ये युद्धपोत न केवल नौसेना की ताकत बढ़ाते हैं, बल्कि यह संदेश भी देते हैं कि भारत अपनी समुद्री सीमाओं की रक्षा के लिए पूरी तरह सक्षम है. किसी भी स्थिति में तुरंत जवाब देने को तैयार है.

इन युद्धपोतों की ताकत का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि ये ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल, बराक-8 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, स्वदेशी रॉकेट और टॉरपीडो लॉन्चर, कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम और फायर कंट्रोल सिस्टम से लैस हैं. उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि ये जहाज समुद्र में जटिल और जोखिम भरे मिशनों में गेम-चेंजर साबित होंगे.

आत्मनिर्भर भारत की मिसाल

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रक्षा मंत्री ने इन युद्धपोतों को भारत के स्वदेशी रक्षा निर्माण में एक मील का पत्थर बताया. उन्होंने कहा कि आईएनएस उदयगिरी हमारे वॉरशिप डिज़ाइन ब्यूरो द्वारा डिज़ाइन किया गया 100वां जहाज है. इनमें 75% से ज्यादा पुर्जे भारतीय निर्माताओं और MSME से लिए गए हैं.

यह कमीशनिंग न केवल तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि एक परिवर्तनकारी आंदोलन भी है. उन्होंने MDL और GRSE को बधाई देते हुए कहा कि आपने न केवल जहाज बनाए, बल्कि इनोवेशन और आत्मनिर्भरता की मिसाल कायम की. ये युद्धपोत विश्वास, प्रतिबद्धता और नई ऊंचाइयों को छूने का प्रतीक हैं.

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नौसेना: राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता की रीढ़

रक्षा मंत्री ने भारतीय नौसेना को भारत की समुद्री ताकत का प्रतीक बताया. उन्होंने कहा कि नौसेना न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है. बल्कि आर्थिक स्थिरता में भी अहम भूमिका निभाती है. हमारी ऊर्जा जरूरतें समुद्री मार्गों की सुरक्षा पर निर्भर हैं. नौसेना केवल गश्त नहीं करती, बल्कि हमारी राष्ट्रीय आर्थिक सुरक्षा का आधार है.

आईएनएस उदयगिरी और हिमगिरी की कमीशनिंग भारतीय नौसेना के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है. ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने अपनी सैन्य ताकत और दृढ़ता का परिचय दिया. अब इन स्टील्थ युद्धपोतों के साथ नौसेना हिंद महासागर में अपनी स्थिति को और मजबूत करेगी. ये जहाज न केवल भारत की समुद्री सीमाओं की रक्षा करेंगे, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के सपने को भी साकार करेंगे.  

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