चीन की नई चाल... भारत से लगती सीमा पर बनाए मिसाइल छिपाने वाले बंकर

सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि चीन ने पांगोंग झील के पास और गार काउंटी में नए एयर डिफेंस कॉम्प्लेक्स बनाए. इनमें स्लाइडिंग छत वाले मिसाइल लॉन्च बंकर हैं, जो एचक्यू-9 एसएएम सिस्टम छिपाते हैं. न्योमा एयरफील्ड के सामने ये भारत के लिए खतरा है. निर्माण जुलाई से चल रहा है. चीन हवाई रक्षा मजबूत कर रहा है.

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सैटेलाइट तस्वीर दिखाती है कि गार काउंटी में कॉन्क्रीट के मिसाइल बंकर बनाए गए है. सैटेलाइट तस्वीर दिखाती है कि गार काउंटी में कॉन्क्रीट के मिसाइल बंकर बनाए गए है.

अंकित कुमार

  • नई दिल्ली,
  • 24 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 1:55 PM IST

तिब्बत के पांगोंग झील के पूर्वी किनारे पर जहां 2020 में भारत-चीन के बीच झड़प हुई थी, वहां से महज 110 km दूर तेजी से निर्माण कार्य चल रहा है. सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि चीन ने भारत की सीमा के पास एक नया एयर डिफेंस कॉम्प्लेक्स बना लिया है. इसमें मिसाइल लॉन्चरों के लिए ढकी हुई जगहें हैं, जो छिपी हुई और सुरक्षित रहेंगी. विशेषज्ञों का कहना है कि यह भारत के खिलाफ चीन की हवाई रक्षा को मजबूत करने की नई कोशिश है.

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गार काउंटी में मिसाइल बंकर: न्योमा एयरफील्ड के सामने खतरा

सैटेलाइट इमेजरी से साफ दिखता है कि गार काउंटी में एक नया एयर डिफेंस सेंटर बन रहा है. यह जगह वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से महज 65 किलोमीटर दूर है. भारत के हाल ही में अपग्रेड किए गए न्योमा एयरफील्ड के ठीक सामने है.

अमेरिकी कंपनी ऑलसोर्स एनालिसिस (एएसए) के शोधकर्ताओं ने सबसे पहले इसकी डिजाइन पहचानी. यहां कमांड एंड कंट्रोल बिल्डिंग, बैरक, वाहन शेड, हथियार भंडारण और रडार की जगहें बनाई गई हैं.

सबसे खास बात ये ढकी हुई मिसाइल लॉन्च पोजीशन हैं. इनमें स्लाइडिंग छतें लगी हैं, जो ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर (टीईएल) वाहनों के लिए हैं.

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ये वाहन लंबी दूरी की एचक्यू-9 सरफेस-टू-एयर मिसाइल (एसएएम) सिस्टम ले जाते, ऊंचा करते और दागते हैं. इंटेलिजेंस विशेषज्ञों का मानना है कि ये कठोर बंकर मिसाइलों को छिपाने और हमलों से बचाने के लिए बने हैं.

पांगोंग के पास भी वैसा ही कॉम्प्लेक्स

पांगोंग झील के पूर्वी छोर पर भी ऐसा ही एक कॉम्प्लेक्स बन रहा है. यहां भी वही सुविधाएं हैं - कमांड सेंटर, बैरक, रडार और मिसाइल लॉन्च बे. 

अमेरिकी स्पेस इंटेलिजेंस कंपनी वैंटर की सैटेलाइट तस्वीरों (29 सितंबर की) से पुष्टि हुई कि इन लॉन्च बे की छतें खिसकने वाली हैं. हर बे में दो वाहन समा सकते हैं. एक तस्वीर में छत खुली हुई दिखी, जिसमें शायद लॉन्चर नजर आ रहे हैं.

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एएसए के विश्लेषकों ने कहा कि ये छतें हैच वाली हैं. लॉन्चर छिपे रहेंगे और हमले के समय छत खुलकर मिसाइल दाग सकेंगे. इससे दुश्मन को पता नहीं चलेगा कि टीईएल कहां हैं. हमले से बचाव भी होगा. 

ये बंकर भारत-तिब्बत सीमा पर पहली बार बने हैं, लेकिन दक्षिण चीन सागर के विवादित द्वीपों पर चीन के सैन्य ठिकानों पर ऐसे पहले देखे गए हैं.

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जुलाई से निर्माण: अभी अधूरा काम

इस पांगोंग वाले कॉम्प्लेक्स का शुरुआती निर्माण जुलाई के आखिर में जियोस्पेशल रिसर्चर डेमियन साइमन ने पहचाना था, लेकिन तब मिसाइल बंकरों का राज नहीं खुला था. अभी भी पांगोंग के पास का काम पूरा नहीं हुआ.

एएसए ने एक और खास बात बताई - तारों से जुड़ी डेटा कनेक्शन सिस्टम. यह एचक्यू-9 सिस्टम को उसके कमांड सेंटर से जोड़ेगा, ताकि सब कुछ तेजी से कंट्रोल हो सके.

भारत के लिए क्या मतलब?

ये नए बंकर चीन की हवाई ताकत को मजबूत करेंगे, खासकर लद्दाख और पूर्वी लद्दाख में. न्योमा एयरफील्ड भारत का महत्वपूर्ण सैन्य हवाई अड्डा है. गार काउंटी के सामने ये बंकर सीधा खतरा बन सकते हैं.

विशेषज्ञ कहते हैं कि चीन सीमा पर अपनी रक्षा को और सख्त कर रहा है. भारत को भी अपनी निगरानी बढ़ानी होगी. सैटेलाइट तस्वीरें साफ बता रही हैं कि चीन की ये तैयारी गंभीर है.

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