पैंगोंग झील (Pangong Lake) भारत के लद्दाख और तिब्बत के पश्चिमी हिस्से में स्थित एक अद्भुत और विश्व प्रसिद्ध झील है. यह झील 4,225 मीटर (13,862 फीट) की ऊंचाई पर बसी हुई है और लगभग 134 किलोमीटर (83 मील) लंबी है.
पैंगोंग झील पांच उप-झीलों में विभाजित है, जिन्हें पैंगोंग त्सो, त्सो न्यक, रुम त्सो (जुड़वाँ झीलें) और न्यक त्सो कहा जाता है. झील का लगभग 50% हिस्सा तिब्बत में आता है, 40% भारत के लद्दाख क्षेत्र में है, और शेष 10% विवादित क्षेत्र के रूप में है, जो भारत और चीन के बीच एक असाधिकारिक बफर जोन की तरह कार्य करता है. झील की चौड़ाई अपने सबसे व्यापक हिस्से पर लगभग 5 किलोमीटर (3.1 मील) है और इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 700 वर्ग किलोमीटर है.
सर्दियों में झील पूरी तरह से जम जाती है, जबकि इसका पानी खारा है. यह एक लैंड-लॉक्ड बेसिन है, जो सिंधु नदी बेसिन से एक ऊंची छोटी चट्टान द्वारा अलग है. वैज्ञानिकों का मानना है कि प्रागैतिहासिक काल में यह झील सिंधु बेसिन का हिस्सा रही होगी.
पैंगोंग झील को तीन प्रमुख पर्वत श्रृंखलाएं घेरती हैं उनमें उत्तर में- चांगचेनमो रेंज, पश्चिम में- पैंगोंग रेंज, दक्षिण में- कैलाश रेंज (गंगडीसे शान रेंज) शामिल है.
चांगचेनमो रेंज और पैंगोंग रेंज को कभी-कभी कराकोरम रेंज के पूर्वी हिस्से के रूप में भी माना जाता है. कैलाश रेंज झील के दक्षिणी किनारे के साथ फैली हुई है और लुकुंग से पश्चिम की ओर फर्सुक बे और माउंट कैलाश तक जाती है.
पैंगोंग झील अपनी नीली और हरी झिलमिलाती जलराशि, सुरम्य पहाड़ों और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है. यह झील न केवल पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत-चीन सीमा विवाद और सुरक्षा दृष्टि से भी रणनीतिक स्थान रखती है.
इस झील का दृश्यकार रूप और प्राकृतिक सुंदरता इसे दुनिया भर के पर्यटकों और फोटोग्राफरों के लिए एक आकर्षक स्थल बनाती है.
सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि चीन ने पांगोंग झील के पास और गार काउंटी में नए एयर डिफेंस कॉम्प्लेक्स बनाए. इनमें स्लाइडिंग छत वाले मिसाइल लॉन्च बंकर हैं, जो एचक्यू-9 एसएएम सिस्टम छिपाते हैं. न्योमा एयरफील्ड के सामने ये भारत के लिए खतरा है. निर्माण जुलाई से चल रहा है. चीन हवाई रक्षा मजबूत कर रहा है.