जिस हथियार से पाकिस्तान को ऑपरेशन सिंदूर में बनाया बेवकूफ, वो और मंगा रहा भारत

मई 2025 में भारत ने पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों पर ड्रोन-आधारित ऑपरेशन सिंदूर चलाया. बिना विमान सीमा पार किए, बंशी, लक्ष्य और एक्स गार्ड जैसे ड्रोनों ने दुश्मन रडार को चकमा दिया. अब वही हथियार CLRTS/DS और मंगा रहा है भारत. इससे फायदा ये है कि जोखिम कम है. सटीक हमला होता है. पाक एयर डिफेंस बेकार साबित हुआ था.

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ये है बंशी ड्रोन जिसके जरिए सेना ने पाकिस्तान को बेवकूफ बनाया था. (File Photo: DRDO) ये है बंशी ड्रोन जिसके जरिए सेना ने पाकिस्तान को बेवकूफ बनाया था. (File Photo: DRDO)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 24 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 12:20 PM IST

आज के दौर में युद्ध की तस्वीर बदल रही है, जहां पारंपरिक हथियारों की जगह छोटे-छोटे ड्रोन और स्मार्ट तकनीकें मैदान संभाल रही हैं. मई 2025 में भारत ने चलाया ऑपरेशन सिंदूर इसका जीता-जागता उदाहरण है. यह पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर सटीक हमला था, जो लोगों पर हुए हमलों का करारा जवाब था.

बिना किसी राफेल या सुखोई विमान को सीमा पार किए, भारत ने ड्रोन और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध की ताकत से दुश्मन को चकमा दिया. यह अभियान न सिर्फ 'आत्मनिर्भर भारत' की मिसाल बना, बल्कि भविष्य के युद्धों की रूपरेखा भी खींच दी. आइए, इस ऑपरेशन की गहराई में उतरें और जानें कि कैसे बंशी, लक्ष्य और एक्स गार्ड जैसे हथियारों ने इतिहास रचा. साथ ही ये भी जानिए ऐसे कितने हथियार आ रहे हैं. 

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CLRTS/DS: लंबी दूरी का घातक हथियार

कोलैबोरेटिव लॉन्ग रेंज टारगेट सैचुरेशन/डिस्ट्रक्शन सिस्टम, या CLRTS/DS, एक क्रांतिकारी ड्रोन सिस्टम है जो स्वार्म ड्रोनों के झुंड पर आधारित है. इसकी रेंज 1000 km से अधिक है, जो लक्ष्यों को घेराबंदी कर पूरी तरह नष्ट कर देता है. भारतीय वायुसेना के लिए 5500 करोड़ रुपये का यह प्रोजेक्ट 24 अक्टूबर 2025 को मंजूर हुआ.

हालांकि, ऑपरेशन सिंदूर के समय यह अभी विकास के दौर में था, इसलिए इसका सीधा इस्तेमाल नहीं हुआ. लेकिन इस अभियान ने CLRTS/DS जैसी तकनीकों की जरूरत को रेखांकित किया, ताकि भविष्य के मिशनों में दुश्मन को दूर से ही नेस्तनाबूद किया जा सके.

ऑपरेशन में ड्रोनों का जादुई खेल

ऑपरेशन सिंदूर में CLRTS/DS जैसे सिस्टम का इस्तेमाल तो नहीं हुआ, लेकिन इसी तरह के डिकॉय और स्ट्राइक ड्रोन ने कमाल कर दिखाया. भारत ने नकली लक्ष्य बनाने वाले ड्रोनों से पाकिस्तानी रडारों को भ्रमित किया, जिससे असली हमले बिना रुके सफल रहे. यह ड्रोन-केंद्रित युद्ध का पहला बड़ा प्रदर्शन था, जहां कोई पायलट खतरे में नहीं पड़ा और नुकसान न्यूनतम रहा. इन ड्रोनों ने दुश्मन के एयर डिफेंस को पूरी तरह उलझा दिया, मानो कोई बड़ा विमान हमला हो रहा हो.

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बंशी: नकली जेट का धोखा

बंशी ड्रोन, जो मूल रूप से कनाडाई तकनीक पर आधारित है, भारत की खरीदारी का हिस्सा बना. यह जेट विमानों की नकल इतनी बखूबी करता है कि रडार सिग्नल्स से दुश्मन को लगता है कोई असली लड़ाकू विमान आ रहा है. ऑपरेशन सिंदूर में दो बंशी ड्रोन लॉन्च किए गए, जो पाकिस्तान के मध्य क्षेत्र में गिरे.

इससे पाकिस्तानी सेना को यकीन हो गया कि उन्होंने राफेल विमान गिरा लिया है. वास्तव में, ये सिर्फ नकली थे. बंशी की 40 किलोमीटर रेंज और कम लागत इसे दुश्मन को फंसाने का सस्ता हथियार बनाती है. इसकी वजह से पाक का एयर डिफेंस सिस्टम पूरी तरह सक्रिय हो गया. भारत के असली हमले छिपकर सफल हो गए.

लक्ष्य: स्वदेशी ताकत का प्रतीक

लक्ष्य ड्रोन DRDO की देन है. इसका लक्ष्य-2 संस्करण ऑपरेशन सिंदूर में चमका. यह भी लड़ाकू विमानों की नकल करता है. रडार को बुरी तरह भ्रमित कर देता है. अभियान के दौरान लक्ष्य को लॉन्च कर पाकिस्तानी रडार, एयर डिफेंस और कमांड सिस्टम को जगा दिया गया. पाक को लगा कि बड़े पैमाने पर विमान आक्रमण हो रहा है, लेकिन ये सिर्फ पायलटलेस ड्रोन थे. 8 किलोमीटर ऊंचाई तक उड़ने वाला यह ड्रोन न सिर्फ ट्रेनिंग में उपयोगी है, बल्कि जासूसी और भ्रम फैलाने में भी माहिर है.

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एक्स गार्ड: अदृश्य ढाल की चालाकी

एक्स गार्ड राफेल लड़ाकू विमानों का इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संचालित होता है. यह नकली सिग्नल्स भेजकर दुश्मन की मिसाइलों को भटकाता है. रडार को अंधा कर देता है. ऑपरेशन सिंदूर में राफेल ने एक्स गार्ड का सहारा लिया, भले ही कोई विमान सीमा पार न गया हो.

इस सिस्टम ने नकली लक्ष्य बनाकर पाकिस्तानी रडार को व्यस्त रखा, जिससे असली हमलों को ढक लिया गया. फ्रांस की यह तकनीक भारत के राफेल फ्लीट में फिट बैठती है. दुश्मन को यह भ्रम देती है कि विमान गिरा, जबकि कुछ होता ही नहीं.

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अन्य ड्रोन: हमले की पूरी फौज

ऑपरेशन में बंशी, लक्ष्य और एक्स गार्ड के अलावा अन्य ड्रोन भी मैदान में उतरे. इजरायली स्काईस्ट्राइकर लॉयटरिंग म्यूनिशन ड्रोन ने घूम-फिरकर आतंकी ठिकानों पर सटीक हमला किया. इसकी 100 किलोमीटर रेंज और 30 kg वजन वाले विस्फोटक ने लक्ष्यों को नेस्तनाबूद कर दिया. डीआरडीओ का अभयास डिकॉय ड्रोन ने बंशी की तर्ज पर पाक के केंद्रीय क्षेत्र में भ्रम फैलाया. ये सभी ड्रोन मिलकर 'फोर्स मल्टीप्लायर' की भूमिका निभाते हैं, जहां छोटी ताकत से बड़ा असर पैदा होता है.

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फायदे और मिली सीखें

ऑपरेशन सिंदूर ने साबित कर दिया कि ड्रोन से बिना जोखिम के दुश्मन को हराया जा सकता है. पाकिस्तान का एयर डिफेंस बेकार साबित हुआ. भारत को कम खर्च में बड़ी जीत मिली. कोई पायलट खतरे में नहीं पड़ा, जो सबसे बड़ा फायदा था. इस अभियान से सीख मिली कि भविष्य में CLRTS/DS जैसे सिस्टम जरूरी हैं, जो हजारों किलोमीटर दूर से हमला कर सकें. यह डराने की रणनीति को नया मोड़ दे गया.

जोखिम और चुनौतियां

हर तकनीक की तरह, यहां भी जोखिम हैं. ड्रोन आसानी से गिर सकते हैं, जैसा कि बंशी और लक्ष्य के साथ हुआ. दुश्मन इन्हें जाम कर सकता है. विस्फोटकों से पर्यावरण को नुकसान पहुंच सकता है. प्रदूषण और मलबे की समस्या भी खड़ी हो सकती है. लेकिन भारत अब स्वदेशी हथियारों पर जोर दे रहा है, ताकि विदेशी निर्भरता कम हो और ये चुनौतियां दूर हों.

ड्रोन सुपरपावर भारत

ऑपरेशन सिंदूर ने CLRTS/DS जैसे प्रोजेक्टों को गति दी है. 79,000 करोड़ रुपये के नए सौदों से भारतीय सेना और मजबूत होगी. यह ड्रोन युद्ध का युग है, जहां छोटे हथियार बड़े दुश्मनों को मात दे सकते हैं. भारत अब वैश्विक ड्रोन सुपरपावर बनने की दिशा में अग्रसर है. आने वाले सालों में यह ताकत दुनिया को चकित कर देगी.

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