भारतीय सेना को मिलेंगी 4.25 लाख देशी CQB कार्बाइन, ₹2770 करोड़ की डील

भारतीय सेना को ₹2,770 करोड़ के सौदे में 4.25 लाख देशी सीक्यूबी कार्बाइन मिलेंगी. भारत फोर्ज 60% और पीएलआर 40% बनाएंगी. अगले साल डिलीवरी शुरू. ये हल्के और सटीक हथियार क्लोज कॉम्बैट के लिए बेहतरीन है. पुरानी स्टर्लिंग कार्बाइन को बदला जाएगा. पैदल सेना की घातकता बढ़ेगी.

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ये नई सीक्यूबी कार्बाइन जिसे DRDO ने डिजाइन किया है और भारत फोर्ज व पीएलआर कंपनियां बना रही हैं. (File Photo: Bharat Forge) ये नई सीक्यूबी कार्बाइन जिसे DRDO ने डिजाइन किया है और भारत फोर्ज व पीएलआर कंपनियां बना रही हैं. (File Photo: Bharat Forge)

शिवानी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 23 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 10:57 AM IST

भारतीय सेना अपनी पैदल सेना को आधुनिक बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठा रही है. अब सेना को पहली खेप में देशी सीक्यूबी कार्बाइन (Close Quarter Battle Carbines) मिलेंगी. ये छोटी दूरी की लड़ाई के लिए बनी हथियार हैं.

सेना के इन्फैंट्री डायरेक्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने कहा कि ये पैदल सेना के आधुनिकीकरण में मील का पत्थर है. हाल ही में 4.25 लाख कार्बाइन खरीदने का अनुबंध साइन हुआ है, जिसकी कीमत ₹2,770 करोड़ है. ये दो भारतीय कंपनियां बनाएंगी – भारत फोर्ज और पीएलआर.

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सीक्यूबी कार्बाइन क्या हैं? 

सीक्यूबी कार्बाइन छोटी दूरी की लड़ाई के लिए बने हल्के हथियार हैं. ये शहरों में या तंग जगहों पर इस्तेमाल होते हैं, जैसे आतंकवादी ठिकानों पर छापा मारना. पुराने हथियारों से अलग, ये तेज, सटीक और आसानी से चलाने वाले हैं. लेफ्टिनेंट जनरल कुमार कहते हैं कि ये कार्बाइन सेना के सैनिकों को आधुनिक और भरोसेमंद हथियार देंगी.

इनकी खासियत

  • हल्की और तेज: वजन कम होने से सैनिक आसानी से घुमा-फिरा सकते हैं.  
  • सटीक निशाना: अच्छी सटीकता से दुश्मन को जल्दी निशाना लगा सकेंगे.
  • देशी बनावट: पूरी तरह भारत में बनी, जो 'मेक इन इंडिया' को मजबूत करती हैं.
  • आधुनिक सामान: इन पर ऑप्टिकल साइट (दूरबीन जैसी), टॉर्च लाइट और साइलेंसर लगाए जा सकते हैं. इससे रात में या छिपकर हमला आसान.

डील की पूरी डिटेल 

अनुबंध 4.25 लाख कार्बाइन का है. ये दो भारतीय कंपनियां बनाएंगी...

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  • भारत फोर्ज: 60% (यानी करीब 2.55 लाख कार्बाइन).
  • पीएलआर: 40% (करीब 1.7 लाख कार्बाइन).

डिलीवरी अगले साल से शुरू होगी. फ्रंटलाइन सैनिकों को पहले मिलेंगी, जो सीमा पर तैनात हैं. ये सौदा भारत की रक्षा निर्माण क्षमता को बढ़ाएगा. अब विदेशी हथियारों पर कम निर्भरता होगी.

पुरानी स्टर्लिंग कार्बाइन को क्यों बदल रही सेना?

सेना पुरानी 9x19mm स्टर्लिंग कार्बाइन को बदल रही है. ये 1940 के दशक में बनी थीं. 20 साल से ज्यादा पुरानी हैं. अब ये आधुनिक जंग के लिए पुरानी पड़ गई हैं. खासकर आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन या शहरों में लड़ाई में कमजोर.

नई कार्बाइन से सैनिकों को...

  • ज्यादा सटीकता मिलेगी.
  • दुश्मन को तेजी से निशाना लगेगा.
  • तंग जगहों में ज्यादा सुरक्षा.

ये बदलाव सेना की निकट युद्ध क्षमता को नया रूप देंगे.

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पैदल सेना का आधुनिकीकरण 

लेफ्टिनेंट जनरल कुमार ने कहा कि पैदल सेना का आधुनिकीकरण कई क्षेत्रों में हो रहा है – घातकता, गतिशीलता, जंग की पारदर्शिता, स्थिति की समझ, जीवित रहना और ट्रेनिंग.

ये कार्बाइन सिर्फ हथियार नहीं, बल्कि पूरे बदलाव का हिस्सा हैं. सेना सैनिकों को नई ट्रेनिंग देगी, ताकि ये हथियार अच्छे से इस्तेमाल हो सकें. इससे सीमा पर चीन-पाकिस्तान जैसी चुनौतियों का बेहतर जवाब मिलेगा.

फायदे क्या हैं?

  • आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन: शहरों में छिपे दुश्मनों पर तेज हमला.
  • सीमा सुरक्षा: ऊंचे पहाड़ों या जंगलों में आसान इस्तेमाल.
  • सैनिकों की सुरक्षा: कम वजन से थकान कम, ज्यादा फुर्ती.
  • आत्मनिर्भर भारत: देशी हथियार से नौकरियां बढ़ेंगी और तकनीक मजबूत होगी.
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