Neera Farming Tips: दक्षिण भारत में नारियल की खेती की बहुत अहमियत है. कई किसान परिवार नारियल की खेती पर निर्भर हैं. नारियल की खेती करने वाले किसान बाजारों में नारियल बेचकर कमाई करते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि नारियल के फूल से निकलने वाले रस को बेचकर बढ़िया ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है.
नारियल के फूल से निकलने वाला रस होता है नीरा
नारियल को बाजार में बेचने के साथ-साथ किसान नारियल के फूल से निकलने वाले रस को भी बेच सकते हैं. नारियल के फूल से निकलने वाला रस नीरा कहलाता है. हालांकि, नीरा को बेचने की अनुमति हर किसान के पास नहीं होती है. इसकी वजह है कि नारियल के फूल से निकलने वाले रस को अगर ठंडे तापमान में रखा जाए तो ये नीरा कहलाता है. लेकिन अगर नीरा को धूप लगती है तो ये नेचुरल एल्कोहल, ताड़ी बन जाता है. ताड़ी में 3 से 4 प्रतिशत एल्कोहल होता है.
भारत में जब अंग्रेज अंग्रेजी शराब का कारोबार लेकर आए तो उन्होंने किसी भी ऐसी औषधि पर बैन लगा दिया जिससे नेचुरल एल्कोहल का उत्पादन हो. इसके तहत भांग, महुआ, काजू वाइन, ताड़ी, नीरा पर बैन लगाया गया था. बता दें, ये बैन आज भी कई राज्यों में लागू है. अंग्रेजों ने अंग्रेजी शराब को बेचने के लिए ये कदम उठाया था.
नीरा निकालने के लिए लेना पड़ता है लाइसेंस
नारियल के फूल से नीरा निकालने की अनुमति सभी किसानों को नहीं होती है. इसकी लिए किसानों को लाइसेंस लेना पड़ता है. लाइसेंस लेने के बाद भी किसान सभी पेड़ों से नीरा नहीं निकाल सकते. किसान जिस भी पेड़ से नीरा निकालते हैं, उन पेड़ों को आबकारी विभाग द्वारा टैग किया जाता है. इन पेड़ो पर किसानों को टैक्स भी भरना होता है.
पूरे कर्नाटक में सिर्फ तीन कंपनियों के पास नीरा निकालने की अनुमति
कर्नाटक में नीरा निकालने और बेचने की अनुमति सिर्फ तीन कंपनियों के पास है. इसी में से कर्नाटक के उडुपी जिले के सत्यनारायण उडुपा के पास नीरा निकालने की अनुमति है. सत्यनारायण उडुपा ने अपने साथ करीब 1 हजार 28 किसानों को जोड़ा है. सत्यनारायण उडुपा के साथ 2017 में बेंगलुरू के मुरली से जुड़े. मुरली सीए की जॉब छोड़कर खेती-किसानी में आए. संसद टीवी को दिए एक इंटरव्यू में मुरली ने बताया कि 2019 में सत्यनारायण उडुपा ने सीपीसीआरआई से कल्परस टेक्नोलॉजी लेकर जपती गांव में प्रोसेसिंग यूनिट लगाई.
नीरा से होती है कितनी कमाई?
अगर नीरा के उत्पादन की बात करें तो सालभर में एक पेड़ से ढ़ाई लाख रुपये का नीरा निकाला जा सकता है. हर किसान को साल में 20 लाख रुपये तक का नीरा निकालने की अनुमति होती है. किसानों को सिर्फ 8 पेड़ों से नीरा निकालने की अनुमति होती है. नारियल के एक फूल से 60 दिनों तक नीरा निकाला जा सकता है. 60 दिन बाद नीरा के लिए दूसरा फूल तैयार हो जाता है. नारियल के 1 फूल से औसतन 4 लीटर नीरा निकलता है. बता दें, 1 एकड़ में 70 नारियल के पेड़ लगाए जा सकते हैं.
मार्केट में नीरा की क्या है कीमत?
बंगलुरु की मार्केट में नीरा की कीमत 300 -360 प्रति लीटर है. वहीं, उडुपी में इसकी कीमत 200 रुपये लीटर है.
कैसे निकाला जाता है नारियल के फूल से रस?
नीरा को सैप चिल्लर की मदद से इकट्ठा किया जाता है. ट्रैपर पेड़ पर चढ़कर सैप चिल्लर सेट करते हैं. सैप चिल्लर में नीचे बर्फ होती है और उसके ऊपर पॉलिथीन लगाते हैं. पॉलिथीन में एक छोटा सा कट लगाकर नारियल के फूल से बांध दिया जाता है. नारियल के फूल का रस धीरे-धीर टपक कर पॉलिथीन में इकट्ठा होता जाता है.
एक ट्रैपर एक दिन में 15 से 16 पेड़ों पर चढ़ते हैं. रस इकट्ठा होने के बाद सैप चिल्लर को पेड़ से निकाल लिया जाता है. उसके बाद पॉलीथीन को हटा देते हैं. इकट्ठा हुए नीरा को कलेक्शन सेंटर पर ले जाते हैं. नीरा को सैप चिल्लर में बाजार तक ले जाया जाता है.
क्या है सैप चिल्लर?
सैप चिल्लर को केबी हेब्बार द्वारा बनाया गया है. इसकी मदद से ही नीरा को फूल से इकट्ठा किया जाता है. सीपीसीआरआई द्वारा सैप चिल्लर टेक्नोलॉजी को लॉन्च किया गया है.
इसकी वजह से पैदा हो रहा रोजगार
नीरा को बेचने से सिर्फ किसानों को ही फायदा नहीं होता. बल्कि इसकी वजह से ‘ग्रीन कॉलर’ जॉब्स पैदा हो रही हैं. नीरा इकट्ठा करने के लिए किसानों के समूह को ढ़ाई हजार ट्रैपर की जरूरत होती है. 45 दिनों की ट्रेनिंग के दौरान ट्रैपर को 15 हजार रुपये दिए जाते हैं. वहीं, ट्रेनिंग पूरी होने पर 25 से 30 हजार रुपये मिलते हैं.
सेहत के लिए नीरा है बेहद लाभकारी
नीरा को बच्चों से लेकर बड़े कोई भी पी सकते हैं. नीरा पीने में मीठा शहद जैसा होता है. नीरा से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. नीरा शुगर के मरीजों के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. इसको पीने से आपका ब्लेड प्रेशर भी ठीक रहता है. नीरा को बेचने के बाद बचे हुए रस को प्रोसेस कर गुड़ और शक्कर बनाया जाता है.