हरियाणा के करनाल स्थिति राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान ने इतिहास रच दिया है. दरअसल, 2021 में उत्तराखंड लाइव स्टॉक डेवलपमेंट बोर्ड देहरादून के सहयोग से राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल ने गिर, साहीवाल और रेड-सिंधी जैसी देशी गायों की क्लोनिंग का कार्य शुरू किया था. इसी परियोजना के तहत 16 मार्च को गिर नस्ल की एक क्लोन बछिया का जन्म हुआ. इसका नाम गंगा रखा गया.
क्लोनिंग के गिर गाय का चुनाव
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल ने देसी गायों के सरंक्षण और संख्या वृद्धि के लिए पशु क्लोनिंग तकनीक विकसित करने की शुरुआत की थी. इस काम के लिए गिर नस्ल का चुनाव इसलिए किया गया क्योंकि ये गाय अन्य नस्लों की अपेक्षा, बहुत अधिक सहनशील होती है. यह अत्यधिक तापमान व ठंड को आसानी से सहन कर लेती है. इनके अंदर अन्य गायों के मुकाबले रोग प्रतिरोधक क्षमता भी ज्यादा होती है.
आईं कई चुनौतियां
वैज्ञानिकों की टीम के प्रमुख डॉ. नरेश सेलोकर ने बताया , करीब 15 सालों से भैंस के क्लोनिंग पर काम कर रहे थे. उन्होंने सोचा गायों की भी क्लोनिंग करनी चाहिए. इसके बाद राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल के पूर्व निदेशक डॉ एमएस चौहान के नेतृत्व में गिर, साहीवाल और रेड-सिंधी जैसी देशी गायों की क्लोनिंग का कार्य शुरू हुआ. कैटल क्लोनिंग की काफी चुनौतियां थी. क्लोनिंग के लिए अंडे नहीं थे. ओपीयू तकनीक से अंडों को निकाला गया.
16 मार्च को मिली सफलता
डॉ. नरेश सेलोकर, ने बताया कि संस्थान ने क्लोनिंग के लिए तीन ब्रीड सलेक्ट की थी. साहीवाल में कुछ असफलताएं हाथ लगीं, लेकिन रिसर्च के बाद 16 मार्च 2023 को गिर गाय की क्लोन पैदा हुई. जन्म के समय गिर नस्ल की इस क्लोन बछिया का वजन 32. किलोग्राम था, वह पूरी तरह से स्वस्थ थी.