देश के कई राज्यों में भारी बारिश का दौर जारी है, जिसकी वजह से फसलों के खराब होने की आशंका है. मौसम की इस स्थिति को देखते हुए आईएमडी ने किसानों के लिए फसलों से संबंधित एडवाइजरी जारी की है. जिसमें किसानों को अपनी फसलों को बचाने की सलाह दी गई है. मौसम विभाग के मुताबिक, भारी बारिश के कारण कपास, मक्का, सोयाबीन की फसल खराब हो सकती है. इसलिए खेत में पानी जमा न होने दें और खेत से जल निकासी की व्यवस्था करें, ताकि बाहरी मेड़ टूट न जाए.
मौसम विभाग ने जारी की एडवाइजरी
1. सभी खरीफ फसलों में निराई-गुड़ाई जरूर करें. इससे जड़ों की वृद्धि अच्छी होती है और पानी की खपत भी बचती है.
2. भारी बारिश के पूर्वानुमान के कारण किसान कीटनाशकों और उर्वरकों का प्रयोग बंद कर दें. मौसम साफ होने के बाद ही इसका प्रयोग करें.
3. खेत से अतिरिक्त पानी निकालने के लिए जल निकासी चैनल तैयार करें.
4. बारिश को देखते हुए फसल में 0:52:32 (N:P:K) का छिड़काव करें और खेत की लगातार निगरानी करते रहें. प्रति वर्ग मीटर में 3 से अधिक कीट पाए जाने पर कीटनाशकों का छिड़काव करें.
5. धान के खेतों में जल स्तर (2 से 4 सेमी) बनाए रखें.
6. जहां अंकुरण कम हुआ है या फसल नष्ट हो गई है, वहां फसल आकस्मिक योजना के तहत कम अवधि वाली फसलों जैसे लोबिया, तिल, ग्वार, सेम और रामतिल आदि की बुवाई की सिफारिश की गई है.
7. वर्षा आधारित अरहर और अरंडी की फसल ली जा सकती है.
8. आगामी दिनों में बारिश की स्थिति को देखते हुए किसानों को सलाह दी जाती है कि जहां दलहन, तिलहन और सब्जियां लगाई गई हैं, वहां उचित जल निकासी की व्यवस्था करें.
कपास की फसल को ऐसे बचाएं
किसानों को सलाह दी गई है कि वे अपने खेत में जल निकासी की व्यवस्था करें ताकि भारी बारिश के कारण होने वाले जलभराव से बचा जा सके. फली भरने की अवस्था के दौरान, फली छेदक (विशेष रूप से हेलियोथिस आर्मिजेरा) फली और अनाज को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इंडोक्साकार्ब 15.80% ईसी (333 मिली / हेक्टेयर) के छिड़काव से फली छेदक कीट को नियंत्रित किया जा सकता है. फली भरने की अवस्था में कोमल अनाज को खाने वाले चूहों के कारण होने वाली उपज हानि को बचाएं. यह चूहों के बिलों के पास फ्लोकोमाफेन 0.005% ब्लॉक बैट (स्ट्रोम) से बने जहरीले चारे (15-20/हेक्टेयर) रखकर किया जा सकता है.
मक्का की फसल को बचाने के तरीके
किसानों को सलाह दी गई है कि वे अपने खेतों में जल निकासी की व्यवस्था जरूर करें, ताकि भारी बारिश के कारण होने वाले जलभराव से बचा जा सके. कुछ क्षेत्रों में मक्का की फसल में अधिक नमी के कारण शीथ ब्लाइट का संक्रमण देखा गया है, इससे बचाव के लिए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे तने में कार्बेन्डाजिम 1.5 ग्राम/लीटर या प्रोपिकोनाजोल 1 मिली/लीटर पानी का छिड़काव करें. कुछ क्षेत्रों में मक्का की फसल में अधिक नमी के कारण तना सड़न रोग देखा गया है, इसकी रोकथाम के लिए किसान जरूरी उपाय करें.
किसान खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें. अधिक मात्रा में नाइट्रोजन उर्वरक का प्रयोग न करें. कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (सीओसी) 3 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से 12-15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें. मक्का की फसल पर फॉल आर्मी वर्म की संभावना है, इसलिए उस क्षेत्र में नियमित निगरानी रखें. यदि खेत में फॉल आर्मी वर्म दिखाई दे तो क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5 एससी 0.3 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.