महाराष्ट्र के कई जिले भीषण बारिश और बाढ़ की चपेट में हैं. धाराशिव, बीड, जालना, लातूर और नांदेड में हालात बेहद गंभीर बने हुए हैं. नदियां उफान पर हैं, कई तालाब टूट चुके हैं और सैकड़ों गांव जलमग्न हो गए हैं. इस आपदा ने किसानों की फसलें, पशुधन और घरों को भारी नुकसान पहुंचाया है.
धाराशिव जिले के भूम और परंडा तालुकों में सबसे गंभीर स्थिति बनी हुई है. यहां पिछले दो दिनों से हुई मूसलाधार बारिश के कारण बाढ़ जैसे हालात बने हैं. एनडीआरएफ और सेना की टीम ने अब तक 50 नागरिकों को एयरलिफ्ट कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है. कई लोग घरों की छतों और पेड़ों पर फंसे हुए थे.
एक महिला ने कहा, “हमें उम्मीद ही नहीं थी कि हम जिंदा बचेंगे, लेकिन हेलिकॉप्टर की मदद से हमारी जान बच गई. हालांकि, चिंचोली गांव में एक 70 वर्षीय महिला की डूबने से मौत हो गई. प्रशासन के अनुसार, जिले के 92 गांव प्रभावित हैं, 64 हजार से अधिक किसान संकट में हैं और 62,989 हेक्टेयर फसल बर्बाद हो चुकी है.
बेलगांव पिंपलगाव के किसान विश्वनाथ आत्माराम दातखिळे ने बताया, “रात के पानी में मेरी 17 गायें मर गईं, 10 बह गई. 20 बकरियां, 150 मुर्गे, सालभर का चारा, 150 ट्रैक्टर खाद, धान्य और सोलर पंप सब बह गया, करीब 30 से 35 लाख का नुकसान हुआ है.”
घर और बाजार जलमग्न
बीड जिले में भी बाढ़ ने कहर बरपाया है. शिरूर शहर में सिंदफणा नदी और पाटोदा में मांजरा नदी उफान पर आ गई. घरों और दुकानों में पानी भर गया, जिससे लाखों रुपये का नुकसान हुआ है. एक व्यापारी ने कहा, “रातभर की बारिश से बाजार की दुकानों में कीचड़ भर गया, किराना और कपड़े की बिक्री पूरी तरह ठप है” किसानों की कपास, सोयाबीन और तुअर जैसी फसलें नष्ट हो गई हैं. सिंचाई साधनों और बोरवेल को भी भारी नुकसान हुआ है.
खेत तबाह, गांवों का संपर्क टूटा
जालना, लातूर और नांदेड जिलों में भी लगातार बारिश से खेत जलमग्न हो गए हैं. यहां भी कपास और सोयाबीन की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं. कई गांवों का संपर्क टूटा है और बिजली आपूर्ति बाधित है. स्थानीय किसानों का कहना है कि इस बार बारिश ने सिर्फ फसल ही नहीं बल्कि खेत की उपजाऊ मिट्टी भी बहा दी है, जिससे भविष्य की खेती भी कठिन हो जाएगी. एक किसान ने सवाल उठाया, “हाथ का निवाला छिन गया, अब सरकार हमारी मदद नहीं करेगी तो हम जिएंगे कैसे?”
सरकार कर रही है तैयारी
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आश्वासन दिया कि सरकार किसानों के साथ खड़ी है. उन्होंने कहा, “अब तक 31.64 लाख किसानों को 2215 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद मंजूर की गई है, जिसमें से 1829 करोड़ रुपये पहले ही वितरित किए जा चुके हैं, पंचनामे पूरे होते ही आर्थिक सहायता तुरंत दी जा रही है. स्थानीय प्रशासन को यह अधिकार दिया गया है कि वे मृत्य, पशुधन या घर के नुकसान जैसी घटनाओं पर त्वरित मदद दें”
सरकार ने बताया कि धाराशिव, बीड, जालना, लातूर और नांदेड सहित प्रभावित जिलों में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की 17 टीमें काम कर रही हैं. हेलिकॉप्टर और बोट्स के जरिए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है. साथ ही, प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे तुरंत सुरक्षित जगहों पर स्थानांतरित हों क्योंकि धरणों में पानी क्षमता तक भर चुका है और आने वाले दिनों में खतरा और बढ़ सकता है.
बारिश और बाढ़ ने किसानों पर दोहरा संकट खड़ा किया है. खेतों की फसलें तो गई ही, साथ ही पशुधन और घर भी तबाह हुए. खेत की मिट्टी बहने से अब भविष्य की बुआई भी कठिन हो गई है. कोरोना काल में जनता को सहारा देने वाला किसान खुद आज सहारे की तलाश में है. राज्य के कई हिस्सों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है और सरकार ने कहा है कि “मदतकर्म कहीं रुका नहीं है, किसानों को हर हाल में राहत दी जाएगी.