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हिसार: पराली और गोबर के मिश्रण से तैयार किया कोयला, इस तरकीब से मुनाफा कमा सकते हैं किसान

हिसार के विजय श्योराण और मनोज नेहरा ने गोबर व पराली के मिश्रण से कोयला तैयार किया है. बाजार में इसकी कीमत पारंपरिक तरीके से तैयार कोयले से भी कम होगी. इसके अलावा इससे किसानों को पराली जलाने से भी छुटकारा मिलेगा और पर्यावरण भी प्रदूषित नहीं होगा. इन सबके अलावा किसानों के पास इससे कमाई का एक और विकल्प जुड़ जाएगा.

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Hisar Youths Prepares Coal By Mixture Of Stubble And Cow Dung
Hisar Youths Prepares Coal By Mixture Of Stubble And Cow Dung
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पारंपरिक तरीके से तैयार कोयले से कम होगी कीमत
  • खेतों में पराली जलाने से मिलेगा छूटकारा

Coal made By Mixture Of Stubble And Cow Dung: फसलों की कटाई के वक्त दिल्ली-एनसीआर और उसके आसपास के राज्यों में प्रदूषण की बड़ी समस्या खड़ी हो जाती है. फिलहाल खरीफ फसलों की कटाई का समय भी बेहद नजदीक आ गया है. इस बार किसान खेतों में पराली न जलाएं, इसको लेकर दिल्ली, हरियाणा और पंजाब सरकार भी अपने-अपने स्तर पर प्रयास कर रही है. इन सबके बीच हिसार के दो युवा वैज्ञानिकों ने पराली और गोबर के मिश्रण से ऐसा कोयला तैयार किया है, जिससे खेतों में पराली जलाने को लेकर सरकार और किसानों के बीच खींचतान कम हो सकती है.

प्रदूषण को रोकने में मिलेगी मदद

हिसार के विजय श्योराण और मनोज नेहरा ने गोबर व पराली के मिश्रण से कोयला तैयार किया है. बाजार में इसकी कीमत पारंपरिक तरीके से तैयार कोयले से भी कम होगी. इसके अलावा किसानों को पराली जलाने से भी छुटकारा मिलेगा और पर्यावरण भी प्रदूषित नहीं होगा. दूसरी तरफ किसानों के पास कमाई का एक और विकल्प जुड़ जाएगा.

हिसार कृषि विभाग में असिस्टेंट प्रोग्राम ऑफिसर मनोज नेहरा बताते हैं कि खेतों में पराली जलाने को लेकर किसानों और सरकार के बीच हमेशा तनाव रहता है. किसान को अगली फसल के लिए जमीन तैयार करने में पराली जलाना सबसे आसान तरीका दिखाई पड़ता है. वहीं दूसरी तरफ सरकार पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को लेकर चिंतित है. इसी को देखते हुए हमने एक प्राकृतिक तरीके का कोयला तैयार किया. पर्यावरण विभाग में इस कोयले की हमने टेस्टिंग भी कराई है. यहां परिणाम सकारात्मक ही रहे.

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सरकार को भी लिख चुके हैं पत्र

कम्यूटर सांइस से बीएससी कर चुके विजय श्योराण कहते हैं उनके इस प्रोजेक्ट को सरकारी मान्यता मिल जाए और किसानों को फायदा हो इसके लिए कई मंत्रालयों को पत्र लिख चुके हैं. सरकार पराली प्रबंधन के लिए सब्सिडी मशीनों पर करोड़ों खर्च कर रही है. जागरूकता के नाम पर लाखों रुपये बहाए जा रहे हैं. लेकिन जो प्रयोग पराली से मुक्ति दिला सकती है, उसकी कोई सूध नहीं ले रहा. विजय आगे कहते हैं कि जब भी हम विभाग में जाते हैं, तो जबाव मिलता है कल आना. अभी तक प्रोजेक्ट में अपने घर से पूंजी लगा रहे हैं, मगर इस प्रोजेक्ट को बडे स्तर पर ले जाने के लिए उन्हे सरकार से मदद की जरूरत है.

विजय और मनोज के इस बाबत हरियाणा के कृषि विभाग, भारत सरकार के कृषि विभाग,पर्यावरण  विभाग हरियाणा, पर्यावरण विभाग भारत सरकार, पर्यावरण विभाग दिल्ली, बिजली विभाग व एनटीपीसी को भी पत्र लिख चुके हैं. लेकिन उनकी बात अभी तक किसी के भी द्वारा नहीं सुनी गई है. दोनों कहते हैं कि सरकार को हमारी बात सुननी चाहिए ताकि किसानों को पराली जलाने से छुटकारा तो मिले हैं, साथ ही उनको कमाई का एक बेहतर जरिया भी मिल सके.

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