
Wheat Variety Malviya 838: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 सितंबर को ICAR द्वारा विकसित 35 फसलों की विशेष किस्मों को राष्ट्र को समर्पित किया. इन किस्मों की मदद से हम जलवायु परिवर्तन और कुपोषण जैसी गंभीर चुनौतियों से निपट सकते हैं. इसमें प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित गेहूं की प्रजाति मालवीय 838 को भी देश के नाम समर्पित किया.
जिंक और आयरन की प्रचूर मात्रा
BHU के अनुवांशिकी और पादप प्रजनन विभाग से प्रोफेसर वीके मिश्रा ने बताया कि इस प्रजाति को विकसित करने पर उनकी टीम ने तकरीबन 6 साल साथ काम किया. प्रशिक्षणों में पाया गया कि मालवीय 838 में जिंक और आयरन प्रचूर मात्रा में होती है, जो स्वास्थ्य के काफी लाभदायक है. वे बताते हैं कि इस प्रजाति के गेंहू की खेती करने से एक तो किसानों की उत्पादकता बढ़ जाएगी. साथ ही अन्य प्रजातियों के तुलना में सिंचाई की भी जरूरत कम पड़ेगी.

रोग प्रतिरोधक क्षमता
बांग्लादेश में हाल ही में गेंहू की फसलों में व्हीट ब्लास्ट नाम की बीमारी लगने की बात सामने आई है. फंगस की वजह से फसलों में लगने वाले इस बीमारी की वजह से गेंहूं के पौधों में अनाज की बालियां आनी बंद हो जाती हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि हवा के माध्यम से फैलने की क्षमता रखने वाली ये बीमारी जल्द ही भारत में भी अपना प्रभाव दिखा सकती है. ऐसे में अगर बांग्लादेश से सटे भारत के राज्यों में मालवीय 838 जैसी रोग प्रतिरोधक प्रजातियों को लगाया जाए तो किसान भाई समय रहते भारी नुकसान से बच सकते हैं.
प्रोफेसर वीके मिश्रा बताते हैं कि भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल में देशभर से गेंहू के 6 प्रजातियों का परीक्षण किया गया था. जिसमें हमारे द्वारा विकसित मालवीय 838 की प्रजाति भी शामिल थी.लगभग 3 साल अलग-अलग परीक्षण करने के बाद संस्थान ने इसे उम्मीदों पर खड़ा पाया, जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे देश को समर्पित किया.