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पाकिस्तान में न्यूक्लियर रेडिएशन लीक की आशंका से आखिर हर कोई इतना डरा हुआ क्यों है?

प्लूटोनियम-239, परमाणु हथियारों में इस्तेमाल होने वाला एक प्रमुख विस्फोटक है, जो सांस के ज़रिए शरीर में जाने पर दुनिया के सबसे ज़हरीले पदार्थों में से एक बन जाता है. हवा में लीक हुए इस पदार्थ का सिर्फ़ एक ग्राम एक करोड़ लोगों को जहर की ओवरडोज़ दे सकता है.

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पाकिस्तान के किराना हिल्स में न्यूक्लियर लीक की आशंका
पाकिस्तान के किराना हिल्स में न्यूक्लियर लीक की आशंका

पाकिस्तान में न्यूक्लियर रेडिएशन लीक की आशंका ने सभी को परेशान कर दिया है. भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष के बाद इस बारे में अफ़वाहें जंगल में आग की तरह फैल गईं. इसके आसपास के घटनाक्रम ने मामले को और भी ज़्यादा गंभीर बना दिया. अमेरिकी दखल, अचानक सीजफायर, किराना हिल्स के ऊपर मंडराने वाला एक अमेरिकी इमरजेंसी प्लेन और एक मिस्र के प्लेन का टेढ़े-मेढ़े ढंग से उड़ना, इन सबने आग में घी डालने का काम किया.

मीडिया रिपोर्ट से पता चलता है कि इंटरनेशनल न्यूक्लियर एनर्जी एजेंसी (IAEA) ने न्यूक्लियर लीक की किसी भी बात से इनकार किया है. जानते हैं कि न्यूक्लियर रेडिएशन लीक की अटकलों ने दुनिया को आखिर हैरान और डरा क्यों दिया है.

जहर है प्लूटोनियम

न्यूक्लियर लीक वह भी सैन्य ग्रेड वॉरहेड से, न सिर्फ तत्काल में बल्कि हजारों साल तक विनाश का कारण बन सकती है. हम पहले से ही पर्यावरण में मौजूद प्लूटोनियम के संपर्क में हैं, जो 80 साल पहले हुए न्यूक्लियर टेस्ट से आया था. ऐसा इसलिए क्योंकि प्लूटोनियम-239 की हाफ लाइफ 24,110 साल है, मतलब प्लूटोनियम को आधा होने में 24,110 साल लगते हैं.

यूनाइटेड स्टेट्स एनवायरनमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी के मुताबिक, 'वायुमंडलीय परमाणु परीक्षण से निकलने वाले माइक्रो पार्टिकल पर्यावरण में फैल जाते हैं. नतीजतन, करीब हर कोई प्लूटोनियम की बहुत थोड़ी मात्रा के संपर्क में आता है.'

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प्लूटोनियम-239, परमाणु हथियारों में इस्तेमाल होने वाला एक प्रमुख विस्फोटक है, जो सांस के ज़रिए शरीर में जाने पर दुनिया के सबसे ज़हरीले पदार्थों में से एक बन जाता है. कनाडा के परमाणु दायित्व गठबंधन के मुताबिक, हवा में लीक हुए इस पदार्थ का सिर्फ़ एक ग्राम एक करोड़ लोगों को जहर की ओवरडोज़ दे सकता है.

शरीर में कैंसर का खतरा

प्लूटोनियम-239 के सांस के जरिए शरीर में जाने से सबसे ज़्यादा ख़तरा होता है, साथ ही कैंसर पैदा करने वाले दूसरे तत्व भी इसमें मौजूद हैं. इनमें आयोडीन-131, सीज़ियम-137, स्ट्रोंटियम-90 और यूरेनियम-235 शामिल हैं.

आयोडीन-131 और सीज़ियम-137 न्यूक्लियर रिएक्शन प्रोसेस के बाईप्रोडक्ट हैं. ये परमाणु हादसों के बाद भी पाए जाते हैं. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक ये क्रमशः थायरॉयड कैंसर और मसल्स टिशू कैंसर का कारण बनते हैं.

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स्ट्रोंटियम-90 भी एक बाइप्रोडक्ट है और यह परमाणु हादसों के बाद पाया जाता है. यह कैल्शियम की तरह काम करता है और हड्डियों और दांतों में दाखिल हो जाता है, जिससे कैंसर होता है. यूरेनियम-235 न्यूक्लियर वॉरहेड का एक कॉम्पोनेंट है और अगर इसके संपर्क में आ जाएं तो फेफड़ों, हड्डियों या लिवर में कैंसर पैदा कर सकता है.

यह सब अत्यंत चिंताजनक है और यह समझ में आता है कि क्यों पाकिस्तान में न्यूक्लियर लीक की अफवाहों से वहां और भारत में व्यापक पैमाने पर दहशत फैल गई है.

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