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जंग, तबाही और शवों का ढेर... अस्पतालों में जिंदगी-मौत से जूझ रहे लोगों के बीच मुस्कान बांटने वाले इजरायली कपल की कहानी

इजरायल दर्द से गुजर रहा है. हमास ने जो जख्म दिए हैं, वो बहुत गहरे हैं. लोगों के घर उजड़ गए हैं. परिवारों को खो दिया है. बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हैं, जो जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं या हमले में गंभीर घायल हो गए हैं और मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं. ऐसे लोगों को हंसाने और स्ट्रेस कम करने के लिए इजरायल में एक कपल दिनरात मेहनत कर रहा है. आजतक ने इस कपल से मेडिकल क्लाउन से लेकर डेडबॉडी की प्रोसेस निपटाने तक की जर्नी के बारे में बात की है.

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इजरायली कपल लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए काम कर रहा है.
इजरायली कपल लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए काम कर रहा है.

इजरायल 21 दिन से युद्ध के मैदान में है. 7 अक्टूबर को हमास के लड़ाकों ने इजरायल वासियों को जो जख्म दिए हैं, वो जल्दी भरने वाले नहीं है. बर्बरता और क्रूरता झेलने वाले लोग हॉस्पिटल में हैं. वे इस समय गहरी मानसिक पीड़ा से गुजर रहे हैं. उनके इस अवसाद को दूर करने के लिए इजरायल का एक कपल दिनरात मेहनत कर रहा है. कहने को तो ये कपल हॉस्पिटल में जाकर लोगों को हंसाता है, लेकिन अंदरखाने खुद दर्द और जख्मों को यादकर टूट जाता है. आजतक ने फमिली शहर में एक कपल से मुलाकात की है. उसने मेडिकल क्लाउन बनने से लेकर शवों की अंतिम प्रक्रिया की ड्यूटी निभाने तक की पूरी जर्नी शेयर की है.

आजतक ने येल और उनकी पत्नी हदास से बात की है. येल बताते हैं कि वो इजरायली फौज (IDF) में एक सिपाही हैं. 7 अक्टूबर को युद्ध शुरू हुआ, उससे पहले वो एक मेडिकल क्लाउन के रूप में काम करते थे. अच्छी खासी प्रॉफिट होती थी. लेकिन, इस समय देश को उनकी जरूरत है इसलिए वो देश सेवा के लिए काम कर रहे हैं. 

'हॉस्पिटल में मरीजों को हंसाने जाते हैं येल'

येल कहते हैं कि ड्यूटी के बाद पत्नी हदास के साथ हॉस्पिटल में जाते हैं. वहां मरीजों को हंसाते हैं. लेकिन, हमास की बर्बरता को यादकर आंखों में आंसू आ जाते हैं. कपल हॉस्पिटल में मरीजों के साथ समय बिताता है. वहां उनसे बातचीत करता है. मरीजों के चेहरे पर एक बार मुस्कान लाने के लिए हर तरह के जतन करता है. 

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इजरायल

'बीमार लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाते हैं मेडिकल क्लाउन'

बता दें कि मेडिकल क्लाउन वो लोग होते हैं जो हॉस्पिटल में जाते हैं. वहां गंभीर रूप से बीमार लोगों से मिलते हैं और उन्हें हंसाने की कोशिश करते हैं. उनका मन बहलाने की कोशिश करते हैं, ताकि वो अपनी बीमारी और दर्द को भूल जाएं. सदमे से निकल आएं और सामान्य महसूस करने लगें.

'बॉडी डॉक्यूमेंटेशन की ड्यूटी कर रहे येल'

येल बताते हैं कि उनका पेशा मेडिकल क्लाउन का था. अब सेना की ड्यूटी संभाल रहे हैं. जो लोग हमले में मारे गए हैं या युद्ध में मारे गए हैं, उनका डॉक्यूमेंटेशन करते हैं. जरूरी प्रक्रिया पूरी करवाते हैं. इसी बीच, मौका मिलता है तो मरीजों के बीच पहुंच जाते हैं और उन्हें सदमे से दूर लाने की कोशिश करते हैं. उनके साथ उनकी पत्नी भी सहयोग कर रही हैं. वो एक सोशल वर्कर हैं और फैमिली थैरेपी देती हैं.

'परिवारों की मदद कर रहीं येल की पत्नी'

येल की पत्नी हदास कहती हैं कि जो परिवार मुश्किलों में हैं और उन्हें किसी तरह की जरूरत है तो सूचना मिलने पर उनकी मदद करते हैं. युद्ध की वजह से काम बढ़ गया है. जिम्मेदारी बढ़ गई है. हदास कहती हैं कि मैं फिलहाल अपने दफ्तर नहीं जाती हूं. वो डेंजर्स इलाके में आता है. मैं ज्यादातर ऑनलाइन काम करती हूं. मैं उन कपल के साथ ऑनलाइन मीटिंग करती हूं, जिन्हें मदद की जरूरत है.

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'लोगों में बढ़ गया है स्ट्रेस'

येल ने मेडिकल क्लाउन के अनुभव भी शेयर किए. उन्होंने बताया कि वो हॉस्पिटल जाते हैं. वहां जो मरीज भर्ती हैं, उन्हें एंटरटेन करते हैं. उनके चेहरे पर मुस्कान लाते हैं. कपल का कहना था कि हमास ने बेहद दर्दनाक जख्म दिए हैं. उन्हें भूलना आसान नहीं है. घर उजड़ गए हैं. परिवार खत्म हो गए हैं. लोग दर्द भरे माहौल से गुजर रहे हैं. हमले के बाद स्ट्रेस बढ़ गया है. इजरायल में आज हर किसी आंखें नम हैं. हर किसी को भावुक देखा जा रहा है. तनाव के बीच किसी के चेहरे पर मुस्कुराहट लाना भी एक कला है. हमारे लिए यह बड़ी चुनौती थी. ऐसे में हम उन लोगों को हंसाने के लिए एंटरटेन करने की कोशिश करते हैं.  

'सबसे बड़ी चुनौती थी शवों की पहचान करना'

येल कहते हैं कि तीन हफ्ते पहले युद्ध शुरू हुआ था. मैंने भी आर्मी जॉइन की. मुझे पहले दिन ही शव मिलने शुरू हो गए. जब मैं सुबह अस्पताल गया तो जमीन पर 100 शव पड़े थे. वहां लोग आ रहे थे और पहचान करने के बाद शवों को कफन में लपेटकर ले जा रहे थे. मैंने शवों को क्षत-विपक्ष हालत में भी देखा. इतने खराब कि उन्हें उठाकर भी ले जाने में मशक्कत करनी पड़ रही थी. मेरे सामने चुनौती यह थी कि शवों को कैसे पहचानें? हमारे पास डॉक्टरों की बड़ी संख्या है. एक प्रकिया तय की गई, उसी आधार पर शवों की पहचान करवाई गई.

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(तेल अवीव से राजेश पवार की रिपोर्ट)

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