scorecardresearch
 

भाड़े के रूसी सैनिकों पर लगा सूडान में तबाही मचाने का आरोप, इसमें 80% से ज्यादा किसी न किसी अपराध में शामिल

सूडान इस वक्त गृहयुद्ध की आग में जल रहा है. बिगड़ते हालातों के बीच बहुत से देश वहां फंसे अपने लोगों को निकालने की मुहिम शुरू कर चुके. इस बीच एक चौंकाने वाली खबर आई, जिसके मुताबिक रूस का वैगनर ग्रुप भी सूडान में एक्टिव है. ये एक तरह के भाड़े के सैनिक हैं, जिन्हें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की शैडो आर्मी भी कहा जाता है.

Advertisement
X
सांकेतिक फोटो (Pixabay)
सांकेतिक फोटो (Pixabay)

सूडान में मिलिट्री और पैरामिलिट्री के बीच जंग लगातार और घातक हो रही है. इस बीच रूस के वैगनर ग्रुप ने दोनों के बीच सुलह कराने की बात कही. हालांकि ये मानना मुश्किल है कि वैगनर्स हिंसा को रोकने की कोशिश कर सकते हैं. ये ऐसा समूह है, जो देशों की लड़ाइयों में एक पार्टी को भाड़े के सैनिक दिलाता है ताकि दूसरा पक्ष हार जाए. बदले में ग्रुप कोई न कोई बड़ी कीमत मांगता है. 

क्या हो सकता है सूडान में
माना जा रहा है कि शांतिदूत बनने का दिखावा करते हुए वैगनर ग्रुप सूडान की सोने की खदानों पर कब्जा करना चाहेगा. अमेरिकी खुफिया एजेंसियां ये तक दावा कर रही हैं कि ग्रुप चुपके से पैरामिलिट्री फोर्स को हथियार दे रहा है ताकि वो सूडान को हथिया सके. इसके बदले ग्रुप को अच्छी-खासी कीमत मिलेगी, जो सूडानी राजनीति में बाहरी दखल से लेकर वहां गोल्डमाइन्स में शेयर बटोरना भी हो सकती है, या ट्रेड में कोई मोटी डील भी.

क्या है वैगनर ग्रुप
यह रशियन प्राइवेट मिलिट्री कंपनी है, जिसका काम है दुनियाभर में फैलकर सीधे या अपरोक्ष तरीके से रूस के फेवर में काम करना है. जैसे अगर सूडान का ही मामला लें तो वैगनर्स किसी एक को सपोर्ट करके उसे जिताएंगे. जीती हुई पार्टी अब वैगनर्स की शुक्रगुजार होगी, और जो भी फैसले लेगी, वो रूस के हित में लेगी. या फिर उनके खिलाफ लेगी, जो रूस का बुरा चाहते हों. कहा जाता है कि इस कम्युनिस्ट देश से चूंकि बहुत से देश बचते हैं तो रूस का ये समूह परदे की ओट लेकर अपने हित साध रहा है. 

Advertisement
wagner group in sudan civil war connection with russia vladimir putin
सूडान में मिलिट्री और पैरामिलिट्री के बीच सत्ता की लड़ाई छिड़ी हुई है. सांकेतिक फोटो (Getty Images)

कब बना समूह 
साल 2013 में ये ग्रुप तैयार हुआ. यूएस नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के अंदाजे के मुताबिक, इसमें 80 प्रतिशत से ज्यादा लोग वे हैं, जो कभी न कभी अपराध कर चुके. इनमें भी ज्यादातर अनुभवी सैनिक हैं. ऊपरी तौर पर भाड़े के सैनिकों वाले कंसेप्ट को रूस नकारता है, लेकिन पिछले साल ही इसे कंपनी की तरह रजिस्टर किया गया और सेंट पीटर्सबर्ग में हेडक्वार्टर बनाया गया.

अब ये खुलकर पूर्व सैनिकों या ऐसे आम लोगों की भर्तियां कर रहा है, जिन्हें हथियार चलाना आता हो, और जो देश के काम आना चाहते हों. वैगनर ग्रुप खुद को देशभक्त संगठन की तरह पेश करने लगा है. यहां तक कि रूस में इसके बैनर-पोस्टर तक लगे हुए हैं. 

क्या करते हैं ये सैनिक
पहले माना जाता था कि इसमें कुछ ही हजार प्राइवेट सैनिक होंगे, लेकिन यूक्रेन से जंग छिड़ने के बाद असल संख्या समझ आई. यूएस नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल का मानना है कि इस वक्त यूक्रेन में लगभग 50 हजार वैगनर काम कर रहे हैं. चूंकि इनका खास प्रोटोकॉल नहीं होता, इसलिए ये आम सैनिकों से ज्यादा खूंखार होते हैं. नागरिकों की जगह पर जाकर नुकसान पहुंचाना भी इनमें दिखता है. इस तरह से रूस खुफिया तरीके से यूक्रेन पर या किसी दुश्मन देश पर दबाव बना सकता है. 

Advertisement
wagner group in sudan civil war connection with russia vladimir putin
वैगनर ग्रुप का हेटक्वार्टर फिलहाल सेंट पीटर्सबर्ग में है. सांकेतिक फोटो (Getty Images)

हिंसा झेलते देशों से भी हो रही भर्तियां
वैगनर ग्रुप वैसे तो रूस के फायदे के लिए काम करता है लेकिन इसमें सिर्फ रूसी लोग ही नहीं. शुरुआत में पूर्व सैनिक, ट्रेंड अपराधी जैसे लोग इससे जुड़े, फिर दूसरे देशों के लोग भी इसका हिस्सा बनने लगे. जैसे सीरिया, अफगानिस्तान जैसे देशों में काफी सारे लोग हैं, जो लड़ाके हैं, लेकिन जिनके पास गुजारे के पैसे नहीं. वैगनर्स ऐसे लोगों को लालच देकर अपने साथ मिला रहे हैं. इन्हीं लोगों को यूक्रेन या हिंसा झेलते दूसरे देशों में भेजा जाता है. इससे रूस का अपना खास नुकसान भी नहीं होता क्योंकि उसके लोग मरने से बचे रहते हैं. कुल मिलाकर ये रूस के लिए विन-विन की स्थिति है.

कौन है इसका लीडर 
येवगेनी विक्टरोविच प्रिगोझिन इस ग्रुप को लीड करता है. ये घोषित अपराधी है, जिसने अस्सी के दशक में मारपीट, डकैती और कई जुर्म किए थे. जेल से छूटने के बाद प्रिगोझिन ने हॉट-डॉग बेचना शुरू कर दिया और जल्द ही पुतिन की नजरों में आ गया. ये अपराधी रूसी राष्ट्रपति का इतना खास बन गया, कि पुतिन का शेफ तक कहलाने लगा. अब इसके पास रेस्त्रां की चेन से लेकर दुनिया के बहुत से देशों में फेक नामों से अलग-अलग बिजनेस होने की बात कही जाती है. 

Advertisement
wagner group in sudan civil war connection with russia vladimir putin
पुतिन के साथ येवगेनी विक्टरोविच प्रिगोझिन- दाएं (AFP)

पुतिन और वैगनर ग्रुप के मुखिया के रिश्ते हुए थे तल्ख
वैसे तो वैगनर ग्रुप का लीडर एक समय पर पुतिन का खास रहा, लेकिन धीरे-धीरे दोनों के बीच तनाव आने लगा. पुतिन लगातार बीमार या कमजोर दिख रहे हैं. ऐसे में प्रिगोझिन के बारे में कहा जाने लगा कि वो पुतिन की जगह ले सकता है. उसने मीडिया में बयान देना भी शुरू कर दिया कि ज्यादातर रूसी राजनेता देश की फिक्र छोड़ चुके. ये एक तरह से पुतिन पर भी हमला था. ऐसे में तनाव आना ही था. लेकिन सालभर पहले शुरू हुए यूक्रेन युद्ध में प्रिगोझिन की भाड़े की सेना ने यूक्रेन में जमकर खूनखराबा मचाया. इससे पुतिन थोड़े नर्म पड़े. 

18 अफ्रीकी देशों में फैल चुका
रूस की इस शैडो आर्मी का सबसे बड़ा टारगेट फिलहाल अफ्रीका है. वहां के 18 देशों में ये फैल चुकी और किसी न किसी पार्टी की मदद कर रही है. जैसे माली में इसके हजार से ज्यादा सैनिक रूस की मदद से प्रेसिडेंट बने असिमी गोइता के साथ खड़े हैं. बदले में गरीब देश माली उन्हें हर महीने लगभग 10 मिलियन डॉलर चुका रहा है. सूडान में वैगनर ग्रुप साल 2017 में ही आ चुका और लगातार सोने की खदानों पर कब्जा कर रहा है. बदले में वो वहां की अस्थिर सरकार में एक को जिताने का वादा करता है. मोजांबिक, बुर्किना फासो और लिबिया जैसे हर इस देश में वैगनर ग्रुप सेंध लगा चुका, जहां सोना मिलता हो. 

Advertisement
Advertisement