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अमेरिकन ड्रीम हुआ महंगा! ट्रंप के फैसले से भारतीय स्टूडेंट्स और प्रोफेशनल्स को लगेगा झटका

सरकार के पास भविष्य के नियमों के जरिए इस फीस को बढ़ाने का भी अधिकार है और 2026 से शुरू होकर, यह राशि कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) के आधार पर हर साल एडजस्ट की जाएगी. यह फीस भले ही सिक्योरिटी डिपोजिट के तौर पर बनाई गई है, लेकिन इसका मकसद अमेरिकी इमिग्रेशन लॉ का पालन कराना है. 

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अमेरिकी वीजा लेना हुआ और महंगा
अमेरिकी वीजा लेना हुआ और महंगा

अमेरिका ने अपनी इमिग्रेशन पॉलिसी में एक और बदलाव करते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 'वन बिग ब्यूटीफुल बिल' एक्ट के तहत 250 डॉलर (करीब 21000 रुपये) की वीजा इंटीग्रिटी फीस लागू कर दी है. ट्रंप का महत्वाकांक्षी बिल 4 जुलाई को कानून बन गया है. बिल के तहत ली जाने वाली फीस महंगाई के आधार पर हर साल बदलेगी और एक सिक्योरिटी डिपोजिट की तरह होगी, अगर आवेदक कुछ शर्तों को पूरा करते हैं तो यह रकम वापस की जा सकती है. 

वीजा इंटीग्रिटी फीस क्या है?

ट्रंप प्रशासन की तरफ से इस नई फीस को आवेदकों को अमेरिकी इमिग्रेशन कानूनों का पालन कराने की कोशिशों के तौर पर देखा जा रहा है. राष्ट्रपति ट्रंप की तरफ से 4 जुलाई को साइन किए जाने के बाद वन बिग ब्यूटीफुल बिल एक एक्ट बन गया. नया वीजा नियम उसी का हिस्सा है. इस नियम से भारतीय पेशेवर और छात्रों के लिए अमेरिकन ड्रीम महंगा सौदा होने वाला है.

नए नियम के मुताबिक यह अनिवार्य फीस जो 2026 से प्रभावी होगी, 'किसी भी विदेशी को जारी किए गए गैर-आप्रवासी वीजा' एप्लीकेशन पर लागू होगी, जिसमें टूरिस्ट/बिजनेस (बी-1/बी-2), स्टूडेंट (एफ/एम), वर्क (एच-1बी) और एक्सचेंज (जे) वीजा शामिल हैं, सिर्फ डिप्लोमेटिक कैटेगरी वीजा (ए और जी) के लिए इसमें छूट दी गई है. 

जैसा कि कानून में दर्ज है, होमलैंड सुरक्षा विभाग (डीएचएस) मौजूदा वीज़ा एप्लीकेशन कॉस्ट के अलावा वीज़ा जारी करते समय यह सरचार्ज लगाएगा. ये नए नियम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से अवैध आव्रजन के खिलाफ नियमों को मजबूत करने की कोशिशों के बीच आए हैं.

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कितना पैसा ज्यादा लगेगा?

अमेरिका स्थित इमिग्रेशन सर्विस फर्म फ्रैगोमेन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बिल में अन्य यात्रा-संबंधी फीस भी शामिल हैं, जिनमें 24 डॉलर का I-94 फीस, वीज़ा छूट कार्यक्रम के यात्रियों के लिए 13 डॉलर का इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम फॉर ट्रैवल ऑथराइजेशन (ESTA) फीस और 10-वर्षीय B-1/B-2 वीज़ा वाले कुछ चीनी नागरिकों के लिए 30 डॉलर का इलेक्ट्रॉनिक वीज़ा अपडेट सिस्टम (EVUS) फीस शामिल है, जिनमें से कोई भी छूट के लायक नहीं है.

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आज की तारीख में भारतीयों के लिए अमेरिकी टूरिस्ट/बिजनेस वीज़ा (बी-1/बी-2) की कीमत करीब 185 डॉलर (15,855 रुपये) है. नए सरचार्ज के साथ, जिनमें 250 डॉलर की इंटीग्रिटी फीस, 24 डॉलर का आई-94 फीस और 13 डॉलर का ईएसटीए फीस शामिल है, टूरिस्ट वीज़ा की कीमत करीब 472 डॉलर (40,456 रुपये) होगी, जो मूल कीमत का करीब ढाई गुना है.

अमेरिका की यात्रा होगी मुश्किल

सरकार के पास भविष्य के नियमों के जरिए इस फीस को बढ़ाने का भी अधिकार है और 2026 से शुरू होकर, यह राशि कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) के आधार पर हर साल बढ़ाई जाएगी. यह फीस भले ही सिक्योरिटी डिपोजिट के तौर पर बनाई गई है, लेकिन इसका मकसद अमेरिकी इमिग्रेशन लॉ का पालन कराना है. 

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फीस वीजा अवधि से ज्यादा समय तक रुकने की अवधि को कम कर सकती है, साथ ही यह लीगल विजिटर्स को हतोत्साहित कर सकती है. यहां तक कि सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी सीमित कर सकती है, खासतौर पर विकासशील देशों से आने वाले विजिटर्स के लिए यह एक बड़ी चुनौती साबित होगी. 

कैसे रिफंड मिलेगी फीस?

फीस का रिफंड मुमकिन है, लेकिन इसके लिए कड़ी शर्तें हैं. अगर वे अपने वीज़ा की समाप्ति के पांच दिन के भीतर बिना किसी एक्सटेंशन या स्टेटस चेंज के अमेरिका से चले जाते हैं, या अगर वे I-94 की समाप्ति से पहले स्थायी निवास हासिल कर लेते हैं, तो वीज़ा धारक रिफंड के लिए अप्लाई कर सकते हैं.

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I-94 एक आगमन/प्रस्थान रिकॉर्ड है जो अमेरिकी कस्टम और बॉर्डर प्रोटेक्शन (CBP) की ओर से अमेरिका में एंट्री करने वाले गैर-आप्रवासियों को जारी किया जाता है. हालांकि, रिफंड प्रोसेस ऑटोमेटिक नहीं है और इसके लिए पर्याप्त दस्तावेज की जरूरत होगी, जैसे प्रस्थान रिकॉर्ड या एडजस्टमेंट का सर्टिफिकेट.

इसका पालन न करने पर फीस अमेरिकी ट्रेजरी के जनरल फंड में जमा कर दी जाएगी. रिफंड प्रोसेस के बारे में ज्यादा स्पष्टता के लिए अमेरिकी विदेश विभाग से आगे गाइडेंस मिलने की उम्मीद है. विकासशील देशों के प्रोफेशनल्स, पर्यटकों और छात्रों के लिए वीजा इंटीग्रिटी फीस एक बड़ी वित्तीय बाधा है, जिसमें बढ़ी हुई कॉस्ट को मैनेज करने के लिए सावधानी और प्लानिंग की जरूरत हो सकती है.

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