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40 की उम्र, ड्रोन-मिसाइलों पर कब्जा... कौन है हूती विद्रोदियों का चीफ अब्दुल मलिक, जिसने समंदर में पैदा कर दिया वार का संकट!

विश्लेषक मानते हैं कि लेबनान के हिज्बुल्ला की तुलना में हूती अधिक स्वतंत्र हैं और यमन की राजनीति में अन्य पक्षों की तरह बदलते गठबंधनों में अहम रोल अदा करते हैं. यमन के बड़े हिस्से पर हूती विद्रोहियों का कब्जा है. सऊदी अरब ने 2017 में यहां दखल देकर हूती विद्रोहियों को हटाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति हादी के समर्थन वाले बलों की मदद की थी.

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हूती नेता अब्दुल-मलिक अल हूती (फोटो- रॉयटर्स)
हूती नेता अब्दुल-मलिक अल हूती (फोटो- रॉयटर्स)

यमन में हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर अमेरिका और ब्रिटेन ने मिलकर हवाई हमला कर दिया है. हूती विद्रोही पिछले साल नवंबर से लाल सागर में अंतरराष्ट्रीय मालवाहक जहाजों को लगातार निशाना बना रहे हैं जिसके बाद अमेरिकी नेतृत्व में पहली बार हूती विद्रोहियों पर हमला किया गया है. दरअसल यमन के हूती लड़ाकों के रहस्यमय नेता अब्दुल मलिक अल-हूती ने वैश्विक शक्तियों को चुनौती देने वाली एक विद्रोही सेना बनाई है.

हूती विद्रोहियों ने समुद्री जलमार्ग को बनाया निशाना

यमन के बड़े हिस्से पर हूती विद्रोहियों का कब्जा है. सऊदी अरब ने 2017 में यहां दखल देकर हूती विद्रोहियों को हटाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति हादी के समर्थन वाले बलों की मदद की थी. लाल सागर यूरोप को एशिया और पूर्वी अफ्रीका से जोड़ने वाला सबसे अहम जलमार्ग है. मलिक की हूती विद्रोही सेना के हमलों के इस कारण कई जहाजों ने अफ्रीका में परिचालन निलंबित कर दिया है या फिर लाल सागर और अरब सागर की बजाय दूसरा लंबा रास्ता अपना लिया है.

ईरान समर्थित विद्रोहियों द्वारा समुद्र में जो हमले किए जा रहे हैं उससे वैश्विक शिपिंग व्यापार पर दबाव बढ़ रहा है जो वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ सकता है. हूती विद्रोहियों का कहना है कि जब तक कि इजरायल हमास को खत्म करने के लिए गाजा पर बमबारी बंद नहीं कर देता तब तक वह हमले जारी रखेगा. अब जब अमेरिका और ब्रिटेन ने मिलकर हूती विद्रोहियों के खिलाफ हमले तेज कर दिए हैं तो हूती विद्रोहियों ने भी धमकी दी है कि वह हमलों का बदला लेने के लिए अमेरिकी और ब्रिटिश हमलों का जवाब जरूर देंगे. 

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कुछ विश्लेषकों का कहना है कि हूती विद्रोहियों ने अब दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेना से हवाई हमलों को आमंत्रित किया है इससे उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं. संगठन का नाम इसके संस्थापक हुसैन बदरेद्दीन अल-हूती के नाम पर रखा गया है. 

कौन है हूतियों का नेता अल- हूती

हूती संगठन के मुखिया अब्दुल मलिक अल-हूती की उम्र करीब 40 साल है और इसके निर्देशन में समूह में हजारों लड़ाके हैं. इसके अलावा इस विद्रोही संगठन के पास सशस्त्र ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलों का एक विशाल शस्त्रागार भी है. अपने इस हथियारों का प्रयोग उसने सऊदी बुनियादी ढांचे पर बार-बार हमला करने के लिए किया. जनवरी 2022 में, हूती विद्रोहियों ने अमेरिका के प्रमुख सहयोगी सऊदी अरब की तरह  संयुक्त अरब अमीरात पर मिसाइल हमला कर दिया था.

अल हूती एक रहस्यमयी शख्स है जो एक जगह पर बहुत कम रूकता है. इसके अलावा उसे मीडिया से कभी न मिलने और सार्वजनिक जगहों पर नाममात्र की मौजूदगी के लिए जाना जाता है. यमन युद्ध की शुरुआत के बाद से ही, जिसे सऊदी अरब और ईरान के बीच छद्म युद्ध के रूप में देखा जाता है, अल हूती ने कभी भी अपने अधिकारियों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात नहीं की.

यमन की राजधानी सना को हूतियों का गढ़ कहा जाता है. सना में ही अब्दुल मलिक हूती ने बैठकें की और इस दौरान हूतियों के भारी-भरकम सुरक्षा काफिले के साथ पहुंचा था. यहीं से एक गुप्त स्थान से वह अपने समर्थकों को स्क्रीन के जरिए संबोधित करता रहा है.

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हूती संघर्ष की शुरुआत

हूती संघर्ष की शुरूआत ज़ायदी शियाओं के हितों के लिए लड़ने के लिए हुई थी जो एक अल्पसंख्यक संप्रदाय है, जिसने 1962 तक यमन में 1,000 साल के साम्राज्य पर शासन किया था. लेकिन अली अब्दुल्ला सालेह के 1990-2012 के शासन के दौरान इस पर खतरा बढ़ते चला गया.

हूती विद्रोहियों को ईरान का समर्थन प्राप्त है जिसने 2021 में यमन की सऊदी समर्थित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार को निर्वासन के लिए मजबूर कर दिया था. हूतियों ने तेहरान को अपने क्षेत्रीय प्रॉक्सी नेटवर्क का विस्तार करने में मदद की है, जिसमें लेबनान में हिज्बुल्ला और इराक और सीरिया में इजरायल विरोधी ईरानी मिलिशिया जैसे संगठन शामिल हैं. यमन विशेषज्ञों का कहना है कि हूती मुख्य रूप से घरेलू एजेंडे से प्रेरित हैं, हालांकि वे ईरान और हिज्बुल्ला के साथ राजनीतिक संबंध साझा करते हैं. हूती तेहरान की कठपुतली होने से इनकार करते हैं और कहते हैं कि वे भ्रष्ट व्यवस्था और क्षेत्रीय आक्रामकता से लड़ रहे हैं.

'प्रतिरोध की धुरी'

ईरान अपने क्षेत्रीय "प्रतिरोध की धुरी" के तहत हूती विद्रोहियों समर्थन करता है. सऊदी अरब और उसके सहयोगियों ने ईरान पर हूतियों को हथियार देने और प्रशिक्षण देने का आरोप लगाया, हालांकि तेहरान ने आरोपों से इनकार किया. विश्लेषक मानते हैं कि लेबनान के हिज्बुल्ला की तुलना में हूती अधिक स्वतंत्र हैं और यमन की राजनीति में अन्य पक्षों की तरह बदलते गठबंधनों में अहम रोल अदा करते हैं.

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2017 के अंत में, हूती विद्रोहियों ने अली अब्दुल्लाह सालेह की हत्या कर दी थी. इसके बाद उन्होंने अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए एक सैन्य राज्य भी बनाया है. विश्लेषक कार्लिनो कहते हैं, "हूती एक बहुत ही क्रूर आंतरिक खुफिया तंत्र पर भी भरोसा करते हैं, जो किसी भी तरह की असहमति खत्म करने में विश्वास रखते हैं. 

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