संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत इरीन खान ने बांग्लादेश सरकार से युवा नेता उस्मान हादी की हत्या की 'तुरंत, निष्पक्ष और प्रभावी जांच' की मांग की है. इसके साथ ही उन्होंने बांग्लादेश में मीडिया संस्थानों और पत्रकारों पर हो रहे हालिया हमलों को लेकर गहरी चिंता जताई है. लेकिन, इरीन खान के इस बयान में बांग्लादेशी हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की हत्या का कोई उल्लेख नहीं किया गया है.
दीपू चंद्र दास की हत्या को लेकर देश के भीतर और बाहर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और अल्पसंख्यक समुदायों पर बढ़ते हमलों को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं. गौरतलब है कि इरीन खान, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और विचार की आज़ादी पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत हैं.
मीडिया संस्थानों पर हमलों को बताया बेहद खतरनाक
जिनेवा से जारी अपने बयान में इरीन खान ने कहा कि बांग्लादेश के प्रमुख मीडिया संस्थानों डेली स्टार, प्रथम आलो और छायानट सांस्कृतिक केंद्र पर हुए हमले बेहद चिंताजनक हैं और इनकी जांच बिना देरी के होनी चाहिए. उन्होंने उस्मान हादी की हत्या की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि उनके निधन के बाद जिस तरह से पत्रकारों और कलाकारों को निशाना बनाकर संगठित भीड़ हिंसा की गई, वो लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है.
इरीन खान के मुताबिक जनता के गुस्से को मीडिया और कलाकारों के खिलाफ मोड़ना बेहद खतरनाक है, खासकर ऐसे समय में जब देश चुनाव की तैयारी कर रहा है. इससे मीडिया की स्वतंत्रता, अल्पसंख्यक आवाज़ों और असहमति के विचारों पर डर का माहौल बन सकता है.
अंतरिम सरकार पर भी उठाए सवाल
UN विशेष दूत ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की भूमिका पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि मीडिया और अभिव्यक्ति की आजादी पर हो रहे हमले अचानक नहीं हुए हैं, बल्कि यह लंबे समय से बनी दंडहीनता का नतीजा हैं. उनके अनुसार, बीते एक साल में बांग्लादेश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, खासकर मीडिया की आजादी पर राज्य और गैर-राज्य दोनों तरह के तत्वों से गंभीर दबाव बढ़ा है.
पत्रकारों की गिरफ्तारियों और हत्याओं का जिक्र
इरीन खान ने अपने बयान में बताया कि अगस्त 2024 के बाद से सैकड़ों पत्रकारों को हत्या, आतंकवाद जैसे गंभीर आरोपों में गिरफ्तार किया गया है. कई पत्रकारों को लंबे समय तक बिना सुनवाई के हिरासत में रखा गया, जबकि कुछ पत्रकारों की हत्या भी हुई है.
उन्होंने कहा कि मौजूदा अंतरिम सरकार ने भी काफी हद तक पुराने पैटर्न का ही पालन किया है, जिससे हमलावरों को सजा न मिलने का सिलसिला जारी रहा है. UN विशेष दूत ने बांग्लादेश सरकार से अपील की कि चुनाव से पहले पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, नागरिक समाज, महिलाओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं. वहीं, इरीन खान के पूरे बयान में दीपू चंद्र दास की हत्या या हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों का कोई जिक्र नहीं किया गया है, जिसे लेकर सोशल मीडिया और मानवाधिकार समूहों में सवाल उठ रहे हैं.