
युद्ध कला पर 2500 साल पहले लिखी गई चीनी दार्शनिक सन त्जू की किताब के सबक 21वीं सदी में भी मौजूं हैं. सन त्जू अपनी किताब Art of War में लिखते हैं, "जब लड़ाई असली हो और जीत पाने में देरी हो रही हो, तो हथियार अपनी धार खो बैठते हैं और सैनिकों का जोश ठंडा पड़ जाता है. लम्बे चलने वाले युद्ध में राज्य के सभी संसाधन उस युद्ध का बोझ उठाने की क्षमता खो देते हैं."
रूस पर यूक्रेन के ताजा ड्रोन हमले के बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के मन में ऐसे ही सवाल उमड़-घुमड़ रहे होंगे. 25 सालों से रूस की सत्ता संभाल रहे 72 साल के व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन की इस हिमाकत का क्या और कैसे जवाब देंगे? रूस के जवाबी आक्रमण का दायरा क्या होगा. कहीं पुतिन का जवाब इतना भयानक न हो कि ये कदम तीसरे विश्व युद्ध को न्योता दे दे?
41 लॉन्ग रेंज बॉम्बर नष्ट, 7 अरब डॉलर का नुकसान
1 जून, 2025 को, यूक्रेन ने रूस के अंदर 4000 किलोमीटर तक घुस कर हमला किया. यूक्रेन ने दावा किया है कि इन हमलों में रूस के 5 बड़े एयरबेस बेलाया, ड्यागिलेवो, इवानोवो, ओलेन्या और अन्य तबाह हुए. यूक्रेन की सीक्रेट एजेंसी SBU ने इस हमले को लेकर कहा है कि उसके मिसाइल अटैक में रूस के 41 लंबी दूरी के बमवर्षक विमान तबाह हो गए. इन विमानों की जलती हुई तस्वीरें मीडिया पर चल रही हैं.
यह हमला रूस के सैन्य संसाधनों को कमजोर करने वाला अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन हमला था. यूक्रेन ने इस ऑपरेशन को स्पाइडरवेब नाम दिया है. SBU का आकलन है कि इस हमले से रूस को 7 बिलियन डॉलर का भारी भरकम नुकसान हुआ है.
रूस ने यूक्रेन की इस कार्रवाई को "अभूतपूर्व उकसावा" करार दिया है. क्रेमलिन ने संकेत दिया कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इसका जवाब देंगे. गौरतलब है यह हमला इस्तांबुल में 2 जून यानी कि आज प्रस्तावित शांति वार्ताओं से ठीक पहले हुआ है. इसने वार्ता को और जटिल बना दिया है.
यूक्रेन ने लिया बड़ा सैन्य जोखिम
साढ़े तीन साल से चल रहे इस जंग के गतिरोध को तोड़ने के लिए यूक्रेन ने कल एक 'साहसिक' और उच्च सैन्य जोखिम वाला कदम उठाया है. यूक्रेन पहले भी ऐसा कर चुका है. लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली है. रूस की एजेंसी रसिया टूडे के अनुसार यूक्रेन ने 2022 में खार्कोव और खेरसॉन पर हमले किए थे. यह यूक्रेन का एकमात्र सफल अभियान था. लेकिन इसके जबाद में रूस ने यूक्रेन के 4 अतिरिक्त क्षेत्रों को अपने कब्जे में ले लिया.

2024 में यूक्रेन ने रूस के कुर्स्क क्षेत्र में पैर जमाने की कोशिश की, लेकिन उसे अपने ही सुमी ओब्लास्ट में वापस धकेल दिया गया.
रविवार को रूसी एयरबेस पर हुआ हमला इस तरह के एक और मोड़ को दर्शाते हैं. इसका नतीजा पुतिन के जबाव के रूप में सामने आएगा. लेकिन इसका पैटर्न जाना-पहचाना है.
अब पुतिन क्या करेंगे?
यूक्रेन के हमले और 40 से ज्यादा जलते हुए बमबर्षक विमानों की तस्वीरें रूस के सैन्य गौरव को चुनौती देती हैं. यह हमला NATO से मिले हथियारों और खुफिया जानकारी से संभव हुआ, जिसे रूस पश्चिमी हस्तक्षेप के रूप में देख सकता है.
अब रूस छवि के इस नुकसान की भरपाई करना चाहेगा. पुतिन की संभावित प्रतिक्रिया में क्रूज मिसाइलें, हाइपरसोनिक मिसाइलें, जैसे Kinzhal का इस्तेमाल शामिल हो सकता है.
रूस के पास Yars न्यूक्लियर मिसाइलें भी हैं. Yars एक तीन स्टेज वाला ठोस ईंधन मिसाइल है. यह कई MIRV (मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल रीएंट्री व्हीकल्स) ले जा सकता है, जिनमें से प्रत्येक में एक थर्मोन्यूक्लियर वारहेड होता है.
हालांकि ऐन मौके पर परमाणु हथियारों का उपयोग असंभावित लगता है, क्योंकि यह वैश्विक विनाश का कारण बन सकता है.
इस वक्त रूस का जवाबी हमला यूक्रेन के सैन्य और एनर्जी स्ट्रक्चर को निशाना बनाना हो सकता है. रूस का लक्ष्य यूक्रेन की ड्रोन और मिसाइल उत्पादन क्षमता को कमजोर करना और NATO समर्थन को बाधित करना हो सकता है.
तृतीय विश्व युद्ध का खतरा
रूस में अपने शासन के 25 साल पर जारी एक वीडियो में पुतिन ने कहा था कि "हमारे पास पर्याप्त शक्ति और साधन हैं, जिससे 2022 में जो शुरू किया गया था, उसे रूस की अपेक्षा के अनुरूप तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाया जा सके." निश्चित रूप से पुतिन का ये बयान व्याख्या के लिए खुला है.
पुतिन इस वक्त यूक्रेन में NATO देशों के दखल बेहद खफा हैं. पुतिन ने पहले कहा है कि NATO का हस्तक्षेप "सभ्यता के विनाश" का कारण बन सकता है. मई 2024 में, दिमित्री मेदवेदेव ने परमाणु युद्ध की चेतावनी दी थी.
यदि रूस इस हमले को NATO की चुनौती मानता है तो पुतिन अनकहा, अनदेखा और अनचाहा भी कर सकते हैं.
इस आशंका को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और वहां के खड़े रणनीतिकार भी कह चुके हैं.
ट्रम्प ने चेतावनी दी है कि यह संघर्ष तीसरे विश्व युद्ध में बदल सकता है. पूर्व सीआईए निदेशक विलियम बर्न्स ने कहा था कि 2022 के अंत में एक समय आ गया था जब लगता था कि रूस यूक्रेन के खिलाफ परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है. हालांकि इस दावे को मॉस्को ने खारिज कर दिया.
रूस और जर्मनी की तनातनी
रूस की सबसे बड़ी खुन्नस जर्मनी से है. जर्मनी बेखौफ होकर यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई कर रहा है. अल जजीरा के अनुसार जर्मनी के विदेश मंत्री जॉनन वादेफुल ने पिछले मंगलवार को कहा था कि उनका देश यूक्रेन को 1000 किलोमीटर तक मार करने वाले तॉरूस (Taurus missile) मिसाइलों की सप्लाई कभी भी दे सकता है.
जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज तो इससे आगे चले गए. उन्होंने कहा कि उनका देश यूक्रेन को मिसाइलों की सप्लाई करते समय रेंज की कोई समय सीमा तय नहीं करेगा. यानी कि जर्मनी किसी भी रेंज तक मार करने वाले मिसाइल की सप्लाई यूक्रेन को कर सकता है.
गौरतलब है कि जर्मनी NATO का अहम मेंबर है. बुधवार (28 मई) को यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की जर्मनी के दौरे पर थे. इस दौरान मर्ज ने कहा कि जर्मनी यूक्रेन को लंबी दूरी की अपनी मिसाइलें विकसित करने में मदद करेगा.
निश्चित रूप से जर्मनी के ये बयान दोनों देशों के बीच टकराव को बढ़ा रहा है.
14 अगस्त 2024 को पुतिन ने एक तीखे शब्दों की चेतावनी देते हुए कहा था कि, 'हम यह आशा करते हुए लंबे समय से धैर्यवान रहे कि स्थिति सामान्य हो जाएगी, लेकिन कीव और उनके नाटो मास्टर्स ने संघर्ष को चरम पर ले जाने का फैसला किया है. खैर, हम उन्हें जवाब देंगे. हमारे दुश्मन नष्ट हो जाएंगे. दुर्भाग्य से, हमारे पास कोई और विकल्प नहीं है.'
इस भू-राजनीतिक तनाव के बीच NATO का रोल बेहद अहम है. NATO और रूस के बीच गलतफहमी संपूर्ण युद्ध का जोखिम बढ़ा सकती है.
18 मार्च, 2024 को मास्को में अपने पुनर्निर्वाचन के बाद एक भाषण के दौरान पुतिन ने चेतावनी दी थी कि यदि NATO देश यूक्रेन में सीधे सैन्य हस्तक्षेप करते हैं, तो यह एक बड़े पैमाने पर संघर्ष को जन्म दे सकता है, जिसके परिणामस्वरूप "सभ्यता का विनाश" हो सकता है.
रूस का मानना है कि NATO का विस्तार रूस के प्रभाव वाले क्षेत्र में पश्चिम का दखल है. इस परिस्थिति में यूक्रेन का हमला और रूस की प्रतिक्रिया तनाव बढ़ाते तो हैं, लेकिन शांति वार्ताएं, आर्थिक लागत और परमाणु निषेध अभी भी वैश्विक युद्ध को रोक सकते हैं.