तुर्की में आए विनाशकारी भूकंप ने देश को कई सालों का दर्द दे दिया है. 45 हजार से ज्यादा मौते देने वाले इस भूकंप ने तुर्की को आर्थिक तौर पर भी काफी कमजोर कर दिया है. राष्ट्रपति रेसेप तईप एरडोगन ने बताया है कि इस भूकंप की वजह से देश को 104 बिलियन डॉलर का नुकसान हो गया है. जितनी इमारतें ध्वस्त हो गई हैं, जितना बड़े स्तर पर इन्फ्रास्ट्रक्चर लॉस हुआ है, उसे देखते हुए स्थिति को सामान्य होने में कई साल लग सकते हैं.
जानकारी के लिए बता दें कि तुर्की में 6 फरवरी की सुबह को भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए गए थे. भूकंप का पहला झटका सुबह 4.17 बजे आया था. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.8 मैग्नीट्यूड थी. भूकंप का केंद्र दक्षिणी तुर्की का गाजियांटेप था. इससे पहले की लोग इससे संभल पाते कुछ देर बाद ही भूकंप का एक और झटका आया, रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.4 मैग्नीट्यूड थी. भूकंप के झटकों का यह दौर यहीं नहीं रुका. इसके बाद 6.5 तीव्रता का एक और झटका लगा. भूकंप के इन झटकों ने मालाटया, सनलीउर्फा, ओस्मानिए और दियारबाकिर सहित 11 प्रांतों में तबाही मचा दी. शाम 4 बजे भूकंप का एक और यानी चौथा झटका आया. बताया जा रहा है कि इस झटके ने ही सबसे ज्यादा तबाही मचाई.
अकेले तुर्की में भूकंप से मरने वालों का आंकड़ा 45 हजार से ज्यादा है. इस एक भूकंप के बाद पूरी दुनिया तुर्की की मदद को आगे आई थी. भारत की तरफ से भी मदद भेजी गई थी, मौके पर गई NDRF की टीमें गई थीं. भारतीय सेना ने तो तुर्की में अपने अस्पताल भी बना लिए थे जहां पर घायलों को उपचार मिला. कुछ दूसरे देशों ने भी अपनी तरफ से तुर्की को सहायता भेजी थी.