10 नवंबर 2025 को लाल किले के पास हुए विस्फोट ने भारत की सुरक्षा एजेंसियों के सामने सीरियस चुनौती पेश कर दी है. इस मामले की जांच में सामने आए डिटेल भारत के लिए एक नए शत्रु की ओर इशारा करते हैं. लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए विस्फोट की जांच में पता चला है कि इसमें जैश-ए-मोहम्मद का एक मॉड्यूल शामिल था, जिसका संचालन तुर्की से जुड़े स्रोतों द्वारा हो रहा था.
इस धमाके से जुड़े आतंकियों का संपर्क तुर्की की राजधानी अंकारा में मौजूद हैंडलरों से था. जिसका कोडनेम Ukasa है. भारत में मौजूद ये आतंकी सेशन नाम के ऐप से अंकारा में मौजूद टेरर हैंडलर से संपर्क में थे और इन्हें वहां से ही गाइड किया जा रहा था.
हालांकि तुर्की की सरकार ने आतंकियों को किसी भी तरह के सहयोग से इनकार किया है और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है. लेकिन हाल-फिलहाल में भारत को लेकर तुर्की का व्यवहार, तुर्की और पाकिस्तान की गलबहियां भारत के लिए संदेह पैदा करती हैं.
क्यों तुर्की पर है शक?
दिल्ली धमाके के दो किरदार डॉ उमर मोहम्मद और डॉ मुजम्मिल तुर्की के दौरे पर गए थे. इस दौरान इन दोनों आतंकियों ने तुर्की में हैंडलर से मुलाकात की थी. इस हैंडलर का नाम Ukasa है. जांचकर्ताओं ने पाया है कि इनके पासपोर्ट पर तुर्की का इमिग्रेशन मुहर लगा है. इसका मतलब है कि इन लोगों ने तुर्की की यात्रा की है.
सवाल है कि तुर्की में ये दोनों आतंकी क्या करने गए थे. यहां इन लोगों ने किन-किनसे मुलाकात की है. माना जा रहा है कि यहां इन्हें जबर्दस्त तरीके से कट्टर बनाया गया. इस यात्रा के बाद ही ये आतंकी कुछ करने पर आमदा थे.
तुर्की दौरे से पहले ही इन लोगों टेलिग्राम एप ज्वाइन किया था. ये लगभग मार्च 2022 का समय है. तुर्की के दौरे के बाद ही आतंकियों ने फरीदाबाद और सहारनपुर लोकेशन को चुना. तुर्की से लौटने के बाद ये ग्रुप पूरे देश में फैल गया.
पूरे लाल किला क्षेत्र से मोबाइल टावर का डेटा डंप का विश्लेषण किया जा रहा है ताकि पता लगाया जा सके कि आतंकी डॉ. उमर ने 3:00 बजे से 6:30 बजे के बीच किससे बात की थी. क्या डॉ उमर ने तुर्की में किसी शख्स से बात की थी.
आरोपों को तुर्की ने किया खारिज
हालांकि तुर्की ने इन आरोपों को खारिज किया है कि वह आतंकियों को किसी तरह की मदद देता है. तुर्की ने कहा है कि वह आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा करता है.
तुर्की ने कहा कि अंकारा टेरर के सभी रूपों को खारिज करता है और इससे ये फर्क नहीं पड़ता है कि इसे किसके द्वारा अंजाम दिया जा रहा है. हम आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में सबसे आगे हैं और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को लगातार मदद करते रहे हैं. ये दावा करना कि तुर्की वैसे तत्वों का रेडिक्लाइजेशन करता है जो भारत को निशाना बनाते हैं, एकदम गलत है. इसमें कोई तथ्य नहीं है.
तुर्की की बदल गई भाषा
हाल के दिनों में भारत को लेकर तुर्की का व्यवहार काफी नकारात्मक रहा है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी तुर्की ने कई तरह से भारत के खिलाफ पाकिस्तान की मदद करने की कोशिश की थी. 10 मई को दिल्ली में हुए आतंकी हमले और 11 मई को इस्लामाबाद की कोर्ट में हुए ब्लास्ट को लेकर तुर्की ने अलग अलग तरह का बयान दिया है.
तुर्की ने दिल्ली में हुए ब्लास्ट को महज धमाका करार दिया है, जबकि इस्लामाबाद ब्लास्ट को आतंकी हमला कहा है. तुर्की ने कहा है कि कि वह आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान की लड़ाई में उसके साथ है. जबकि भारत के साथ उसने ऐसी कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई है, बल्कि महज कूटनीतिक बयान जारी किया है.
एर्दोगन की कश्मीर नीति
तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने कश्मीर मामले को लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया है और पाकिस्तान के पक्ष में अपनी सोच प्रकट की है. तुर्की की कश्मीर नीति भारत के लिए खासी चिंता की वजह है. तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने 2019 से लगातार अंतरराष्ट्रीय और द्विपक्षीय मंचों पर इस कश्मीर मुद्दे को उठाया है और पाकिस्तान की भाषा बोलता रहा है.
तुर्की कश्मीर में 'मानवाधिकार उल्लंघन' का बकवास करता है और वहां के आतंकवाद को "कश्मीरी लोगों की आकांक्षाओं" से जोड़ता है.
इस साल संयुक्त राष्ट्र में एर्दोगन ने कहा कि, "कश्मीर मुद्दे को UN सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और कश्मीरी भाइयों की आकांक्षाओं के आधार पर संवाद से हल किया जाना चाहिए."
एर्दोगन फरवरी 2025 में पाकिस्तान यात्रा पर थे. इस दौरान उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच "संवाद" की वकालत की, और कश्मीरी लोगों की इच्छाओं को प्राथमिकता देने की बात कही.
मई 2025 में पहलगाम हमले के बाद एर्दोगन ने पाक पीएम शहबाज शरीफ से फोन पर बात की और "निष्पक्ष अंतरराष्ट्रीय जांच" का समर्थन किया. इसके अलावा उन्होंने पाकिस्तान की "शांतिपूर्ण नीति" की सराहना की.
निश्चित रूप से भारत ने तुर्की के इस हरकत की कड़ी निंदा की है. और सतर्क हो गया है.
भारत ने एर्दोगन के बयानों को अस्वीकार्य बताया. और कश्मीर को "आंतरिक मामला" कहा. फरवरी 2025 में भारत ने तुर्की राजदूत के सामने मजबूत विरोध दर्ज कराया. भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि तुर्की पाकिस्तान की क्रॉस-बॉर्डर आतंकवाद नीति पर टिप्पणी करना उचित होता.
भारत ने तुर्की के इस रुख के खिलाफ तुर्की के क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वियों जैसे ग्रीस, अरमेनिया, और इजरायल के साथ अपने रक्षा और कूटनीतिक संबंध मजबूत करने शुरू कर दिए हैं. यह एक रणनीतिक संतुलन बनाने की कोशिश है ताकि तुर्की के बढ़ते प्रभाव को चुनौती दी जा सके.
तुर्की-पाकिस्तान की रक्षा साझेदारी
तुर्की और पाकिस्तान के बीच गहरा रक्षा और सैन्य सहयोग है, जिसमें ड्रोन तकनीक का हस्तांतरण और नौसेना सहयोग शामिल है. यह साझेदारी भारत के लिए चिंता का विषय बनी हुई है क्योंकि इससे क्षेत्रीय सुरक्षा समीकरण प्रभावित होता है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की के Bayraktar TB2 ड्रोन और Songar UAVs का इस्तेमाल हुआ. SIPRI के अनुसार MILGEM कोरवेट्स और C-130 विमान पाकिस्तान को तुर्की से मिले, जो भारत की सीमाओं पर तैनात हैं.
तुर्की पाकिस्तान को सैन्य उपकरण और तकनीक मुहैया करा रहा है, जिससे दोनों देशों के बीच रणनीतिक गठजोड़ और मजबूत हो रहा है.