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'सीजफायर की बात अभी जल्दबाजी', थमती नहीं दिख रही थाईलैंड-कंबोडिया जंग, UN तक मचा हड़कंप

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच संघर्ष गहराता जा रहा है और अब मामला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद तक पहुंच चुका है. इसे लेकर यूएन में आपात बैठक बुलाई गई है. थाईलैंड ने अमेरिका, चीन और मलेशिया द्वारा कंबोडिया के साथ सीजफायर की पेशकश को ठुकरा दिया है.

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कंबोडिया के ओद्दार मींचे प्रांत में सैन्य वाहन रॉकेट लॉन्चर ले जाते हुए (Photo: AP)
कंबोडिया के ओद्दार मींचे प्रांत में सैन्य वाहन रॉकेट लॉन्चर ले जाते हुए (Photo: AP)

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच चल रहे सैन्य संघर्ष को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद आज (शुक्रवार) एक आपात बैठक करेगी. यह बैठक कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेट के अनुरोध पर बुलाई गई है और भारतीय समयानुसार रात को 12 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगी. यह जानकारी समाचार एजेंसी एएफपी ने दी है. इस बीच, थाईलैंड के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि सीजफायर की बात करना अभी जल्दबाजी होगी, जब तक कंबोडिया अपनी आक्रामक कार्रवाई नहीं रोकता.

थाईलैंड के स्वास्थ्य मंत्री ने जानकारी दी कि अब तक इस संघर्ष में 12 थाई नागरिकों की मौत हो चुकी है. दोनों देशों ने सीमा पर अपने-अपने लड़ाकू विमानों को अलर्ट पर रखा है. थाईलैंड के एफ-16 जेट ने शुक्रवार को कंबोडिया के छह सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया था. तनाव बढ़ने के चलते थाईलैंड ने कंबोडिया से अपने राजदूत को वापस बुला लिया है.

सीमा विवाद के बीच तोप और रॉकेट हमले

थाईलैंड-कंबोडिया की जंग अब और भी भीषण होती जा रही है. कंबोडिया ने अचानक थाईलैंड के खिलाफ कई लॉन्च रॉकेट दागे तो एशिया में जंग का एक और मोर्चा खुल गया. कंबोडिया और थाईलैंड का सीमा विवाद इस कदर गरमाया कि गोले, बम और बारूद शुरू हो गया.

कंबोडिया की तरफ से भीषण हमले

कंबोडियाई सेना ने बीएम-21 "ग्रैड" मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम से थाई सेना के ठिकानों पर हमला किया. दोनों देशों ने टैंक और भारी हथियार तैनात किए हैं. तनाव के बीच कंबोडिया ने अपने सभी नागरिकों को तत्काल थाईलैंड छोड़ने का आदेश दिया है.

थाईलैंड के नागरिक ठिकानों पर हमले

कंबोडियाई सेना की ओर से दागे गए रॉकेट से थाईलैंड के सुरीन प्रांत का एक पेट्रोल पंप तबाह हो गया. एक दूसरा रॉकेट फेनम डॉन्ग राक अस्पताल पर गिरा, जो पहले ही खाली करा लिया गया था.

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यह भी पढ़ें: 20 सेकंड में 40 रॉकेट दागता है... जिस वैम्पायर वेपन से कंबोडिया ने किया थाईलैंड पर हमला, उसकी जानिए ताकत

थाईलैंड की जवाबी कार्रवाई

कंबोडिया के हमले के बाद थाईलैंड ने भी जवाबी प्रहार किया. थाईलैंड के एफ-16 लड़ाकू विमानों ने कंबोडिया पर ताबड़तोड़ हमले किए. इस हिंसा के बाद थाईलैंड ने कंबोडिया से अपने राजदूत को वापस बुला लिया है. राजनयिक संबंधों को 'डाउनग्रेड' कर दिया गया है. साथ ही थाई विदेश मंत्रालय ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है.

बारूदी सुरंगों को लेकर नई तनातनी

16 और 23 जुलाई को थाई सैनिकों के बारूदी सुरंग की चपेट में आने के बाद तनाव और बढ़ गया. थाई सेना ने दावा किया कि ये सुरंगें हाल में कंबोडियाई सेना ने बिछाई थीं. लेकिन कंबोडिया ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया. कंबोडियाई सरकार के मुताबिक, ये विस्फोट एक पुराने माइनफील्ड में हुआ, जो उनके रिकॉर्ड में पहले से दर्ज है.

चक्रीभूमि योजना की शुरुआत

थाई सेना ने 'चक्रीभूमि योजना' को सक्रिय कर दिया है. यह एक रणनीतिक रक्षा योजना है, जिसमें थाईलैंड की सेनाओं को सीमा पर संभावित युद्ध जैसी स्थिति से निपटने के निर्देश दिए जाते हैं.

शिव मंदिर बना युद्ध की जड़

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थाईलैंड और कंबोडिया में एक प्राचीन शिव मंदिर को लेकर बारूद की बारिश हो रही है. दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं. यह मंदिर कंबोडिया के प्रीह विहार प्रांत और थाईलैंड के सिसाकेत प्रांत की सीमा पर स्थित है. 1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने फैसला दिया कि यह मंदिर कंबोडिया का है. लेकिन मंदिर के आसपास की 4.6 वर्ग किलोमीटर जमीन पर दोनों देश अपना दावा करते हैं.

मंदिर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

इस मंदिर को 11वीं सदी में खमेर सम्राट सूर्यवर्मन ने भगवान शिव के लिए बनवाया था. आज भी इस मंदिर में शिवलिंग और भगवान शिव के द्वारपाल मौजूद हैं. मंदिर में जल निकासी की प्राचीन व्यवस्था भी है.

राजनीतिक असर और शिनावात्रा का इस्तीफा

ये विवाद 1907 से शुरू हुआ, जब फ्रांस, जो उस समय कंबोडिया पर शासन करता था, उसने एक नक्शा बनाया, जिसमें मंदिर को कंबोडिया में दिखाया गया. थाईलैंड ने इस नक्शे को कभी पूरी तरह स्वीकार नहीं किया. 2008 में जब कंबोडिया ने इस मंदिर को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल बनवाया, तब विवाद और बढ़ गया, क्योंकि थाईलैंड ने इसका विरोध किया. इसके बाद 2008-2011 तक दोनों देशों की सेनाओं के बीच कई बार झड़पें हुईं, जिसमें कई लोग मारे गए.

लेकिन इस बार थाईलैंड और कंबोडिया में वॉर फ्रंट खुल गया है. एक मंदिर की जंग में, 15 जून को थाईलैंड की प्रधानमंत्री पाइतोंग्तार्न शिनावात्रा की कुर्सी चली गई. क्योंकि शिनावात्रा ने कंबोडिया के नेता हुन सेन से फोन पर बातचीत की थी. इस बातचीत में उन्होंने थाई सेना के कमांडर की आलोचना की थी. इसे थाईलैंड में गंभीर मामला माना जाता है क्योंकि सेना का वहां काफी प्रभाव है. इस बातचीत के लीक होने के बाद देशभर में गुस्सा फैल गया था. इसके बाद कोर्ट ने पीएम को पद से हटा दिया. हालांकि शिनावात्रा ने माफी भी मांगी, उन्होंने कहा कि 'मेरी टिप्पणी सिर्फ विवाद सुलझाने के लिए थी, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ.'

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राष्ट्रवाद से भड़की जंग

फरवरी में कंबोडियाई सैनिकों और उनके परिवारों ने मंदिर में राष्ट्रगान गाया, जिसे थाई सैनिकों ने आपत्तिजनक माना. 28 मई 2025 को एक झड़प में एक कंबोडियाई सैनिक की मौत हुई, जिससे तनाव और बढ़ गया.

कंबोडिया की सैन्य कमजोरी और चीन की भूमिका

कंबोडिया के पास लड़ाकू विमान नहीं हैं. थाईलैंड की एयर स्ट्राइक से मुकाबले की क्षमता बेहद सीमित है. माना जा रहा है कि अगर युद्ध नहीं रुका तो इसमें चीन की भूमिका अहम हो सकती है. चीन के थाईलैंड और कंबोडिया दोनों से अच्छे संबंध हैं लेकिन थाईलैंड के साथ उसकी गहरी आर्थिक साझेदारी है.

मानव संकट और पलायन की स्थिति

थाईलैंड के हमलों को देखते हुए सीमावर्ती क्षेत्र से लोगों का पलायन शुरू हो गया है. थाईलैंड ने सीमा के पास बसे 86 गांवों को खाली करवा लिया है और 40 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है. दोनों देशों के लिए यह मंदिर राष्ट्रीय पहचान का प्रतीक है. ऐसे में युद्ध जल्दी थमता नहीं दिख रहा.

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