भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका (SriLanka) में अगले महीने यानी नवंबर में संसदीय चुनाव होने वाले हैं. इस सिलसिले में देश के सभी राजनीतिक दल गठबंधन बना रही हैं. देश के सभी प्रमुख राजनीतिक दल कैंडिडेट्स की लिस्ट बना रहे हैं और नए गठबंधन बनाने की कोशिशों में लगे हुए हैं क्योंकि देश 14 नवंबर को होने वाले संसदीय चुनाव की तैयारी कर रहा है. पिछले शुक्रवार को नामांकन शुरू होने के बावजूद किसी भी प्रमुख पार्टी ने अभी तक 22 चुनावी जिलों में से किसी में भी नामांकन दाखिल नहीं किया है.
चुनाव के लिए नामांकन 11 अक्टूबर को बंद हो जाएगा. 21 सितंबर को हुए राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल करने वाली सत्तारूढ़ नेशनल पीपुल्स पावर (NPP) पार्टी ने कहा कि वह अपने कैंडिडेट्स की लिस्ट को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है.
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एनपीपी नेता सामंथा विद्यारत्ने ने कहा, "हमने पिछले दो हफ्तों में अपने शासन के साथ राजनीतिक रवायत को पहले ही बदल दिया है, हम संसदीय चुनाव के बाद नए चेहरों के साथ अच्छा काम जारी रखेंगे."
विक्रमसिंघे राष्ट्रपति चुनाव में एसजेबी नेता सजित प्रेमदासा के बाद तीसरे नंबर पर रहे. प्रेमदासा और विक्रमसिंघे के बीच बंटे वोटों (50.03 प्रतिशत) ने मौजूदा अनुरा दिसानायके को राष्ट्रपति चुनाव जीतने में मदद की. यूएनपी उन समूहों के साथ चुनाव समझौते को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है, जो राजपक्षे परिवार के वर्चस्व वाली श्रीलंका पोदुजना पेरामुना (SLPP) पार्टी से अलग होकर रसोई गैस सिलेंडर के चुनाव चिह्न के तहत चुनाव लड़ रहे थे, जिसका इस्तेमाल विक्रमसिंघे ने अपने राष्ट्रपति पद के अभियान के दौरान किया था.
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पार्टी अध्यक्ष वजीरा अबेवर्देना ने कहा, "हम ज्यादातर जिलों में गैस सिलेंडर चुनाव चिह्न के तहत चुनाव लड़ेंगे, जबकि एक या दो जिलों में यूएनपी के हाथी के चुनाव चिह्न के तहत चुनाव लड़ेंगे." इस बीच, तमिल राजनीतिक समूहों ने कहा कि वे भी गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहे हैं. मार्क्सवादी जनता विमुक्ति पेरामुना पार्टी के व्यापक मोर्चे, नेशनल पीपुल्स पावर (NPP) के नेता दिसानायके ने 23 सितंबर को श्रीलंका के नौवें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. 24 सितंबर को उन्होंने 225 सदस्यीय संसद को भंग कर दिया, जिसमें NPP के पास सिर्फ तीन सीटें थीं. श्रीलंका में पिछला आम चुनाव, जिसमें सांसदों को पांच साल के कार्यकाल के लिए चुना जाता है, अगस्त 2020 में हुआ था.