पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी को लेकर हुए बवाल को अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है, इस बीच सिंगापुर से एक मामला सामने आया है जहां इस्लाम पर आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर एक शख्स को 18 महीने के प्रोबेशन की सजा सुनाई गई है.
सिंगापुर की तेमासेक पॉलीटेक्निक यूनिवर्सिटी के 21 साल के छात्र सुन सिकोंग ने इंस्टाग्राम पोस्ट में इस्लाम पर विवादित टिप्पणी की थी.
सुन पर एक बलात्कार पीड़िता को लेकर भी इंस्टाग्राम पर असंवेदनशील टिप्पणी करने का आरोप है. छात्र को पिछले महीने जानबूझकर मुस्लिमों की धार्मिक भावनाएं आहत करने का दोषी ठहराया गया था.
छात्र पर बलात्कार को लेकर बयानबाजी करने और अश्लील फिल्में रखने के आरोपों में भी सजा देने पर विचार किया जा रहा है.
सुन मूल रूप से चीन का नागरिक है लेकिन अब उसे सिंगापुर की नागरिकता मिल गई है.
यह मामला 2018 और 2019 का है
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि सुन ने 2018 और 2019 के बीच अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट में इस्लाम को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं.
उन्होंने अपनी पोस्ट में मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा का उल्लेख किया था, इस्लाम की धार्मिक पुस्तकों को जलाने की धमकी दी थी और इस्लाम की शिक्षाओं का अपमान किया था.
छात्र ने यह भी कहा था कि अगर उसके बस में होता तो उसे मुस्लिमों का नरसंहार करने में भी कोई दिक्कत नहीं होती.
बता दें कि 2018 और 2019 में ये विवादित बयानबाजी करने पर छात्र के खिलाफ किसी तरह की पुलिस रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई थी. ये एक तरह से अस्थाई पोस्ट थी, जो खुद ही 24 घंटों के भीतर डिलीट हो गई थी.
रेप पीड़िता पर भी की थी असंवेदनशील टिप्पणी
हालांकि, यह मामला सात जून 2020 को उस समय दोबारा ऑनलाइन चर्चा में आया, जब एक बलात्कार पीड़िता ने सोशल मीडिया पर अपनी आपीबीती बताई थी. सुन ने इसका स्क्रीनशॉट लेकर उस पर असंवेदनशील टिप्पणी कर पोस्ट किया था.
सुन की इस हरकत पर सोशल मीडिया पर बवाल मच गया था. पुलिस के पास इस मामले में 62 रिपोर्टें दर्ज कराई गईं.
सुन को 18 महीनों की इस प्रोबेशन अवधि के तहत रात 10 बजे से सुबह छह बजे तक घर के भीतर ही रहना होगा और 60 घंटे की सामुदायिक सेवा करनी होगी. सजा के तौर पर सुन के माता-पिता को 5,000 डॉलर की बॉन्ड राशि भी भरने को कहा गया है.
वहीं, नेतेमासेक पॉलीटेक्निक के प्रवक्ता ने बतया कि उन्होंने जून 2020 में स्कूल की ओर से की गई जांच के बाद सुन को दो सेमेस्टर के लिए सस्पेंड कर दिया था.
बता दें कि प्रोबेशन एक सामुदायिक सजा है, जिसके तहत दोषी स्कूल जाने या काम करने जैसे रोजमर्रा की गतिविधियों के दौरान सजा का पालन करता है.