
राजशाही और इस्लामिक रवायतों से शासन चलाने वाले अरब देशों में नेतृत्व की एक नई पौध उभर रही है. लग्जरी और रईसी के माहौल में पले बढ़े शासक परिवारों से निकले अरब देशों के नए युवा नेता दुनियादारी को नए नजरिये से देखते हैं. ये नेता अपने देश को विश्व की नई जरूरतों के मुताबिक ढाल रहे हैं और वैसे ही नीतियां तैयार कर रहे हैं.
इनके एजेंडे में मॉर्डनाइजेशन, ग्लोबल नजरिया, धर्म और संस्कृति को लेकर नई सोच, पर्यटन को विकास शामिल है. ये नेता पारंपरिक शासन और तेल-आधारित अर्थव्यवस्थाओं से हटकर अपने देशों को 21वीं सदी की चुनौतियों के लिए तैयार कर रहे हैं.
विकास और दोस्ती के इसी नजरिये से लैस ऐसे ही नेता और दुबई के क्राउन प्रिंस शेख हमदान बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मक्तूम आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बुलावे पर भारत आए हैं. 42 साल के शेख हमदान बिन मोहम्मद संयुक्त अरब अमीरात के रक्षा मंत्री भी हैं.
भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों, लाखों प्रवासी भारतीयों और सदियों पुराने संबंधों को ध्यान में रखते हुए अरब नेतृत्व के साथ हमेशा से दोस्ताना रिश्ते रखा है. अब भारत अरब देशों में उभर रहे नेतृत्व की नई पौध को एगेंज कर रहा है, उनके साथ कदमताल कर रहा है. ये वही शाहजादे और राजकुमार हैं जिनके हाथों में आज से दस-बीस साल बाद अरब मुल्कों की कमान होगी.
दुबई के प्रिंस शेख हमदान, अबू धाबी के प्रिंस शेख खालिद और सऊदी अरब के प्रिंस सलमान जैसे युवा नेताओं के साथ जुड़ाव और सहयोग इसी रणनीति का हिस्सा है.
42 साल के शेख हमदान, 43 साल के शेख खालिद और 39 वर्ष के प्रिंस सलमान अरब देशों की उस नई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं जो आधुनिकता, तकनीक और वैश्विक सहयोग को प्राथमिकता देती है. रुढ़ियों को चुनौती देती है और मजहब को कट्टरता नहीं बल्कि वैश्विक हालात के चश्मे से देखती है.
शेख हमदान बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मक्तूम
दुबई के क्राउन प्रिंस के तौर पर शेख हमदान बिन मोहम्मद 8 अप्रैल को पहली आधिकारिक भारत यात्रा पर आ रहे हैं. उनके साथ कई मंत्री, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और एक उच्चस्तरीय व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भी होगा.
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दोपहर क्राउन प्रिंस के लिए वर्किंग लंच का आयोजन करेंगे. मेहमान और प्रिंस हमदान विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ भी बैठक करेंगे.
बाद में शाम को क्राउन प्रिंस मुंबई के लिए रवाना होंगे, जहां वे दोनों पक्षों के प्रमुख व्यापारिक नेताओं के साथ एक व्यापारिक गोलमेज सम्मेलन में भाग लेंगे. यह बातचीत पारंपरिक और भविष्य के क्षेत्रों में भारत-यूएई आर्थिक और वाणिज्यिक सहयोग को मजबूत करेगी.

भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि परंपरागत रूप से दुबई ने यूएई के साथ भारत के वाणिज्यिक, सांस्कृतिक और लोगों के बीच आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. यूएई में रहने वाले 43 लाख भारतीय प्रवासियों का अधिकांश हिस्सा दुबई में रहता है और काम करता है. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि क्राउन प्रिंस की यात्रा भारत-यूएई व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगी और दुबई के साथ हमारे बहुआयामी संबंधों को मजबूत करेगी.
आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी
भारत और UAE के बीच व्यापार और निवेश के क्षेत्र में पहले से ही मजबूत रिश्ते हैं. 2022-23 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 85 बिलियन डॉलर का था. UAE भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का टॉप फोर स्रोत रहा है. शेख हमदान की यात्रा के दौरान नई दिल्ली और मुंबई में होने वाले बिजनेस राउंडटेबल इस बात का प्रमाण हैं कि भारत अरब देशों की युवा पीढ़ी के नेतृत्व के साथ उभरते क्षेत्रों जैसे फिनटेक, सस्टेनेबिलिटी, और इन्फ्रास्ट्रक्चर में सहयोग बढ़ाना चाहता है.
शेख हमदान की "दुबई ग्लोबल" पहल, जो दुबई को वैश्विक व्यापार केंद्र बनाने पर केंद्रित है, भारत की आर्थिक महत्वाकांक्षाओं के साथ मेल खाती है.
रक्षा सहयोग का विस्तार
शेख हमदा UAE के रक्षा मंत्री भी हैं. इस वजह से उनकी यात्रा का एक अहम चैप्टर रक्षा सहयोग भी है. भारत और UAE के बीच जुलाई 2024 में अबू धाबी में हुई संयुक्त रक्षा सहयोग समिति की बैठक में इस दिशा में कई संभावनाओं पर चर्चा हुई थी. बता दें कि भारत खाड़ी क्षेत्र में अपनी सामरिक उपस्थिति बढ़ाना चाहता है. शेख हमदान की ये यात्रा इस दिशा में भी मददगार साबित होगी.
बेटी का नाम हिंद क्यों?
शेख हमदान हाल ही में पिता बने हैं. उनके घर एक बच्ची ने जन्म लिया है. इस बच्ची का नाम परिवार ने 'हिंद' रखा है. उनकी बेटी का नाम "हिंद" रखना भारत के प्रति उनके व्यक्तिगत सम्मान और सांस्कृतिक निकटता को दर्शाता है. बता दें कि अरबी भाषा में 'हिंद' शब्द का प्रयोग भारतीय उपमहाद्वीप या सिंधु नदी के पूर्व के क्षेत्र को दर्शाने के लिए किया जाता है.
शेख हमदान अपने देश के सोशल मीडिया स्टार हैं. एक्स पर 34 लाख फॉलोअर्स हैं, जबकि फेसबुक पर 21 लाख लोग उनसे जुड़े हैं. सोशल मीडिया पर लोकप्रियता और उनकी आधुनिक जीवनशैली भारतीय युवाओं के साथ एक सांस्कृतिक जुड़ाव पैदा करती है.
उनकी बेटी का नाम "हिंद" रखना भारत के प्रति उनके व्यक्तिगत सम्मान और सांस्कृतिक निकटता को दर्शाता है.
बता दें कि शेख हमदान के पिता शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मक्तूम (Sheikh Mohammed bin Rashid Al Maktoum) हैं, जो दुबई के शासक (Ruler of Dubai), UAE के उप-राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री हैं. इनके साथ भी भारत के रिश्ते अच्छे हैं. पिछले साल फरवरी में पीएम मोदी ने दुबई में उनसे मुलाकात की थी.
D33 और भारत
शेख हमदान की अगुवाई में दुबई को दुनिया के तीन टॉप शहरों में शामिल करने के लिए एक रणनीति शुरू की गई है. भारत इस लक्ष्य में तकनीकी विशेषज्ञता और मानव संसाधन के साथ योगदान दे सकता है. इस लिहाज से भी ये यात्रा अहम है.
शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान
अरब के युवा नेताओं में जिनके साथ भारत अच्छे रिश्ते गांठ रहा है उनमें शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान दूसरे अहम शख्स हैं. शेख खालिद अबू धाबी के क्राउन प्रिंस हैं. पिछले साल सितंबर महीने में वे भारत की यात्रा पर आए थे. अबू धाबी के क्राउन प्रिंस बनने के बाद यह उनकी पहली भारत यात्रा है. गौरतलब है कि प्रिंस हमदान की भी ये पहली यात्रा है. इसका मतलब है कि अपने देश में आधिकारिक पद लेते ही भारत इन नेताओं को अपने बातचीत के लिए आमंत्रित करता है.
पिछले साल शेख खालिद की भारत यात्रा के दौरान भारत और UAE के बीच निवेश और ऊर्जा सहयोग पर चर्चा हुई. भारत उनकी आधुनिक दृष्टि और अबू धाबी के आर्थिक विकास में उनकी भूमिका को देखते हुए उनसे दीर्घकालिक साझेदारी चाहता है.
शेख खालिद के पिता शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान UAE के राष्ट्रपति हैं. वे भी भारत के साथ गहरे संबंध रखते हैं, जिसे शेख खालिद आगे बढ़ा रहे हैं.
मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सऊद
भारत की अरब डिप्लोमेसी में सऊदी अरब उन देशों में शामिल है जिसे भारत सर्वोच्च प्राथमिकता देता है. मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सऊद (MBS), सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस हैं. एक तरह से वे अभी सऊदी अरब का सारा काम देखते हैं.
मोहम्मद बिन सलमान (MBS) ने 2019 और 2022 में भारत का दौरा किया था. भारत उनके "विजन 2030" सुधार कार्यक्रम के तहत ऊर्जा, तकनीक, और बुनियादी ढांचे में सहयोग बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. उनकी युवा सोच और सऊदी अर्थव्यवस्था को विविध बनाने की रणनीति भारत के हितों से मेल खाती है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रिंस सलमान के बीच रिश्तों में विशेष गर्माहट देखने को मिलती है. अपने संबोधनों में पीएम मोदी प्रिंस सलमान को अक्सर भाई कहते नजर आते हैं. ये दोनों नेताओं के करीबी रिश्ते और गर्मजोशी को दिखाता है.
बता दें कि सऊदी अरब भारत का पांचवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है, जबकि भारत सऊदी अरब के लिए दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है. इस लिहाज से दोनों देशों के व्यापारिक रिश्ते बहुत ही मजबूत हैं.
प्रिंस सलमान बेहद प्रगतिशील मिजाज के नेता हैं और अपने देश में कई सामाजिक प्रयोग कर रहे हैं जैसे- सिनेमाघर, महिलाओं को ड्राइविंग लाइसेंस, पर्यटन. उनकी नेतृत्व शैली और "विजन 2030" ने भारत के साथ संबंधों को नई दिशा दी है. सऊदी में रहने वाले 30 लाख भारतीय इस संबंध को और भी मजबूती प्रदान करते हैं.
प्रिंस सलमान की पहली आधिकारिक भारत यात्रा फरवरी 2019 में हुई, जब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. इस दौरान सऊदी अरब ने भारत में भारीभरकम 100 बिलियन डॉलर के निवेश की घोषणा की. इसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ तेल रिफाइनरी परियोजनाएं भी शामिल थीं.
2022 में उनकी दूसरी यात्रा ने इन संबंधों को और गहरा किया, जिसमें रक्षा, तकनीक और नवीकरणीय ऊर्जा पर सहमति बनी.
MBS ने भारत को "विजन 2030" में अहम साझेदार माना, जो सऊदी अर्थव्यवस्था को तेल से परे ले जाने का लक्ष्य रखता है.
शेख हमदान, शेख खालिद और प्रिंस सलमान ये तीनों नेता अरब देशों की नई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं और भारत इनके साथ कूटनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को गहरा करने की दिशा में काम कर रहा है.