खाड़ी के दो बिरादर मुल्कों के रिश्ते एक बार फिर तल्खी से भर गए. ये दो मुल्क हैं सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात. सऊदी अरब का नेतृत्व 40 वर्ष के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के पास है तो संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की बागडोर मोहम्मद बिन जायद संभाल रहे हैं. यूं तो इन दोनों इस्लामी देशों के ताल्लुकात मधुर रहे हैं. लेकिन आज की वर्चस्ववादी राजनीति और भू-राजनीतिक चाल के खेल में इन दो दोस्त मुल्कों के बीच में भी कड़वाहट आ गई. इस टकराव का प्लेग्राउंड बना सिविल वॉर से जूझ रहा यमन.
इन दो देशों के रिश्ते ऐसे बिगड़े कि सऊदी अरब ने यमन में UAE के सैन्य जहाजों पर विध्वंसक हमला किया. और 48 घंटे के अंदर UAE को अपनी सेना वापस बुलाने का अल्टीमेटम दिया. UAE सऊदी अरब की धमकी के आगे तत्काल झुका और यमन से बिना शर्त अपनी सेना वापस बुला ली. इसके साथ ही सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने गल्फ क्षेत्र में अपनी वर्चस्व की मिसाल कायम कर दी है. यह घटना गल्फ सहयोग परिषद के सदस्य देशों के बीच बढ़ते तनाव को उजागर करती है, जहां सऊदी अरब अपनी क्षेत्रीय नेतृत्व की भूमिका को मजबूत करने का प्रयास कर रहा है. और फिलहाल इस कोशिश में कामयाब भी दिखता है.
यमन के पोर्ट पर UAE की शिप पर सऊदी का अटैक
इस बीच सऊदी अरब ने यमन के मुकल्ला पोर्ट पर हमले की विस्तृत जानकारी दी है. इसी पोर्ट पर सऊदी अरब ने UAE के उन जहाजों पर हमला किया था जो कथित रूप से यमन के विद्रोही संगठन साउदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (STC) को हथियार मुहैया करा रहे थे. सऊदी अरब ने कहा था कि UAE का ये कदम सऊदी संप्रभुता के 'रेड लाइन' को पार करने जैसा है.
अल जजीरा के अनुसार सऊदी गठबंधन के प्रवक्ता मेजर-जनरल तुर्की अल-मलिकी ने कहा कि मुकल्ला बंदरगाह में घुसने पर यह साफ हो गया कि दोनों जहाज़ों में 80 से ज़्यादा गाड़ियां और हथियार और गोला-बारूद के कंटेनर थे. उन्होंने आगे कहा कि UAE ने सऊदी अरब को बिना बताए गाड़ियां, कंटेनर और अमीराती सैनिकों को अल-रयान बेस पर भेज दिया था.
सऊदी अरब ने मंगलवार को कहा कि UAE ने STC पर हद्रामौत और महरा प्रांतों में मिलिट्री ऑपरेशन करने के लिए दबाव डाला. रियाद ने कहा कि वह इन कदमों को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानता है. बता दें कि हद्रामौत और महरा में अभी STC का कब्जा है.
मेजर-जनरल तुर्की अल-मलिकी ने कहा, "सऊदी अरब इस बात पर जोर देता है कि उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कोई भी खतरा एक रेड लाइन है, और किंगडम ऐसे किसी भी खतरे का सामना करने और उसे खत्म करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने में संकोच नहीं करेगा."
मंगलवार की तेजी से हुई घटनाओं के बाद UAE के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि उसने यमन में अपनी भूमिका का "पूरी तरह से आकलन" किया और वहां अपना मिशन खत्म करने का फैसला किया है.
मंगलवार को क्राउन प्रिंस सलमान ने सऊदी कैबिनेट की मीटिंग की अध्यक्षता की. कैबिनेट मीटिंग के बाद सऊदी सरकार ने कहा कि उम्मीद है कि UAE दक्षिणी अलगाववादी ताकतों या यमन के अंदर किसी भी दूसरी पार्टी को कोई भी मिलिट्री या फाइनेंशियल मदद देना बंद कर देगा, और उम्मीद जताई कि यमन की रिक्वेस्ट के मुताबिक अमीराती सेना 24 घंटे के अंदर यमन से हट जाएगी.
कैबिनेट ने कहा कि उसे उम्मीद है कि UAE सऊदी-अमीराती संबंधों को बनाए रखने के लिए ज़रूरी कदम उठाएगा, जिन्हें किंगडम मज़बूत करना चाहता है.
गल्फ का बिग-ब्रदर बनने की कोशिश
इस घटना ने अरब की क्षेत्रीय राजनीति में नई दरारें पैदा की हैं. विश्लेषकों का मानना है कि प्रिंस सलमान की आक्रामक नीति सऊदी अरब को गल्फ का "बिग ब्रदर" बनाने का प्रयास है, लेकिन इससे UAE जैसे सहयोगियों से दूरी बढ़ सकती है.
एक्सपर्ट बताते हैं कि UAE की वापसी यमन में सऊदी की स्थिति को मजबूत करेगी, लेकिन लंबे समय में GCC की एकता पर सवाल उठाएगी.
रिपोर्ट्स के मुताबिक सऊदी अरब और UAE के बीच यमन में रणनीति और दूसरे क्षेत्रीय मामलों को लेकर लंबे समय से मतभेद रहे हैं. UAE दक्षिणी ट्रांज़िशनल काउंसिल का समर्थन करता है और पहले हूती विद्रोहियों के खिलाफ जमीनी ऑपरेशन्स में अहम भूमिका निभा चुका है. इस बीच सऊदी अरब ने सालों तक एक ऐसा हवाई अभियान चलाया जिस पर सवाल उठा और कई अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने उस पर बेवजह नागरिकों को मारने का आरोप लगाया.
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने 2023 में एक रिपोर्ट में लिखा कि UAE और सऊदी अरब के बीच नजदीकी पार्टनरशिप और निजी प्रतिस्पर्धा साथ साथ चली. अखबार ने लिखा कि जहां मोहम्मद बिन जायद कभी 40 साल के मोहम्मद बिन सलमान के लिए एक मेंटर की तरह थे, वहीं अब सऊदी शाही परिवार अपनी स्थिति मजबूत करना चाहता है. इसमें मोहम्मद बिन सलमान की महात्वाकांक्षा झलकती है.
यह घटना गल्फ राजनीति में एक मोड़ है, जहां सऊदी अरब ने स्पष्ट कर दिया कि इस क्षेत्र में उसकी ही चलेगी. UAE की बिना शर्त वापसी प्रिंस सलमान की धमकी की सफलता दर्शाती है, लेकिन यह यमन संघर्ष को और जटिल बना सकती है.