श्रीलंका को हिंसा की आग में झोंक कर प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे पूरे परिवार के साथ भाग खड़े हुए. सोमवार को उग्र भीड़ ने कोलंबो में राजपक्षे के सरकारी आवास को घेर लिया था. जनता के गुस्से को कम करने के लिए उन्हें पीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा. लेकिन इस्तीफे के बाद भी गुस्सा कम नहीं हुआ. ऐसे में उन्होंने इस्तीफा दिया और उधर उनके सरकारी आवास में सेना का हेलिकॉप्टर उतरा. आनन-फानन में पूरा राजपक्षे परिवार इसमें सवार हुआ और कोलंबों में उग्र प्रदर्शनकारियों से जान बचाकर भाग निकला.
श्रीलंका के बिगड़े हालातों के बीच नए प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में विपक्ष के नेता और सांसद साजिथ प्रेमदासा का नाम तेजी से चर्चा में आ गया. तमाम चर्चाओं के बीच साजिथ ने आजतक से ख़ास बातचीत की. जिसमें उन्होंने अपने भविष्य के प्लान के साथ साथ श्रीलंका के मौजूदा हालातों पर बात की.
साजिथ प्रेमदासा ने कहा कि राजपक्षे प्रशासन द्वारा किया गया आर्थिक कुप्रबंधन श्रीलंका में आर्थिक युद्ध के लिए जिम्मेदार है. लेकिन निश्चिंत रहें हम जीतेंगे. श्रीलंका कुछ ही समय में वापस सामान्य हो सकता है, लेकिन हमें कठोर निर्णय लेने होंगे. उन्होंने कहा कि 2019 में देश के अधिकांश लोगों को वर्तमान राष्ट्रपति से बहुत उम्मीद थी, लेकिन अक्षम सरकार और अप्रभावी प्रशासन ने देश को गर्त में पहुंचा दिया.
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प्रेमदासा ने कहा कि मैंने अपने पिता की हत्या के 6 से 7 साल बाद राजनीति में प्रवेश किया. मैंने अपने पिता के बिना राजनीतिक यात्रा शुरू की. श्रीलंका में वंशवाद की राजनीति की कोई जगह नहीं है. उन्होंने कहा कि हमें लोगों की प्रतिभा पर ध्यान देना चाहिए. उन दिनों एईट्रोक्रेसी को श्रेय दिया जाता था लेकिन अब यह मेरिटोक्रेसी है.
अगर भविष्य के पीएम बने तो क्या कार्य योजना होगी?
प्रेमदासा ने कहा कि लंका की जनता को आवश्यक चीजें सबसे पहले मिलनी चाहिए. मोटे तौर पर हमें अगले 6 महीनों के लिए प्रति माह लगभग 500 मिलियन डॉलर की आवश्यकता है. हमें उर्वरकों के लिए अधिक धन की आवश्यकता है, बैंकों में लिक्विडिटी में सुधार के लिए पैसों की आवश्यकता है. हम सरकार बनाने के लिए तैयार हैं, लेकिन राष्ट्रपति राजपक्षे को इस्तीफे की घोषणा करनी होगी.
भारत सरकार और पीएम मोदी से क्या उम्मीद है?
साजिथ प्रेमदासा ने कहा कि समर्थन के लिए पीएम मोदी और भारत के लोगों का आभारी हूं. उन्होंने कहा कि 3.5 बिलियन डॉलर ने बहुत बड़ा अंतर पैदा किया है. हालांकि अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है जिसके लिए अंतरराष्ट्रीय भागीदारों को समर्थन करने का अनुरोध करते हैं.
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गौरतलब है कि भारत इस साल अब तक श्रीलंका को 3.5 अरब डॉलर की मदद कर चुका है. इसके अलावा भारत उसकी बुनियादी चीजों जैसे खाने-पीने का सामान और दवाओं की कमी को पूरा करने में मदद कर रहा है. भारत का कहना है कि श्रीलंका का करीबी पड़ोसी और उसके साथ ऐतिहासिक संबंध होने के नाते, भारत उसके लोकतंत्र, स्थिरता और आर्थिक स्थिति में सुधार को लेकर पूरी तरह साथ है.
प्रेम दासा ने आगे कहा कि लंका की जनता को आग में झोंकने में राजपक्षे परिवार ने कोई कसर नहीं छोड़ी. हिंसक प्रदर्शन में कई लोग घायल हो गए और मारे गए और व्यापारिक प्रतिष्ठान और घर नष्ट हो गए. यह ठीक नहीं, हर किसी को हिंसा से बचना चाहिए. हमें लोकतांत्रिक राजनीति करनी होगी. हिंसा रुकनी चाहिए और दोबारा नहीं होनी चाहिए.
प्रेमदासा ने आरोप लगाते हुए कहा कि हिंसा के मुख्य सूत्रधार राजपक्षे परिवार है, लेकिन किसी को भी हिंसा के जरिए जवाब नहीं देना चाहिए. भीड़ द्वारा हिंसा, संपत्ति को लूटना और नष्ट करना कोई रास्ता नहीं है.