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रूसी सेना में बुलावे से बचने के लिए जर्जिया भाग रहे लोग, सैटेलाइट इमेज में बॉर्डर पर दिखीं गाड़ियों की लंबी लाइनें

रूस में हजारों की संख्या में लोग देश छोड़कर भाग रहे हैं. उन्हें यूक्रेन के साथ जंग में भेजने का डर सता रहा है. पिछले हफ्ते रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 3 लाख सैनिकों की लामबंदी का ऐलान किया था. इसके बाद से ही रूस छोड़ने वाले लोगों की सिलसिला जारी है.

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पुतिन के ऐलान के बाद लोग रूस छोड़कर जॉर्जिया जा रहे हैं. (फाइल फोटो-AFP)
पुतिन के ऐलान के बाद लोग रूस छोड़कर जॉर्जिया जा रहे हैं. (फाइल फोटो-AFP)

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सैनिकों की लामबंदी के ऐलान के बाद से वहां हलचल तेज हो गई है. पुतिन के ऐलान के बाद से लोग रूस छोड़ने की फिराक में हैं. जिन्हें फ्लाइट मिल रही है, वो उससे जा रहे हैं, लेकिन सैकड़ों ऐसे भी हैं जो सड़क के रास्ते ही रूस छोड़ने की तैयारी में हैं. 

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, रूस के सैकड़ों लोग पड़ोसी देश जॉर्जिया भाग रहे हैं. न्यूज एजेंसी ने स्थानीय मीडिया के हवाले से बताया है कि रविवार को जॉर्जिया जाने के लिए सीमा पर तीन हजार से ज्यादा गाड़ियां खड़ी हुई थीं. 

इस साल 24 फरवरी को यूक्रेन के साथ जंग के ऐलान के बाद से ही हजारों लोग रूस छोड़कर जॉर्जिया आ चुके हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 24 फरवरी से अब तक जॉर्जिया की राजधानी तब्लिसी में 40 हजार से ज्यादा रूसी नागरिक आ चुके हैं.

तब्लिसी पहुंचे रूसी नागरिक दिमित्री कुरिलियुनोक ने न्यूज एजेंसी को बताया कि जैसे ही उन्हें सैनिकों की लामबंदी के बारे में पता चला, वैसे ही वो अपना सामान समेटकर रूस छोड़कर यहां आ गए. दिमित्री अपनी पत्नी इरिना और छोटी बेटी के साथ तब्लिसी आ गए हैं. उन्होंने कहा कि हम इस जंग के खिलाफ है. इसमें या तो मारना है या मरना है. इसलिए हम वहां से भागकर आ गए.

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रूस-जॉर्जिया बॉर्डर पर लगी गाड़ियों की कतार. (फोटो-AP)

कैसे भी रूस छोड़ने की जुगत में लोग!

राष्ट्रपति पुतिन के सैनिकों की लामबंदी के ऐलान के बाद कितने रूसी नागरिकों ने देश छोड़ा है, इसका कोई सही आंकड़ा नहीं है, लेकिन रूसी सीमाओं से पलायन की तस्वीरें सामने आ रहीं हैं. जिस तरह का नजारा रूस-जॉर्जिया सीमा पर है, वैसा है कजाखस्तान, फिनलैंड और मंगोलिया सीमा पर भी दिख रहा है. 

इतना ही नहीं, मॉस्को से सीधी उड़ाने भरने वालीं फ्लाइट्स की टिकटें भी या तो बुक हो चुकीं हैं या फिर महंगी कीमतों पर बिक रहीं हैं.

रूस की सेना में रिजर्व सैनिक रहे इवान स्त्रेल्तसोव ने न्यूज एजेंसी को बताया कि वो डेढ़ महीने पहले तब्लिसी आए थे, क्योंकि उन्होंने यूक्रेन से जंग का समर्थन नहीं किया था. उन्हें डर था कि अगर वो वहां से नहीं भागे तो उन्हें भी इस जंग में लगा दिया जाएगा.

उन्होंने बताया कि जब यूक्रेन के साथ जंग शुरू हुई थी, तो उन्होंने इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लिया था. उन्होंने दावा किया कि वहां लोगों पर नजर रखी जा रही थी.

हालांकि, तब्लिसी में रूसी विरोध और बढ़ गया है. तब्लिसी में यूक्रेन के समर्थन में दुकानें, इमारतें, पार्क और म्यूजियम पर यूक्रेनी झंडे लगे हुए हैं. कुछ पोस्टर-बैनर भी लगे हैं, जिसमें रूसी नागरिकों को घर वापस जाने की बात लिखी गईं हैं.

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3 हजार से ज्यादा गाड़ियां जॉर्जिया बॉर्डर पर खड़ी थीं. (फोटो-AP)

क्या था पुतिन का ऐलान?

यूक्रेन के साथ 7 महीने से जंग जारी है, लेकिन अब तक कुछ बड़ी कामयाबी हाथ नहीं लगी है. ऐसे में रूस इस जंग को और लंबा खींचने की तैयारी में है.

पिछले हफ्ते रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 3 लाख सैनिकों की लामबंदी का ऐलान किया था. ये लामबंदी रिजर्व सैनिकों से की जाएगी. रूस के पास 20 लाख से ज्यादा रिजर्व सैनिक हैं. ये वो लोग हैं, जिन्होंने अनिवार्य सैन्य सेवा के तहत मिलिट्री ट्रेनिंग ले रखी है.

रूस लगभग 2.5 करोड़ लोगों को सैन्य सेवा के लिए लामबंद कर सकता है. हालांकि, पुतिन ने ये साफ किया है कि अनिवार्य सैन्य सेवा के तहत मिलिट्री ट्रेनिंग ले चुके लोगों को यूक्रेन नहीं भेजा जाएगा. फिर भी वहां के लोगों को इस जंग में जबरन भेजे जाने का डर है. यही वजह है कि लोग रूस छोड़कर भाग रहे हैं.

 

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