रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध दो महीने से भी ज्यादा लंबा खिच चुका है. स्थिति अभी भी जमीन पर विस्फोटक बनी हुई है. इस बीच स्वीडन और फिनलैंड का नेटो में जाने का फैसला राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को और ज्यादा नाराज कर गया है. वे खुली धमकी देने लगे हैं कि इस फैसले के गंभीर परिणाम होंगे.
अब पुतिन का ये रवैया इसलिए सवाल खड़े करता है कि क्योंकि रूस खुद स्वीडन और फिनलैंड को अपने लिए ज्यादा बड़ा खतरा नहीं मानता. उनका सिर्फ इतना कहना है कि अगर ऐसा कोई फैसला लिया जाएगा, तो उसकी कोई ना कोई प्रतिक्रिया जरूर रहेगी. लेकिन खबर है कि राष्ट्रपति पुतिन अपने देश के लिए किसी भी तरह का खतरा नहीं चाहते हैं. इसी वजह से उन्होंने फिनलैंड के राष्ट्रपति सौली निनिस्टो से फोन पर बात की है. उस बातचीत में पुतिन की तरफ से समझाया भी गया है और चेतावनी भी दी गई है. जोर देकर कहा गया है कि इस युद्ध के दौरान फिनलैंड को कोई खतरा नहीं रहने वाला है.
लेकिन उन तमाम दलीलों के बावजूद भी इस बार फिनलैंड और स्वीडन अपने कदम पीछे खीचते नहीं दिख रहे. वे हर कीमत पर नेटो की सदस्यता चाहते हैं. वैसे जानकार मानते हैं कि एक बार के लिए फिनलैंड या स्वीडन अलग देश के तौर पर रूस के लिए ज्यादा खतरा नहीं बनने वाले हैं, लेकिन क्योंकि स्वीडन के पास यूरोप में सबसे शक्तिशाली वायुसेना है और दूसरी तरफ फिनलैंड की 1300 किमी की सीमा रूस से लगती है, ऐसे में पुतिन इन समीकरणों को खतरा मानते हैं.
इसी वजह से राष्ट्रपति पुतिन CSTO (Collective Security Treaty Organization) देशों से अपील कर रहे हैं कि वे साथ में और ज्यादा संयुक्त अभ्यास करें. उन्होंने इन सभी देशों के बीच और ज्यादा तालमेल होने की बात कही है. इसके अलावा रूस की तरफ से इस सयम सिर्फ युद्ध की धमकी नहीं जा रही है, बल्कि कई ऐसे कदम उठाने पर भी फोकस है जिससे उसके विरोधी देश बिना लड़े ही घुटनों पर आ जाए. ऐसा ही एक कदम है फिनलैंड की बिजली सप्लाई को रोक देना है. रूस की तरफ से फिनलैंड को धमकी दी गई है कि शनिवार से उसकी बिजली सप्लाई रोकी जा सकती है. ऐसा होने पर पूरे फिनलैंड में अंधेरा छा जाएगा.