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भारत के लिए मजबूती से खड़ा हुआ रूस, चीन के सामने ही किया बड़ा ऐलान

रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए समर्थन जताया है. चीन में आयोजित ग्लोबल पीस फोरम में बोलते हुए रूसी राजदूत एंड्री डेनिसोव ने कहा कि वह भारत और ब्राजील को यूएनएससी का हिस्सा बनाए जाने के लिए चर्चा को तैयार हैं. डेनिसोव ने ये भी कहा कि रूस, जर्मनी और जापान को स्थायी सदस्य बनाए जाने के खिलाफ है.

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रूस ने कहा है कि वो यूएनएससी में भारत की स्थायी सदस्यता पर चर्चा के लिए तैयार है (Photo- AFP)
रूस ने कहा है कि वो यूएनएससी में भारत की स्थायी सदस्यता पर चर्चा के लिए तैयार है (Photo- AFP)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • यूएनएससी में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए बोला रूस
  • चीन के ग्लोबल पीस फोरम में उठाई आवाज
  • कहा- भारत की स्थायी सदस्यता पर बात करने के लिए तैयार

भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद  (UNSC) के विस्तार की मांग करते हुए अपनी स्थायी सदस्यता की बात लगातार करता आया है. अब यूएनएससी के स्थायी सदस्य और भारत के करीबी मित्र रूस ने भी भारत की इस मांग का समर्थन किया है. बड़ी बात ये है कि रूस ने भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन चीन में हुए ग्लोबल पीस फोरम में किया है. रूस ने कहा है कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार के लिए भारत और ब्राजील की सदस्यता पर चर्चा को तैयार है. साथ ही, रूस ने जर्मनी और जापान को स्थायी सदस्यता देने के मुद्दे पर समर्थन देने से इनकार किया है.

रूस की सरकारी समाचार एजेंसी तास की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में रूसी राजदूत एंड्री डेनिसोव ने सोमवार को ये बातें 10वें ग्लोबल पीस फोरम में कही. रूसी राजदूत ने कहा कि भारत और ब्राजील को सदस्यता दिए जाने का वह समर्थन करते हैं लेकिन जर्मनी और जापान को स्थायी सीट देने का उन्हें कोई कारण नहीं दिखता.
 
एंड्री डेनिसोव ने फोरम में बोलते हुए कहा, 'रूस सबकी सहमति के आधार पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार का आह्वान कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अफ्रीकी, एशियाई और लैटिन अमेरिकी देशों की आनुपातिक हिस्सेदारी बढ़ाने की जरूरत है. इससे संयुक्त राष्ट्र अधिक लोकतांत्रिक संगठन बनेगा और दुनिया भर के लोगों की बातों को सामने लाया जा सकेगा.'

रूसी राजदूत ने आगे कहा, 'मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहूंगा कि हम जर्मनी और जापान जैसे देशों के यूएनएससी में प्रवेश का समर्थन करने के लिए तैयार नहीं हैं. हमें नहीं लगता कि उन्हें स्थायी सदस्यता देने से यूएनएससी में किसी तरह का फर्क पड़ने वाला है.'

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उन्होंने कहा, 'परिषद में फिलहाल जो प्रतिनिधित्व के आधार पर संतुलन है, या फिर मुझे कहना चाहिए कि जो असंतुलन है, वो इन दोनों देशों (जर्मनी और जापान) की सदस्यता से मजबूत नहीं होगा. बल्कि अगर ये देश स्थायी सदस्य बनते हैं तो यूएनएससी में प्रतिनिधित्व आश्चर्यजनक रूप से असंतुलित हो जाएगा. दूसरी ओर, हम भारत और ब्राजील के यूएनएससी में शामिल होने का समर्थन करते हैं.'

डेनिसोव का कहना है कि रूस चाहता है कि सुरक्षा परिषद में सभी महाद्वीप के देशों का उचित प्रतिनिधित्व हो. उन्होंने कहा, 'हम लगातार ये अपील कर रहे हैं कि यूएनएससी में जितना संभव हो सके, सभी का प्रतिनिधित्व हो. सभी मुश्किलों के बावजूद भी यूएन एक अद्वितीय संगठन बना हुआ है. हम इस मंच को बचाए रखना चाहते हैं और इसे और बेहतर बनाने की उम्मीद करते हैं.'

यूएनएससी में पांच स्थायी सदस्य हैं- रूस, चीन, अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस. इन पांचों देशों के पास किसी भी मुद्दे पर वीटो का अधिकार है.

चीन में आयोजित ग्लोबल पीस फोरम की बात करें तो, इसमें दुनिया भर से 300 से अधिक पूर्व और वर्तमान राजनयिक, सरकारी अधिकारी, शोधकर्ता और विशेषज्ञ शामिल होते हैं. इनमें से कई लोग इस बार ऑनलाइन भी शामिल हुए. साल 2012 से ही चीन का शिन्हुआ यूनिवर्सिटी इस फोरम का वार्षिक आयोजन कर रहा है. 

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