सोमवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने देश के परिवहन मंत्री रोमान स्टारोवोइत को पद से हटा दिया. उन्हें बर्खास्त क्यों किया गया, इसकी कोई वजह नहीं बताई गई और स्टारोवोइत को पद से हटाने के कुछ समय बाद ही उप परिवहन मंत्री आंद्रेई निकितीन को नया परिवहन बना दिया गया. ये सब चल ही रहा था कि स्टारोवोइत ओडिंटसोवो में अपनी कार से कुछ दूरी पर एक झाड़ी में मृत अवस्था में पाए गए. उनके शरीर पर गोलियों के निशान पाए गए हैं और माना जा रहा है कि उन्होंने सुसाइड किया है.
रूस की न्यूज एजेंसियों के मुताबिक, स्टारोवोइत को जब अपनी बर्खास्तगी के बारे में पता चला तो वो मास्को के पास एक इलाके में थे और खबर सुनते ही उन्होंने खुद को गोली मार ली. पोलिटिको की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस की जांच समिति की अधिकारी स्वेतलाना पेट्रेंको ने एक बयान में कहा, 'हम पता लगा रहे हैं कि घटना किन परिस्थितियों में हुई. लेकिन फिलहाल तो मुख्य रूप से आत्महत्या की बात सामने आ रही है.'
स्टारोवोइत को बिना कारण बताए बर्खास्त करना और फिर संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी मौत रूस के लिए कोई नई बात नहीं है. रूस में इस तरह की घटनाएं अक्सर सामने आती हैं जिसमें पुतिन के आलोचकों या फिर भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाए जाते हैं.
बताया जा रहा है कि 2022-2023 में रूस के कुर्स्क क्षेत्र में स्थानीय सरकार को जो पैसा दिया गया था, उसका आवंटन सही से नहीं हुआ था और उसमें भ्रष्टाचार हुआ था. स्टारोवोइत परिवहन मंत्री बनने से पहले 2018 से कुर्स्क क्षेत्र के गवर्नर थे और उनके कार्यकाल में ही भ्रष्टाचार की खबर आई थी. माना जा रहा है कि इसी मामले में उनकी बर्खास्ती की गई है जिसके बाद वो मृत पाए गए हैं.
रूस में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत कोई असामान्य बात नहीं
रूस में पुतिन का एकछत्र राज है जहां उनके आलोचकों और भ्रष्टाचार में शामिल लोगों के साथ ज्यादती की खबरें आती रही हैं. पुतिन प्रशासन के साथ विश्वासघात करने वाले लोग भी अक्सर संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाए जाते हैं. इसका सबसे बेहतरीन और ताजा उदाहरण हैं वैगनर ग्रुप के चीफ येवगेनी प्रिगोजिन की प्लेन क्रैश में मौत. प्रिगोजिन कभी पुतिन के बेहद खास थे और उनकी प्राइवेट आर्मी यूक्रेन में रूसी सेना के साथ मिलकर लड़ रही थी.
लेकिन फिर प्रिगोजिन ने 24 जून 2023 को रूसी राष्ट्रपति पुतिन के खिलाफ बगावत की घोषणा कर दी और कहा था कि वो रूस की मिलिट्री लीडरशिप को उखाड़ फेकेंगे. उनका कहना था कि रूस की सेना उनके लड़ाकों को पर्याप्त मात्रा में हथियार मुहैया नहीं करा रही है.
रूस के खिलाफ बगावत में प्रिगोजिन को शुरुआती सफलता मिली और उनके लड़ाकों ने रूस के रोस्तोव-ऑन-डॉन शहर में सेना के मुख्यालय को अपने कब्जे में ले लिया था. रूसी सेना यही से यूक्रेन के खिलाफ युद्ध का संचालन कर रही थी.
सेना मुख्यालय पर कब्जे से प्रिगोजिन का हौसला बढ़ा और उनके लड़ाके राजधानी मॉस्को की तरफ बढ़ने लगे लेकिन फिर उन्होंने अचानक से मॉस्को जाने का फैसला छोड़ दिया और वो रूस छोड़कर पड़ोसी बेलारूस चले गए. वैगनर ग्रुप और रूसी सरकार के बीच एक समझौता हुआ जिसमें उनके खिलाफ सभी आरोप वापस ले लिए गए.
लेकिन जैसा कि पुतिन अपने दुश्मनों और अपने साथ विश्वासघात करने वालों को न तो भूलते हैं और न ही माफ करते हैं, प्रिगोजिन की सुरक्षा को लेकर आशंका बढ़ गई.
कहा जाने लगा कि पुतिन प्रिगोजिन को कभी माफ नहीं करेंगे क्योंकि उन्होंने तो सीधे उन्हें चुनौती दी थी. विद्रोह के दो महीने बाद ही 23 अगस्त 2023 को प्रिगोजिन प्लेन क्रैश में मारे गए. प्रिगोजिन का निजी विमान रूसी शहर तेवेर में दुर्घटना का शिकार हो गया. माना जाता है कि विमान को मार गिराया गया. हालांकि, प्लेन क्रैश की असल वजह अब तक सामने नहीं आ पाई है.
पुतिन के सबसे मुखर विरोधी एलेक्सी नवेलनी की संदिग्ध मौत
रूस में राष्ट्रपति पुतिन के खिलाफ कोई खड़ा होने की हिम्मत नहीं करता और जो ये हिमाकत करता है, उसकी मौत लगभग तय मानी जाती है. ऐसा ही हुआ रूस के विपक्षी नेता एलेक्सी नवेलनी के साथ जो पुतिन के कट्टर आलोचक माने जाते थे. उन्होंने पुतिन के खिलाफ चुनाव भी लड़ा लेकिन वो हार गए. हालांकि, धीरे-धीरे रूस में उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई जिसे देखते हुए 2020 में उन्हें साइबेरिया में नोविचोक नर्व एजेंट नाम से जहर दे दिया गया.
लेकिन नवेलनी इस जहर को पीकर भी बच गए. लंबे समय तक जर्मनी के बर्लिन में उनका इलाज चला और 5 महीनों में वो उठ खड़े हुए. 2021 में वो फिर रूस लौटे और पुतिन को चुनौती दी. इस बार उन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया और जेल में डाल दिया गया. इस बीच नवेलनी की लोकप्रियता आसमान छूने लगी और लोग उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ में सड़कों पर उतर आए.
अगस्त 2023 में एक कोर्ट ने उनकी सजा बढ़ाकर 19 साल कर दी और फिर उन्हें शिफ्ट किया गया रूस के सबसे खतरनाक जेल पीनल कॉलोनी में. जेल में उन्हें एकांत में बेहद ही कठिन परिस्थितियों में रखा गया और एक दिन उनकी मौत की खबर आई.
जेल अधिकारियों ने बताया कि नवेलनी टहल रहे थे और फिर तबियत ठीक न होने की वजह से वो गिरकर बेहोश हो गए, फिर कभी नहीं उठे. उनकी मौत की असल वजह क्या थी, इसका अभी तक पता नहीं चल पाया है.
पत्रकार अन्ना पोलितकोवस्काया की हत्या
मॉस्को की रहने वाली मानवाधिकार हनन की रिपोर्टिंग करने वाली पत्रकार अन्ना पोलितकोवस्काया 7 अक्टूबर 2006 को मॉस्को के सुपरमार्केट से घर लौट रही थीं. तभी उनके फ्लैट के बाहर उन्हें गोली मार दी गई.
पोलितकोवस्काया रूस में पत्रकारों के सामने आने वाले खतरों को लेकर पुतिन की आलोचना करती रही थीं. और माना जाता है कि इसी वजह से उन्हें रास्ते से हटा दिया गया. हालांकि, उनकी हत्या किसने की, इसे लेकर कोई जानकारी सामने नहीं आ पाई.
बोरिस नेम्तसोव
बोरिस नेम्तसोव एक समय रूसी राष्ट्रपति से भी ज्यादा लोकप्रिय थे लेकिन 2000 में जब पूर्व राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन पद से हटे तो उनकी जगह पुतिन को राष्ट्रपति बना दिया गया. इसके बाद से ही नेम्तसोव की राजनीति हाशिए पर जाती रही. 2014 में जब रूस ने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध छेड़ा और क्रीमिया को रूस में मिला लिया तो नेम्तसोव ने इसका विरोध किया.
यूक्रेन के खिलाफ युद्ध को लेकर नेम्तसोव अपने समर्थकों के साथ सड़कों पर आ गए. उसी दौरान एक अज्ञात हमलावर ने नेम्तसोव की पीठ में चार गोलियां दागीं जिससे उनकी मौत हो गई. इसके लिए आलोचकों ने पुतिन को जिम्मेदार बताया जिसे उन्होंने हर बार की तरह खारिज कर दिया.
इन मौतों के अलावा कई ऐसे नाम हैं जिनकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई जैसे पुतिन के विरोधी व्लादिमीर कारा मुर्जा, पूर्व जासूस और क्रेमलिन के आलोचक अलेक्जेंडर लितविनेंको, पूर्व जासूस सर्गेई स्क्रिपल, अलेक्जेंडर पेरेपिलिची आदि.