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पाकिस्तान: PM इमरान के लिए नई मुश्किलें पैदा करेगी सेना? आर्मी चीफ से मीटिंग के बाद लगे कयास

सेना ही परोक्ष रूप से पाकिस्तान में राजनीतिक व्यवस्था को नियंत्रित करती है. यहां नेताओं को पदों से शायद ही कभी सेना की मौन सहमति के बिना पद से हटाया जाता है.

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Pak पीएम इमरान खान से आर्मी चीफ जावेद बाजवा मिले. (फाइल फोटो)
Pak पीएम इमरान खान से आर्मी चीफ जावेद बाजवा मिले. (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 23 मार्च को पाकिस्तान में बड़ा जुलूस
  • प्रधानमंत्री से इस्तीफा देने की मांग

पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने बुधवार को प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात की. प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई इस मीटिंग को लेकर यह आशंका होती है कि सेना जल्द ही इमरान सरकार के लिए कोई मुश्किल पैदा कर सकती है. हालांकि, आधिकारिक बयान में बताया गया कि इस मीटिंग में सेना से जुड़े पेशेवर मामलों पर चर्चा की गई थी. 

दरअसल, पाकिस्तान के विपक्षी दलों की ओर से भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री इमरान खान को कड़ी चुनौती मिल रही है. सरकार को घेरने की लगातार कोशिश की जा रही है.  

आपको बता दें कि पाक सेना प्रमुख और पीएम खान के बीच मीटिंग से एक दिन पहले ही ‘ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल’ नामक संगठन ने पाकिस्तान में बढ़ते हुए भ्रष्टाचार को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसके अनुसार देश 16 स्थान फिसलकर 140वें स्थान पर आ गया है. संगठन की 2021 की रिपोर्ट में 180 देशों को भ्रष्टाचार के मामले में विभिन्न मानकों पर रैंकिंग दी गई है.

यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब प्रधानमंत्री इमरान खान के जवाबदेही मामलों के सलाहकार शहजाद अकबर (Shehzad Akbar) ने, भ्रष्टाचार में शामिल कई विपक्षी नेताओं को कानून के कठघरे में खड़ा करने में विफल रहने पर इस्तीफा दे दिया है. विपक्षी दलों ने अकबर के इस्तीफे और रिपोर्ट को पीएम की असफलता करार दिया है और उनके इस्तीफे की मांग की है.

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23 मार्च को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन

इमरान खान सरकार पर दबाव बनाने के लिए करीब एक दर्जन विपक्षी दलों के गठबंधन, पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (PDM) ने 23 मार्च को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू करने की घोषणा की है, ताकि उन्हें इस्तीफा देने और नए चुनाव कराने  के लिए मजबूर किया जा सके.

वहीं, PM इमरान ने विपक्षी दलों के इस होने वाले आंदोलन को भ्रष्टाचार के मामलों से सरकार का ध्यान हटाने का हथकंडा करार दिया है. उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि सत्ता से बेदखल होने पर वह और अधिक "खतरनाक" साबित होंगे.

मालूम हो कि सेना ही परोक्ष रूप से पाकिस्तानी में राजनीतिक व्यवस्था को नियंत्रित करती है. पाकिस्तान सेना ने अपने 73 से अधिक वर्षों के आधे से अधिक समय तक देश पर राज किया है, अब तक सुरक्षा और विदेश नीति के मामलों में काफी शक्ति का इस्तेमाल करती है. यहां राजनीतिक नेताओं को शायद ही कभी सेना की मौन सहमति के बिना पद से हटाया जाता है.

आवाम को संदेश देने की कोशिश

यही वजह है कि विपक्षी की ओर से घिरने के बाद पीएम इमरान खान ने सेना प्रमुख जनरल बाजवा के साथ बैठक की है ताकि आवाम के बीच अच्छा संदेश जा सके. इससे पहले आज, पाक के गृह मंत्री शेख रशीद ने प्रधानमंत्री और सेना के बीच दरार की अफवाहों को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया कि पीएम के सेना के साथ बेहतर रिश्ते हैं. 

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